दीपक कुमार त्यागी
नियम विरुद्ध आवंटित जीडीए की संपत्तियों के आवंटन के निरस्त होने से जीडीए को होगा लगभग 20 करोड़ का लाभ, अपनी दमदार कार्यशैली से वीसी अतुल वत्स जीडीए को करेंगे दोबारा मालामाल।
गाजियाबाद : नियम विरुद्ध संपत्तियों के आवंटन के निरस्त होने जीडीए में हुआ बड़ा धमाल। उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के समक्ष योजित जनहित याचिका संख्या – 41773/2012 एवं प्रमुख सचिव, आवास एवं शहरी नियोजन विभाग, उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ द्वारा ‘‘गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अन्तर्गत विधायकगण हेतु आरक्षित भूखण्डों को नियम विरूद्ध अन्य व्यक्तियों को आवंटित किये जाने के सम्बन्ध में’’ आयोजित बैठक में दिये गये निर्देशों के क्रम में इन्दिरापुरम योजना में किये गये भूखण्ड आवंटन में जांच एवं परीक्षण हेतु उच्च स्तरीय समिति गठित की गयी थी। समिति की जॉच आख्या एवं तत्क्रम में की गयी अनुशंसा के क्रम में उपाध्यक्ष, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के द्वारा निम्नानुसार भूखण्डों को निरस्त कर दिया गया है –
1- भूखण्ड संख्या-जी0के0-।।/161, इन्दिरापुरम, गाजियाबाद। उपरोक्त भूखण्ड को वैशाली योजना स्कीम कोड संख्या-592-11ए-06 आवंटन पत्र संख्या-2964 के अन्तर्गत एच0आई0जी0 रचना श्रेणी के आरक्षित भवन के परिवर्तन से इन्दिरापुरम भूखण्ड योजना में भूखण्ड संख्या जी0के0-।।/161, इन्दिरापुरम आवंटित कर दिया गया। आवंटी धर्म सिंह यादव तत्कालीन सचिव श्याम सिंह के पारिवारिक सदस्य होने के कारण विशेष भूखण्ड आवंटित करना न केवल अनियमित व अवैधानिक था, अपितु इसे अनाधिकृत लाभ पहुंचाये जाने की चेष्टा माना जायेगा। इस कारण भूखण्ड का आवंटन निरस्त किया गया।
2- भूखण्ड संख्या-जी0के0-।।/192, इन्दिरापुरम, गाजियाबाद। उपरोक्त भूखण्ड को भवन संख्या-एस0के0-।।, 277 बी/278 बी एल0आई0जी0 इन्दिरापुरम से परिवर्तित किया गया है। आवंटी भवन के विरूद्ध जमा धनराशि का उपयोग दोनो सम्पत्तियों के सापेक्ष करते हुए आवंटी द्वारा उक्त प्रकरण में जांच प्रचलित होने से पूर्व प्राधिकरण के समक्ष उपस्थित होकर कभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं की गयी है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि आवंटी प्राधिकरण को धोखा देकर हानि पहुंचाते हुए भवन एवं भूखण्ड दोनों की रजिस्ट्री अपने पक्ष में कराना चाहते थे। प्रकरण में सन्दर्भित भूखण्ड के आवंटन को अनियमित एवं कथित पाये जाने के कारण आवंटन प्रथम दृष्टया निरस्त किये जाने योग्य पाया गया। आयुक्त मेरठ मण्डल, मेरठ द्वारा अपनी जांच आख्या में पूर्व में उल्लेखित किया था कि वर्ष-1997 के लगभग 07 वर्ष के उपरान्त किस प्रकार परिवर्तन किया गया, यह स्पष्ट नहीं है तथा किसी व्यक्ति विशेष को, जो तत्कालीन सचिव श्याम सिंह की पत्नी हों, विशेष भूखण्ड आवंटित करना न केवल अनियमित व अवैधानिक था, अपितु इसे अनाधिकृत लाभ पहुंचाये जाने की चेष्टा माना जायेगा।
3- भूखण्ड संख्या-जी0के0-।।/194, इन्दिरापुरम, गाजियाबाद। उपरोक्त भूखण्ड को हस्तिानापुरम आवासीय योजना केे प्राधिकरण के तत्कालीन कार्मिकों द्वारा अपरिहार्य कारणों के निरस्त कर दिये जाने के उपरान्त परिवर्तन किये जाने का दावा प्रथम दृष्टया बलहीन व निराधार होने के कारण निरस्त किया गया। प्रश्नगत भूखण्ड में प्रस्तत असत्य/कूटरचित अपंजीकृत पॉवर ऑफ अटोर्नी के माध्यम से श्रीमती सरला यादव द्वार भूखण्ड की रजिस्ट्री कराने का असफल प्रयास किया जा रहा था। अतः फर्जी पावर ऑफ अटार्नी होने के कारण एवं मण्डलायुक्त, मेरठ की जांच आख्या दिनांक 19.04.2011 के आधार पर भूखण्ड का आवंटन निरस्त किया जाता है।
