गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने शनिवार को अपनी कैबिनेट बैठक में एक बड़ा फैसला लेते हुए ऐलान किया है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के अंतिम दिनों में बने 9 नए जिले और तीन संभाग अब नहीं रहेंगे।राज्य सरकार के इस फैसले के साथ ही अब राजस्थान का भूगोल फिर से बदल गया है। अब राजस्थान में जिलों की संख्या 50 से घट कर 41 और संभागों की संख्या 10 से घट कर 7 हो जाएगी।
भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में शनिवार को जयपुर में हुई कैबिनेट और मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद आयोजित प्रेस वार्ता me इसकी जानकारी प्रदेश के केबिनेट मंत्री जोगराम पटेल ने इस बात की जानकारी दी।भान लाल सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने आंदोलन का ऐलान किया है।
प्रेस वार्ता में बताया गया कि राज्य सरकार ने राजस्थान में पिछली सरकार द्वारा नव गठित 17 जिलों में से दूदू, केकड़ी, शाहपुरा, नीमकाथाना, अनूपगढ़, गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण और सांचौर जिले और तीन नए संभाग- बांसवाड़ा, सीकर और पाली संभाग को समाप्त कर दिया है लेकिन गहलोत राज में बने 8 अन्य जिले बालोतरा, खैरथल-तिजारा, ब्यावर, कोटपूतली-बहरोड़, डीडवाना-कुचामन, फलोदी और संलूबर बने रहेंगे । इसके साथ ही अब राजस्थान में 7 संभाग और 41 जिलें रहेंगे।
उन्होंने कहा कि गत सरकार के इस अविवेकपूर्ण निर्णय की समीक्षा करने हेतु राज्य सरकार द्वारा एक मंत्रिमण्डलीय उप-समिति और इसके सहयोग के लिए सेवानिवृत्त आईएएस डॉ. ललित के. पंवार की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया।
विशेषज्ञ समिति द्वारा नवगठित जिलों एवं संभागों के पुनर्निर्धारण के संबंध में तैयार की गई रिपोर्ट एवं सिफारिशें मंत्रिमण्डलीय उप-समिति के समक्ष प्रस्तुत की गई। समिति द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों पर विचार करते हुए नए सृजित जिलों में से 9 जिलों अनूपगढ़, दूदू, गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, केकड़ी, नीम का थाना, सांचौर व शाहपुरा तथा नवसृजित 3 संभागों बांसवाड़ा, पाली, सीकर को नहीं रखने का निर्णय मंत्रिमण्डल द्वारा लिया गया है। आचार संहिता से ठीक पहले घोषित 3 नए जिलों मालपुरा, सुजानगढ़ और कुचामन सिटी को भी निरस्त करने का निर्णय राज्य मंत्रिमण्डल ने लिया है।
जिला परिषदों, पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों का होगा पुनर्गठन
संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि मंत्रिमण्डल के इस निर्णय के बाद अब राजस्थान में कुल 7 संभाग एवं 41 जिले हो जाएंगे। यथावत रखे गए 8 नए जिलों फलौदी, बालोतरा, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा, ब्यावर, डीग, डीडवाना-कुचामन और सलूम्बर में प्रशासनिक ढांचा तैयार करने के लिए राज्य सरकार सभी जरूरी वित्तीय संसाधन एवं अन्य सुविधाएं मुहैया कराएगी। इससे इन नए जिलों में रहने वाले आमजन को इन जिलों के गठन का लाभ वास्तविक रूप में मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि अब जिला परिषदों, पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों का भी पुनर्गठन किया जाएगा।
कांग्रेस का आंदोलन का ऐलान
भजनलाल कैबिनेट द्वारा गहलोत राज में बनाए गए 9 जिले समाप्त किए जाने की घोषणा के बाद कांग्रेस ने कहा कि यह जनविरोधी फैसला है. कांग्रेस इस फैसले के खिलाफ एक जनवरी से राजस्थान में सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करेगी. इस बात की जानकारी गोविंद सिंह डोटासरा ने प्रेस कॉफ्रेंस में दी.
टीकाराम जूली बोले- राजनीतिक प्रतिशोध के कारण नए जिले को खत्म कर रही भाजपा सरकार
भजनलाल सरकार ने गहलोत राज में बने राजस्थान के 9 जिलों को समाप्त कर दिया है. इस फैसले पर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली की प्रतिक्रिया सामने आई है. हालांकि उनकी प्रतिक्रिया कैबिनेट बैठक के दौरान की है. उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा- मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार राजस्थान की भाजपा सरकार कैबिनेट बैठक में राजनीतिक प्रतिशोध के कारण कई नए जिलों को समाप्त करना चाहती हैं. राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है, और पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने जनता के लिए कम दूरी पर प्रशासनिक कार्य उपलब्ध करवाने के लिए नए जिले बनाए थे. यह कदम लोगों को उनके घरों के निकट प्रशासनिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए उठाया गया था, जिससे उन्हें अपने कामों को आसानी से और जल्दी निपटाने में मदद मिली.
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जी ने भी मुख्यमंत्री रहते हुए विधानसभा में अपने भाषणों में छोटी और नई प्रशासनिक इकाइयों के पक्ष में बात रखी थी. प्रतापगढ़ जैसा छोटा जिला भाजपा की सरकार के कार्यकाल में ही बना था, जो यह दर्शाता है कि भाजपा भी छोटे जिलों के महत्व को समझती है. नए जिलों से वहां की जनता को जो सहूलियत हुई है, उसे भाजपा सरकार क्यों खत्म करना चाहती है? यह निर्णय लोगों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है और उनकी दूरी प्रशासनिक केंद्रों से बढ़ा सकता है.
मुख्यमंत्री जी, नए वर्ष की शुरुआत होने वाली है, और यह समय नई सोच और विकास की दिशा में कदम बढ़ाने का है. नए जिलों को खत्म करने से न केवल लोगों को परेशानी होगी, बल्कि यह कदम विकास की दिशा में एक कदम पीछे की ओर भी हो सकता है. इसलिए, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप इस मामले में गहराई से विचार करें और जनता के हित में निर्णय लें.