अमित कुमार अम्बष्ट ” आमिली “
जब से नीतीश कुमार एनडीए गठबंधन से निकल कर राष्ट्रीय जनता दल के साथ आएं हैं , बिहार में नयी सरकार का गठन हुआ है, तब से ही बिहार में जंगलराज की वापसी का शोर है , हालांकि यह शोर प्रारंभ में राजनीतिक जरूर था , क्योंकि वर्षों पुराना गठबंधन टूटने से भाजपा और उसके कार्यकर्ता जिन्होंने जनता दल ( यू ) के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया था , वे काफी नाराज थे , जो लाजिमी भी था , अचानक सत्ता से विपक्ष में आयी भाजपा लगातार नीतीश कुमार पर लगातार हमलावर थी और आज भी है , यह प्रमुख विपक्षी दल होने के दृष्टि से लाजिमी भी है , लेकिन सरकार के बनने के तकरीबन 1 महीने बाद ही आम जनता को ऐसा महसूस होने लगा है कि बिहार में सचमुच जंगलराज की वापसी हो गयी है , यह बेहद चिंता का सबब है , क्योंकि जनमानस के दिमाग़ में जंगलराज का खौफ बिहार की लचर विधि व्यवस्था के कारण बढता जा रहा है । जिसका प्रज्वलंत उदाहरण बेगुसराय का ताजा गोली कांड है ।
दिनांक 13 सितम्बर को बेगूसराय में बाइक पर सवार होकर चार अपराधियों ने एक के बाद एक 11 राहगीरों को गोली मार दी तथा भागने में सफल रहे , इस गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गयी जबकि 10 लोग जख्मी बताये जा रहे हैं , अपराधी इतने बेखौफ थे कि शाम 4 बजे से 5 बजे के बीच 25 किलोमीटर के दायरे में उन्होंने जिसे मन चाहा उसे गोली मार दी । बिहार के बेगुसराय जैसे शहर में 25 किलोमीटर की दूरी बाइक से भी तय करने में इतना समय तो लगता ही है कि पुलिस थाना अपने आगे के थाने को अपराध की सूचना दे सके जिससे अपराधियों को पकड़ा जा सके , लेकिन अपराधियों ने बेखौफ़ हो अपराध को अंजाम दिया । अगर इस घटना का बारीक विश्लेषण करें तो समझ आता है कि यह घटना सरकार और पुलिस प्रशासन की लापरवाही की कलई बखूबी खोलती है । सवाल उठता है कि अपराधी अपराध करने के बाद जब भाग रहे थे इस क्रम में वे 5 थाने से गुजरे , पहली गोली उन्होंने भारत फाइनेंस के कर्मचारी विकास कुमार को मारी जब वे दुलाल पुर अपने दफ्तर जा रहे थे , दूसरी गोली गोधना ठाकुरबारी के पास चंदन कुमार को मारी , चंदन कुमार ने मौके पर दम तोड़ दिया , यह इलाका बछवारा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है और सबसे चिंता की बात है कि इस समय शाम के महज 4 बज रहे थे , मतलब दिन दहाड़े अपराधियों ने इस खौफनाक अपराध को अंजाम दिया , लेकिन पुलिस सोती रही , तकरीबन शाम 4.40 मिनट पर अपराधी तेघड़ा थाना के अंतर्गत आने वाले पिढौली पहुँचे , यहाँ संगीता गैस एजेन्सी में काम करने वाले गौतम कुमार को गोली मारी , यहाँ से भी अपराधी आगे निकलने में कामयाब रहे , तकरीबन शाम 4.50 पर अपरधी पिढौली से 7 किलोमीटर दूर फुलवरिया थाना के अंतर्गत आने वाले मोती चौक पहुँचे , यहाँ उन्होंने अयोध्या चौक पर दीपक कुमार को गोली मार दी , यहीं अपराधियों ने समस्तीपुर जिले के निवासी नीतीश कुमार को तथा बरौनी फ्लैग निवासी अमरजीत को भी गोली मार दी , यहाँ से वे नेशनल हाईवे की तरफ मुड़ गए , तकरीबन शाम 5 बजे अपराधी एफसीआई थाना के अंतर्गत मल्हीपुर चौक पहुँचे, यहाँ अपराधियों ने