4- भूखण्ड संख्या-जी0के0-।।/195, इन्दिरापुरम, गाजियाबाद। उपरोक्त भूखण्ड को हस्तिानापुरम आवासीय योजना केे प्राधिकरण के तत्कालीन कार्मिकों द्वारा अपरिहार्य कारणों के निरस्त कर दिये जाने के उपरान्त परिवर्तन किये जाने का दावा प्रथम दृष्टया बलहीन व निराधार होने के कारण निरस्त किया गया। प्रश्नगत भूखण्ड में प्रस्तत असत्य/कूटरचित अपंजीकृत पॉवर ऑफ अटोर्नी के माध्यम से श्री राजेश भारद्वाज द्वारा भूखण्ड की रजिस्ट्री कराने का असफल प्रयास किया जा रहा था। अतः फर्जी पावर ऑफ अटार्नी होने के कारण एवं मण्डलायुक्त, मेरठ की जांच आख्या दिनांक 19.04.2011 के आधार पर भूखण्ड का आवंटन निरस्त किया जाता है।
5- भूखण्ड संख्या-जी0के0-।।/196, इन्दिरापुरम, गाजियाबाद। उपरोक्त भूखण्ड को हस्तिानापुरम आवासीय योजना केे प्राधिकरण के तत्कालीन कार्मिकों द्वारा अपरिहार्य कारणों के निरस्त कर दिये जाने के उपरान्त परिवर्तन किये जाने का दावा प्रथम दृष्टया बलहीन व निराधार होने के कारण निरस्त किया गया। प्रश्नगत भूखण्ड की जांच में यह तथ्य सामने आया कि भूखण्ड के तथाकथित आवंटी सुरेन्द्र कुमार जुनेजा की मृत्यु दिनांक 11.07.1995 को हो जाने के उपरान्त उनके स्थान पर किसी अन्य फर्जी व्यक्ति को पेश करते हुए मुख्तारे-आम धारक/दावाकर्ता राजेश भारद्वाज द्वारा अपने पक्ष में भूखण्ड का जी0पी0ए0 पंजीयन कार्यालय सीलमपुर, दिल्ली में दिनांक 14.06.2004 को पंजीकृत कराया गया जबकि मुख्तारे-आमकर्ता सुरेन्द्र कुमार जुनेजा की मृत्यु दिनांक 11.07.1995 को ही हो गयी थी।
6- भूखण्ड संख्या-जी0के0-।।/197, इन्दिरापुरम, गाजियाबाद। उपरोक्त भूखण्ड का परिवर्तन कर्पूरीपुरम आवासीय योजना के समाप्त होने के 14 वर्ष उपरान्त परिवर्तन किये जाने का दावा प्रथम दृष्टया बलहीन व निराधार होने के कारण निरस्त किया गया।
7- भूखण्ड संख्या-जी0के0-।।/200, इन्दिरापुरम, गाजियाबाद। उपरोक्त भूखण्ड को भवन संख्या-एन0के0-।।।/460 एच0आई0जी0 डूप्लैक्स इन्दिरापुरम से परिवर्तित किया गया है। आवंटी भवन के विरूद्ध जमा धनराशि का उपयोग दोनो सम्पत्तियों के सापेक्ष करते हुए आवंटी/आवंटी के वारिसान द्वारा उक्त प्रकरण में जांच प्रचलित होने से पूर्व प्राधिकरण के समक्ष उपस्थित होकर कभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं की गयी है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि आवंटी प्राधिकरण को धोखा देकर हानि पहुंचाते हुए भवन एवं भूखण्ड दोनों की रजिस्ट्री अपने पक्ष में कराना चाहते थे। प्रकरण में सन्दर्भित भूखण्ड के आवंटन को अनियमित एवं कथित पाये जाने के कारण आवंटन प्रथम दृष्टया निरस्त किये जाने योग्य पाया गया। आयुक्त मेरठ मण्डल, मेरठ द्वारा अपनी जांच आख्या में पूर्व में उल्लेखित किया था कि वर्ष-1997 के लगभग 07 वर्ष के उपरान्त किस प्रकार परिवर्तन किया गया, यह स्पष्ट नहीं है तथा किसी व्यक्ति विशेष को, जो तत्कालीन सचिव श्याम सिंह के भाई हों, विशेष भूखण्ड आवंटित करना न केवल अनियमित व अवैधानिक था, अपितु इसे अनाधिकृत लाभ पहुंचाये जाने की चेष्टा माना जायेगा।
इसके अतिरिक्त एक अन्य भूखण्ड संख्या-जी0के0-।।/193, इन्दिरापुरम, गाजियाबाद मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के समक्ष विचाराधीन होने के कारण मा0 न्यायालय को समस्त तथ्यों से अवगत कराते हुए अग्रेत्तर कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया है।