बॉलीवुड में बिहारी : बुरा ना मानो होली है

Bihari in Bollywood: Don't mind, it's Holi

विनोद कुमार विक्की

‘ढ़ाक के तीन पात’ पत्रिका के वरिष्ठ पत्रकार गोबरधन पत्रिका के होली विशेषांक ‘होली का हुड़दंग फिल्मी सितारों के संग’ हेतु फिल्मी हस्तियों का इंटरव्यू लेने बिहार से मुंबई पहुँचा।

सर्वप्रथम वह बिग बी के बंगले पर पहुँचा। काफी प्रतीक्षा के बाद ‘प्रतीक्षा’में उनका स्वागत चिर-परिचित अंदाज़ में स्वयं बिग बी ने किया-“देवियों और सज्जनों हमारे सामने हाॅट सीट पर है बिहार के गोबरधन निराला जो पेशे से…”

“सर…सर ! यह केबीसी का सेट नहीं यह आपका घर है और यहाँ आप नहीं बल्कि प्रश्न हम पूछेगें।”गोबरधन ने बीच में टोकते हुए कहा।

“ओह…क्षमा करें गोबरधन जी, फ्लो-फ्लो में निकल गया…कोई नहीं, चलिए हम और आप मिलकर शुरू करते है अद्भुत इंटरव्यू जिसका नाम है ‘होली के हुड़दंगपति।’ बिग बी भूल सुधार करते हुए बोले।

“क्या सर आप भी पूरी तरह से कैरेक्टरवे में घुस जाते है…खैर यह बताइए कि होली पर आपकी क्या योजना है? ” गोबरधन ने ध्यान आकर्षित करते हुए पूछा।

बिग बी तुनक कर बोले-“कमाल करते हैं भाईसाहब आप भी ! योजना तो मोदीजी और शाह जी बनाते है हमलोग तो सिर्फ उस पर अमल करते है।”

“का सर सुबहे सुबह भांग पी लिए है का… हम होली के प्रोग्राम या योजना के बारे में पूछ रहे है और आप राष्ट्रीय योजना में उलझ गए।” गोबरधन ने बिग बी को प्रश्न की प्रकृति समझाई।

बिगबी(दिमाग पर जोर देते हुए)-” ओह…एक बार फिर क्षमा चाहूँगा…ऐसा है भाई साहब होली तो हमारी उन दिनों मनती थी तब रंग भी बरसता था और चूनरवाली भी भींगती थी…आहा…मत पूछो क्या लौंगा-इलायची का बीड़ा लगता था और गोरी के संग में उसका यार झूमता था, पति महोदय तो साइड से देखते रहते थे… अब तो बस रघुवीरा ही होली खेलते है वो भी अवध में…..(बिग बी इधर-उधर देखते हुए धीरे से बोले) वो भी एक ‘सिलसिला’ था भैया अब तो बस ‘बागबान’ है …उस पर स्वच्छ भारत अभियान…अब रंग गुलाल से सड़कों व दीवारों को क्या गंदा करना और फिर दो गज की दूूूरी भी जरूरी है।”

“तो क्या आप होली नहीं मनाएंगे?”गोबरधन ने फिर पूछा।

बिग बी-“हईं … हमने ऐसा कब कहा, बस होली का कोई खास अरेंजमेंट नहीं है,सो इस बारे मे आपको विशेष बता नहीं सकते…”

“तो सर पनामा पेपरवे के बारे में ही कुछ बता दीजिए!” बीच में टोकते हुए गोबरधन बोल पड़ा।

बच्चन साहब एंग्री यंग मैन बनते हुए गोबरधन का काॅलर पकड़ चिल्लाए “जब तक पूछने को कहा नहीं जाय अनाप-शनाप कुछ भी नहीं पूछ सकते ये प्रतीक्षा है रेलवे का प्रतीक्षालय नहीं।”

“जी…जी समझ गए अब कुछ नहीं पूछेंगे” फिर इधर उधर नजर दौड़ाते हुए गोबरधन बोला-” वो ‘सर जी’ नजर नहीं आ रहे हैं!”
बिग बी-“कौन अभिषेक,वो प्रयागराज गया था कुंभ नहाने लगता है रंग गुलाल लेकर लौटेगा। “

