उमेश जोशी
एक सप्ताह बाद नए साल की पहली तारीख से बैंक लॉकर से संबंधित भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के संशोधित नियम लागू हो जाएँगे। नए नियमों से लॉकर ग्राहकों की सुरक्षा और पुख्ता होगी।
रिजर्व बैंक ने अधिसूचना जारी कर कहा है कि लॉकर के मामले में बैंक मनमानी नहीं कर सकेंगे और यदि ग्राहक को कोई नुकसान होता है तो बैंक अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते। रिजर्व बैंक ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि लॉकर ग्राहकों के साथ किए गए अनुबंध में कोई अनुचित शर्त या नियम नहीं होना चाहिए। बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके लॉकर अनुबंध में कोई अनुचित नियम या शर्तें तो शामिल नहीं हैं? इसका अर्थ यह हुआ कि यदि 1 जनवरी 2023 से पहले के किसी अनुबंध में कोई अनुचित शर्त या नियय शामिल है तो बैंक उसे हटाने के लिए बाध्य होंगे।
रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के बाद बैंकों ने ग्राहकों को एसएमएस के जरिये नए नियमों की जानकारी देनी शुरू कर दी है। बैंक एक 1 जनवरी 2023 तक मौजूदा लॉकर ग्राहकों के साथ नए नियमों के अनुसार नया अनुबंध (एग्रीमेंट) करेंगे। बैंक जब भी किसी ग्राहक को लॉकर देता है तो लॉकर अनुबंध नीति के तहत ग्राहक के साथ अनुबंध करता है। अनुबंध के बाद ही लॉकर की सुविधा दी जाती है। अनुबंध के कागजात पर दोनों पक्ष हस्ताक्षर करते हैं। उस पर बाकायदा बैंक की मुहर होती है। उसमें ग्राहक के अधिकारों और जिम्मेदारियों का ब्यौरा होता है। उस अनुबंध की एक प्रति लॉकर किराएदार को दी जाती है। उस करार की मूल प्रति बैंक की उस शाखा में रखी जाती है जहाँ ग्राहक को लॉकर की सुविधा दी गई है।
रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार सभी बैंकों को खाली लॉकरों का ब्यौरा और लॉकर की प्रतीक्षा सूची डिस्प्ले करनी जरूरी है। साथ ही, बैंकों को अधिकतम तीन साल की अवधि का लॉकर किराया एक बार में लेने का अधिकार होगा।
अनधिकृत तौर पर लॉकर खोले जाने की स्थिति में दिन खत्म होने से पहले बैंकों को ग्राहकों के पंजीकृत मोबाइल या ई-मेल पर उसकी तारीख, समय और कुछ जरूरी कार्रवाई की जानकारी देनी अनिवार्य होगी। आरबीआई ने दिशानिर्देश में यह भी कहा है कि लॉकर की नई व्यवस्था की जानकारी हर ग्राहक को एसएमएस के जरिए भी दी जानी जरूरी है ताकि ग्राहक पहले से जागरूक रहें। इसके अलावा ग्राहक जब भी लॉकर का उपयोग करेंगे, बैंक ई-मेल और एसएमएस से सूचना देंगे।
बैंक लॉकर का किराया क्षेत्र और लॉकर के आकार के अनुसार तय होता है। यह किराया 500 रुपए से लेकर तीन हजार रुपए तक है। बड़े शहर और महानगरों में बैंक छोटे, मध्यम, बड़े और अतिरिक्त बड़े आकार के लॉकरों के लिए क्रमशः दो हजार रुपए, चार हजार रुपए, आठ हजार रुपए और 12,000 रुपए सालाना किराया लेते हैं।
अभी तक बैंक चोरी के मामलों से यह कह कर पल्ला झाड़ते रहे हैंं कि लॉकर के अंदर रखे किसी भी सामान के लिए बैंक जिम्मेदार नहीं हैं। पहली जनवरी 2023 से लॉकर में सामान के खराब होने या नुकसान होने की स्थिति में बैंक अपनी देनदारी से नहीं बच पाएंगे और उन्हें नुकसान की भरपाई करनी होगी।
नियमों में और भी कई बदलाव किए गए हैं। अगर लॉकर का मालिक किसी को नॉमिनी बनाता है तो बैंकों को उसे सामान निकालने की मंजूरी देनी होगी। यदि किसी प्राकृतिक आपदा से लॉकर में रखा सामान खराब हो जाता है तो बैंक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे और नुकसान की भरपाई नहीं करेंगे। यदि ग्राहक की कोई गलती है तो बैंक को नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा।