भूलना ही अच्छा है !

भूलना ही अच्छा है !
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सीता राम शर्मा ” चेतन “

कुछ नाम
कुछ चेहरे
कुछ यादें
भूल जाना ही अच्छा है
उनके लिए दुआ करते हुए !
दुआ इसलिए
कि बद्दुआ खड़ा कर देगी
तुम्हें भी उनकी ही कतार में
दुु़आ इसलिए भी
कि इससे जीवन के
और भी करीब हो जाओगे तुम
सचमुच खुशनसीब हो जा॓ओगे तुम !
याद रखना ये बात
छोड़ते चले जाना सदैव
ऐसे लोगों का साथ
जिनमें बदलाव संभव नहीं
जो कभी तुम्हारे अपने नहीं हो सकते
अपनत्व, भलाई, निःस्वार्थ प्रेम
जिनके सलीके, सपने नहीं हो सकते !
कुछ मृतप्राय लोगों का
जीते जी मर जाना ही अच्छा है तुम्हारे लिए
जीवन के हर एक पल का महत्व है
इसलिए उन्हें भूलना
बचना है निरर्थकता और संकटों से
अविलंब भूल जाओ उन्हें
उनके लिए दुआ करते हुए !

साथ

उनके साथ रहो
जो सचमुच तुम्हारे साथ हैं
या अनाथ हैं
उनके भी साथ रहो
जो सद्गुणी लाचार, अपरिचित हैं
जो सुशिक्षित हैं ।
उनके साथ मत रहो
जो अवगुणों, दुर्गुणों में लिप्त हैं
जो होकर ज्ञानी भी विक्षिप्त हैं
जो देश समाज के अपराधी हैं
होकर अपने भी शत्रु या उनके साथी हैं ।

धर्म

अधर्म ना करना ही
सबसे बड़ा धर्म है ।

अधर्म

अशिक्षा और कुशिक्षा
सबसे बड़ा अधर्म है ।