बिरला ने साबित किया कि वाकई वे बिरले हैं…

Birla proved that he is indeed rare…

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

18वीं लोकसभा के प्रथम सत्र में एक शख्स ओम बिरला ने फिर से अपनी मुस्कराहट भरे अंदाज़ से सभी का मन मोह लिया और लगातार दूसरी बार लोकसभाध्यक्ष बनने में सफल होकर एक और इतिहास बनाया।प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपने उद्बोधन में ओम बिरला की मुस्कराहट का जिक्र किया और बताया कि ओम बिरला से पहले राजस्थान से ही चुने गये दिवंगत बलराम जाखड़ ऐसे व्यक्ति थे जिहोने लगातार दूसरी बार लोकसभाध्यक्ष बनने का गौरव हासिल किया था। वैसे लोकसभा में 18 में से छह ही अध्यक्ष ऐसे है जो दुबारा अध्यक्ष बने हैं।

लोकसभाध्यक्ष बनने पर ओम बिरला के व्यक्तित्व एयर कृतित्व पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित विभिन्न दलों के नेताओं ने कहा कि सदन की कार्यवाही का संचालन करते हुए बिरला जी ने न केवल सभी माननीय सदस्यों का मन मोहा हैं, वरन एक नई इबारत भी लिखी हैं I नया संसद भवन इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं।

18वीं लोकसभा के लिए ओम बिरला को बुधवार को स्पीकर चुना गया है। ध्वनिमत से वह लोकसभा अध्यक्ष चुने गए। प्रतिपक्ष ने उनके नाम का विरोध नहीं किया। सदन के प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब ने ध्वनिमत से ओम बिरला के लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने की घोषणा की।विपक्षी दलों की तरफ से मत विभाजन की मांग नहीं की गई, जिसके बाद बिरला को ध्वनिमत से ही अध्यक्ष चुन लिया गया।स्पीकर के लिए पीएम मोदी ने सदन में ओम बिरला के नाम का प्रस्ताव पेश किया। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ ही ललन सिंह समेत कई दिग्गजों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया।ओम बिरला को जब अध्‍यक्ष चुना गया, तो इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी और नेता विपक्ष राहुल गांधी उनकी सीट तक गए।इस दौरान पीएम मोदी और राहुल गांधी ने हाथ मिलाया. यह एक ऐतिहासिक पल था।

इस असाधारण व्यक्तित्व वाले शख्स ओम बिरला ने लोकसभा अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी मिलने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों के अनुरूप प्रभावी ढंग से सदन को शांतिपूर्ण एवं अनुशासित ढंग से चला कर वर्षो बाद एक ही सत्र में लोकसभा की कार्यवाही देर रात तक रिकॉर्ड समय तक चलवाने और कोविड काल में भी निर्बाध रूप से चलाने का असाधारण काम किया I साथ ही एक साथ कई विधेयक पारित करवा एक नया इतिहास भी रचा हैं I गौरवान्वित करने वाली बात यह रही कि कई बार हंगामे की वजह से सदन को प्रायः स्थगित नहीं करना पड़ा I प्रायः ज़बरदस्त शोरगुल और हंगामे में डूबे रहने वाले सदन को बिरला ने निष्पक्षता के साथ चला कर सभी सदस्यों को विशेष रूप से कम संख्या वाले दलों को पर्याप्त समय देने व पहली बार चुन कर आये सांसदों को बोलने का हरसंभव अवसर प्रदान करने के अपने वायदे के अनुसार देर रात तक लोकसभा की कार्यवाही चला कर और स्वयं भी मध्य रात्रि तक सदन में बैठ कर पूरा कर दिखाया I ऐसे दृढ संकल्प के कारण ही लोकसभा के पिछलें सत्र में निर्वाचित 46 महिला सांसदों में से अधिकांश महिला सांसदों को बोलने का मौका मिल सका I