गोबरधन टोकते हुए “नहीं सर मेरा आशय वो नहीं था मैं तो ये कह रहा था कि ‘सर जी’ आजकल ना तो टीवी पर और ना ही फिल्मों में कहीं भी नजर नहीं आ रहे ! “

बिग बी(झेंपते हुए)-“अच्छा गोबरधन जी मुझे भी आराध्या के लिए पिचकारी लाने जाना है ओके ‘हैप्पी होली’।” इतना बोल बिग बी घर के अंदर चले गए।

गोबरधन प्रतीक्षा से बाहर निकले तो उनकी नजर बिहारी बाबू पर पड़ गई।

‘राम-राम भैया’ बोलते हुए गोबरधन ने शॉटगन को रोका।

“अरे आओ भाई गोबरधन बड़े दिनों बाद…क्या मुझसे कोई काम है।” बिहारी बाबू ने मुस्कुराते हुए गोबरधन को जवाब दिया।
गोबरधन बोला-“भैया जी होली के मौके पर फिल्म स्टारों का इंटरव्यू लेने निकला हूँ आप पर नजर पड़ गई सोचा क्यों ना आपसे भी कुछ पूछ लूंँ, वैसे भी आप कब कौन सी पार्टी के बिहार या बंगाल निकल जाए कहना मुश्किल है।”

शाॅटगण (गुस्से में)-“खा..मोश! झाड़ू को आप कहते है बीजेपी को कमल छाप कहते है और जो पवन सिंह की पार्टी का विरोध करे उसे सोनाक्षी का बाप कहते है…बंद करो अपनी बकवास।”

गोबरधन(हाथ जोड़कर) सर! बिहारी-बिहारी भाई-भाई! हम पर काहे गुसियाते है!आप तो बस ऐतना ही बताइए कि होली पर आपकी क्या योजना है!”

शत्रुघ्न (निराश भाव से हाथों को आपस में फंसाते हुए) -” क्या खाक योजना रहेगी। विपक्षी पार्टी ने तो रंग में ही भंग डाल दिया है पहले होली मतलब होता था लाल,गुलाबी,हरा,काला,पीला लेकिन पार्टी पर तो बस एक ही रंग सवार है भगवा। अब तुम ही बताओ भाई तुम तो हमारे जिला जवार के हो केवल भगवा रंग से रंगीली होली कैसे मनेगी हम कुछ कहते हैं, तो विपक्षी सास-बहू की तरह पेश आती है मेरे साथ…वो ताली और थाली बजाए तो ठीक हम गाल बजाए तो विरोधी। “कहते हुए शत्रुघ्न साहब का हाथ आपस मे लाॅक हो गया।

गोबरधन (गंभीर होते हुए)-“बात में तो दम है सर एक बिहारी सब पर भारी…खैर अब चलते हैं,थलाइवा के पास उनसे भी थोड़ी जानकारी ले लूँ। इतना कह गोबरधन वहाँ से विदा हुआ।

पीछे से टोकते हुए शत्रुघ्न बोले-“अरे सुनो! रास्ते में अगर श्याम मिले तो कहना…”

“जी समझ गया कह दूंँगा कि छेनू मिला था।”बीच में ही बात काटते हुए गोबरधन बोल पड़ा।

शत्रुघ्न(झुंझलाहट में)-“अबे चपड़गंजू पूरी बात तो सुन लिया कर… श्याम से कहना हैप्पी होली।”

शाॅटगण से छूटकर गोबरधन थलाइवा के पास पहुँचा।

‘अन्ना नमस्कार! क्या सब प्रोग्राम है होली का…’ अभिवादन करते हुए गोबरधन पूछ बैठा।

रजनी(मुस्कुराते हुए)-” गोबरधन भाई अब तो हमारी होली और दिवाली चुनाव में ही मनेगी। बहोत करप्सन फैला दिया है सभी पार्टी के नेताओं ने इंडिया में। इसलिए तो रजनी राजनीति में इन कर गया है।”

गोबरधन(उत्सुकता से)-“तो सर आप किसी पार्टी को समर्थन नहीं देंगे !”

