बिहार चुनाव 2025: दरभंगा गालीकांड और केरल ‘बीड़ी विवाद’ ने महागठबंधन की मुश्किलें बढ़ाईं

Bihar Elections 2025: Darbhanga abuse case and Kerala 'bidi controversy' increased the problems of the Grand Alliance

अजय कुमार

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है, और सियासी माहौल में उबाल आ गया है। जैसे-जैसे अक्टूबर-नवंबर में होने वाले इस महासमर की तारीखें नजदीक आ रही हैं, राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को और धार दे रहे हैं। इस बीच, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ और उनके ‘हाइड्रोजन बम’ वाले बयान ने जहां विपक्ष को नया जोश देने की कोशिश की, वहीं केरल कांग्रेस की एक सोशल मीडिया पोस्ट और दरभंगा रैली में हुए गालीकांड ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने इन विवादों को बिहार की अस्मिता से जोड़कर महागठबंधन को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

बिहार का चुनावी रण हमेशा से ही देश की सियासत का केंद्र रहा है। 243 सीटों वाली विधानसभा में इस बार मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और महागठबंधन के बीच बेहद कड़ा होने वाला है। नीतीश कुमार की अगुआई में एनडीए, जिसमें भाजपा, जेडीयू, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा शामिल हैं, अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटा है। वहीं, महागठबंधन में कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), और अन्य सहयोगी दल मिलकर सत्ता पर काबिज होने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी और आम आदमी पार्टी (आप) के सभी 243 सीटों पर अकेले लड़ने के ऐलान ने सियासी समीकरणों को और उलझा दिया है।

राहुल गांधी ने अपनी ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के जरिए बिहार में नया सियासी नैरेटिव बनाने की कोशिश की। 16 दिन की यह यात्रा 1300 किलोमीटर का सफर तय करते हुए 20 जिलों से गुजरी और 1 सितंबर 2025 को पटना के गांधी मैदान में एक विशाल रैली के साथ खत्म हुई। इस यात्रा का मकसद था मतदाताओं को उनके वोट के अधिकार के प्रति जागरूक करना और चुनाव आयोग की मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं को उजागर करना। राहुल ने अपनी रैलियों में ‘वोट चोरी’ का मुद्दा जोर-शोर से उठाया। उन्होंने दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र, हरियाणा जैसे राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा और चुनाव आयोग ने मिलकर वोटर लिस्ट में हेरफेर किया। खास तौर पर, उन्होंने कर्नाटक के बेंगलुरु साउथ की महादेवपुरा सीट का जिक्र किया, जहां उनके मुताबिक एक लाख से ज्यादा फर्जी वोटर थे। इसे उन्होंने ‘एटम बम’ करार दिया और अब वाराणसी सहित 48 अन्य सीटों पर ‘हाइड्रोजन बम’ फोड़ने की बात कही।

पटना की रैली में राहुल ने कहा, “माधवपुरा में हमने एटम बम दिखाया था, अब बिहार में हाइड्रोजन बम दिखाएंगे। इसके बाद नरेंद्र मोदी जी जनता का सामना नहीं कर पाएंगे।” उनका यह बयान न केवल चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि महागठबंधन बिहार में भावनात्मक और तकनीकी मुद्दों को मिलाकर एक मजबूत नैरेटिव बनाना चाहता है। यात्रा में तेजस्वी यादव, मल्लिकार्जुन खरगे, और अखिलेश यादव जैसे नेताओं की मौजूदगी ने इसे और भव्य बनाया। लेकिन इस सियासी जोश को उस वक्त झटका लगा, जब दरभंगा में राहुल और तेजस्वी के मंच से कुछ कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत मां के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया।

28 अगस्त 2025 को दरभंगा में हुई इस घटना का वीडियो वायरल हो गया। भाजपा ने इसे तुरंत मुद्दा बनाया और इसे बिहार की मातृ-पूजा की संस्कृति पर हमला बताया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे ‘घुसपैठिया बचाओ यात्रा’ करार दिया, जबकि भाजपा सांसद संबित पात्रा ने कहा, “कांग्रेस अब गांधी जी की पार्टी नहीं, गाली वाली पार्टी बन गई है।” इस घटना ने विपक्ष को बैकफुट पर ला दिया। हालांकि, महागठबंधन ने स्पष्ट किया कि अपशब्दों के वक्त राहुल और तेजस्वी मंच पर मौजूद नहीं थे, लेकिन बिहार की भावनात्मक जनता के बीच इसने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया। भाजपा ने इसे और भुनाने के लिए 4 सितंबर को बिहार बंद का आह्वान किया, जिसमें उनकी महिला मोर्चा ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया।