आइसक्रीम बेचने वाले जीतु पासवान , फिर रंजीत कुमार और ललित कुमार को गोली मारी , इस थाने क्षेत्र से भी अपराधी भागने में सफल रहे , यहाँ से महज 10 किलोमीटर दूर चकिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले थर्मल पावर प्लान्ट के पास 32 वर्षीय भरत कुमार को गोली मारी , फिर कुछ कदम ही आगे एनटीपीसी गेट पर मोकामा निवासी प्रशांत कुमार को गोली मार दी , इसके बाद भरत कुमार को गोली मारने के बाद अपराधी फरार हो गए और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही , उपरोक्त पाँचों थाने से अपराधी अपराध करते हुए गुजरे, लेकिन पुलिस एक थाने से दूसरे थाने को न एलर्ट कर पायी न ही अपराधियों को गिरफ्तार कर पायी , बिहार की विधि व्यवस्था में पुलिस प्रशासन के आपसी खराब तालमेल का यह जीता जागता सबूत है । हालांकि जब यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर गर्माने लगा , टीवी समाचार चैनलो और सोशल मीडिया पर बिहार सरकार की विधि व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाने लगे , तब जाकर डीआईजी ने इस मामले में अपराधियों की जानकारी देने वाले को 50 हजार रुपये इनाम देने का ऐलान किया , दूसरी तरफ गोलीबारी की इस घटना को लेकर कड़ी आलोचना होने के बाद नीतीश सरकार ने जिम्मेदार सात पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया , पुलिस दो दिनों तक हाथ मलती रही लेकिन अंततोगत्वा पुलिस ने सभी चार आरोपियों को दिनांक 16 सितम्बर को गिरफ्तार कर लिया है. ये चारों बेगूसराय के रहने वाले हैं , पुलिस के मुताबिक, तीन आरोपी बेगूसराय से ही और एक आरोपी झाझा से गिरफ्तार किया गया । लेकिन इस खौफनाक अपराध पर जिस तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान आया वो चौंकाने वाला था , उन्होंने कहा कि बेगूसराय में किसी न किसी ने जानबूझकर यह धंधा किया है ,जहाँ पर घटना घटी है वहां पर एक तरफ पिछड़े जाति के लोग थे और दूसरी और अल्पसंख्यक समाज के लोग थे , अर्थात एक दृष्टि से देखे तो इस अपराध को नीतीश कुमार अपराध और अपराधी की नजर से नहीं अपितु अगड़े- पिछड़े की नजर से देख रहे थे तथा इस तरह के बयान से न सिर्फ घटना को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे थे अपितु वे इससे अपना वोट बैंक भी साधना चाहते थे , जो निहायत ही शर्मनाक और निंदनीय है , हालांकि गिरफ्तारी के बाद जानकारी मिली की चारों अपराधी पिछड़ी जाति से नहीं थे और शराब पीने के दौरान उनके आपसी बहस के बाद यह बात निकली कि जो ज्यादा अपराध करेगा वही बेगुसराय पर राज करेगा , इसके बाद चारो बाइक से अपराध करने निकले और घटना को अंजाम दिया , आश्चर्य की बात यह भी है कि चारों में से एक अपराधी अपराध के बाद अपनी गर्ल फ्रेंड को मेसेज करता है कि नागा डाॅन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है , अर्थात अपराधियों को पुलिस प्रशासन का रत्ती भर भी खौफ नहीं था , हालांकि वही मेसेज सभी अपराधियों को जेल के सलाखों के पीछे भेजने में मददगार रहा ,लेकिन फिर भी कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि बेगुसराय का यह गोली कांड बिहार के माथे पर बदनुमा दाग है ।