अन्ना-“भाई समर्थन का तो पता नहीं,लेकिन होली की शुभकामनाएं सभी को देंगे ‘हैप्पी होली फ्राम थलाइवा।”

इतना बोल अन्ना ने सिगरेट हवा में उछाल कर मुंह खोला। काफी देर तक इंतजार करने के बाद भी सिगरेट मुंह तक नहीं आई।

अन्ना और स्टंट से प्रभावित गोबरधन ने जब ऊपर की ओर नज़रें दौड़ाई तो देखा सिगरेट मकड़ी के जाला में फंसी हुई थी।

गोबरधन अन्ना से फ्री होकर ड्रीम गर्ल के घर पहुँचा और वहीं प्रश्न दुहराया।

हेमा-“यूँ कि होली तो बीरू के साथ रामगढ़ में ही मनाई थी। मज़ा आ गया था अब ना तो गब्बर है, ना ठाकुर कोरोना का आतंक अलग है। चूँकि कैंट का सारा पानी हैंडवाश में ही बह जाता है इसलिए इस बार हमलोग सोशल डिस्टैंशिग अपनाते हुए बिना रंग के आर.ओ. केन्ट के फ़िल्टर पानी से ही कलरलेस होली खेलेंगे।सेहत व स्वच्छता दोनों बनीं रहेगी और कंपनी के साथ पेटेंट भी।”

हेमा जी के बाद गोबरधन नाना पाटेकर के बंगले पर पहुँचा। गोबरधन कुछ बोलता इससे पहले ही नाना हाथों को सिर के पीछे ले जाकर नचाते हुए चिल्लाने लगे-“आ गए कापी-कलम उठाकर इंटरव्यू लेने… कलम वाली बाई गई नहीं कि झोला वाले भैया मुंह उठाकर पहुँच गए…अच्छा है, तुम भी पूछो होली में मैं क्या करूँगा, कैसे करूँगा, कहाँ करूँगा… अरे काहे की होली… कैसी होली…”

गोबरधन ने डरते हुए उनसे पूछा- ‘सर आपको होली से इतनी एलर्जी क्यों है?’

नाना (हाथों को हिलाते हुए)-“अरे घंटा होली…मुझे शिकायत तो इस सिस्टम से है … ‘सौ में अस्सी बेईमान फिर भी मेरा देश महान’ दिमाग का दही कर दिया है इन नेताओं ने…गरीबी,बेरोजगारी,भ्रष्टाचार को छोड़कर मंदिर-मस्जिद,बीफ,तलाक,गंगा गाय की पूँछ पकड़े बैठे है…महंगाई आतंकवाद की तरह बढ़ रही है, किसी को चिंता नहीं देश की…” थोड़ी देर रूकने के बाद भावुक नाना आगे बोले, बरामदे वाली दीवार की पेंटिंग नहीं करवा पाया था पेंट सामग्री पर हाय जी एस टी के कारण। सोचा होली में कई रंगों से खुद-ब-खुद रंगा जाएगा…लेकिन यहाँ तो दो ही रंग आपस में वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहा है एक हरा, दूसरा भगवा।

एक कहता है मेरा धरम खतरे में है दुसरा ‘मेरा धरम महान है’ बोलकर अपनी पीठ थपथपाता है…अरे काहे का धरम कैसा खतरा! ये लो ये भगवा गुलाल और ये हरा गुलाल दोनों को मिला दिया अब बता कलम वाले भाई कौन सा गुलाल हिंदू का और कौन सा मुस्लिम का?”(भगवा और हरा गुलाल को आपस में मिलाते हुए ) नाना गोबरधन से पूछ बैठे।

नाना के यक्ष प्रश्न को सुन गोबरधन निरूत्तर हो गया। मौके की नज़ाकत को समझते हुए ‘बुरा ना मानो होली है’ बोलते हुए चुपचाप खिसक लिया।