इस गालीकांड का असर अभी थमा भी नहीं था कि केरल कांग्रेस की एक सोशल मीडिया पोस्ट ने नया तूफान खड़ा कर दिया। 5 सितंबर 2025 को केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आधिकारिक X हैंडल से एक पोस्ट की गई, जिसमें लिखा था, “बीड़ी और बिहार दोनों ‘ब’ से शुरू होते हैं। अब इसे पाप नहीं माना जा सकता।” यह पोस्ट केंद्र सरकार के जीएसटी सुधारों पर तंज थी, लेकिन बिहार की तुलना ‘बीड़ी’ से करना स्थानीय लोगों को नागवार गुजरा। भाजपा और जेडीयू ने इसे बिहार की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान पर हमला बताया। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, “पहले कांग्रेस ने पीएम की मां का अपमान किया, अब पूरे बिहार का। यह उनका असली चरित्र है।” जेडीयू के नीरज कुमार ने इसे बिहारियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करार दिया।

केरल कांग्रेस ने पोस्ट हटाकर माफी मांग ली और कहा कि यह उनका आधिकारिक रुख नहीं था, लेकिन तब तक नुकसान हो चुका था। तेजस्वी यादव ने भी इस पर माफी की मांग की, लेकिन यह विवाद महागठबंधन की एकता को कमजोर करने वाला साबित हुआ। बिहार की जनता, जो अपनी सांस्कृतिक अस्मिता के प्रति बेहद संवेदनशील है, इस तरह की टिप्पणियों को आसानी से बर्दाश्त नहीं करती। भाजपा ने इसे बिहार के सम्मान का मुद्दा बनाकर विपक्ष को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

चुनाव आयोग पर राहुल के आरोपों ने भी सियासी माहौल को और गर्म कर दिया। उन्होंने दावा किया कि 65.5 लाख वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए, जिसे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने ‘लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया। चुनाव आयोग ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि मतदाता सूची की जांच में गलतियों को ठीक करने का मौका सभी दलों को दिया जाता है। आयोग ने राहुल से हलफनामा देकर अपने दावों को साबित करने को कहा, अन्यथा माफी मांगने की बात कही। लेकिन राहुल ने इस मुद्दे को और जोर-शोर से उठाया, जिससे सियासी तनाव बढ़ गया।

बिहार की सियासत में ये विवाद महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। राहुल की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने शुरू में जनता के बीच जोश भरा था, लेकिन गालीकांड और ‘बीड़ी’ विवाद ने उनके नैरेटिव को कमजोर कर दिया। दूसरी ओर, एनडीए अपनी कल्याणकारी योजनाओं और भावनात्मक मुद्दों के जरिए जनता को लुभाने में जुटा है। नीतीश कुमार की सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के मोर्चे पर कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन पलायन, बेरोजगारी, और अपराध जैसे मुद्दे अब भी बिहार के लिए बड़ी चुनौती हैं।

आने वाले चुनावों में महागठबंधन को अपनी रणनीति को फिर से मजबूत करना होगा। राहुल गांधी को ‘वोट चोरी’ के अपने दावों को ठोस सबूतों के साथ पेश करना होगा, ताकि जनता का भरोसा जीता जा सके। वहीं, भाजपा और जेडीयू को अपनी एकजुटता और विकास के एजेंडे को जनता के सामने रखना होगा। बिहार की जनता के लिए यह चुनाव केवल सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि उनके भविष्य का सवाल है। क्या राहुल का ‘हाइड्रोजन बम’ वास्तव में सियासी धमाका करेगा, या केरल का ‘बीड़ी बम’ और गालीकांड विपक्ष की राह में और बड़ी रुकावट बन जाएंगे? यह देखना दिलचस्प होगा।