बिरला ने अपने निवार्चन की सार्थकता को सिद्ध करते हुए 17वीं लोकसभा के पहले ही सत्र में,जो कि मानसून सत्र के साथ-साथ बजट सत्र भी था,में अपनी कार्य कुशलता व सद्व्यवहार के साथ ही नियमों एवं प्रकियाओं की पालना करवाने के सख्त रवैये पर कायम रहते हुए सदन में अनुशासन बनाएं रख अपनी अमिट छाप छोड़ी हैं I विनम्रता इतनी की इस उपलब्धि का श्रेय भी उन्होंने सत्ता पक्ष एवं प्रतिपक्ष के सदस्यों को देते हुए कहा कि सदन हमेशा बहुमत से नहीं , वरन सर्वसम्मति से ही चलता है I उन्होंने लोकसभा के पहले ही सत्र को 1952 से लेकर अब तक का सबसे स्वर्णिम सत्र की संज्ञा भी दी I

इसलिए यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि बिरले ही लोग विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के इस मंदिर भारतीय संसद के प्रमुख सेवक बनते है I ओम बिरला जैसे जन प्रतिनिधि इसके ज्वलन्त उदाहरण हैं। लोकसभा अध्यक्ष के रूप में बिरला के पिछलें सत्र के पाँच वर्ष और 18वीं लोकसभा के आने वाले पाँच साल एक नया इतिहास लिखेंगे।

प्रधानमंत्री ने की ज़बरदस्त प्रशंसा

चौकाने वाले फैसलों के लिए विख्यात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी जोहरी जैसी पारखी नज़रों से ओम बिरला को लोकसभाध्यक्ष के संवैधानिक उच्च पद के लिए पिछली बार जान खोज निकाला था तब उनके सर्वसम्मति से निर्विरोध हुए निर्वाचन अवसर पर बधाई देते हुए देश के सामने ओम बिरला के विलक्षण व्यक्तित्व एवं कृतित्व की ज़बरदस्त शब्दों में भूरी- भूरी प्रशंसा की थी।उस बार भी मौदी ने उसी शैली में उनकी प्रशंसा की।

सक्रिय जननेता

लोकप्रिय नेता ओम बिरला राजस्थान के हाड़ौती अंचल कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र से लगातार तीसरी बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं । वह इस संवैधानिक पद लोकसभाध्यक्ष पर बैठने वाले राजस्थान के मूल के पहले जननेता हैं, हालांकि इससे पूर्व राजस्थान से निर्वाचित बलराम जाखड़ भी लोकसभाध्यक्ष रहे है, लेकिन वे राजस्थान मूल के नहीं होकर मूलतः पंजाब प्रान्त के निवासी थे । छात्र नेता के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले ओम बिरला स्नातकोत्तर है।करीब 63 वर्षीय बिरला के लिए कोटा उनकी जन्म एवं कर्मभूमि दोनों ही है । वे कोटा शहर से राजस्थान विधानसभा के लिए लगातार तीन बार 2003, 2008 और 2013 भी रहें एवं एक सक्रिय विधायक रहने के साथ-साथ विधानसभा में संसदीय सचिव भी रहे हैं । राजस्थान विधानसभा में सार्थक बहस के लिए उन्हें छह से अधिक बार ‘सदन के सितारे’ सूची में शामिल किया गया । बिरला ने कोटा में जन सेवा के अनेक अभिनव कार्यक्रम शुरू कर समाज के हर वर्ग का दिल जीता। तदुपरांत वे 2014 में 16 वीं लोकसभा और 2019 में 17वीं लोकसभा तथा इस हार 2024 के लिए लगातार तीसरी बार सांसद निर्वाचित हुए है। इसके पूर्व वे अपने दल भाजपा एवं संगठन में भी कई महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं दे चुके हैं।

अपने हर मतदाता और उनके परिवारजनों को जन्म दिवस एवं विशेष अवसरों पर बधाई एवं शुभकामनायें देना और संसदीय क्षेत्र में हर परिवार क़े घर में कोई अनहोनी होने या दुखद अवसर आने पर उसमें शामिल होकर शोक-संतप्त परिवार को ढांढस बंधवाना ओम बिरला को खास व्यक्तित्व का धनी बनाता हैं । उनके कार्यकर्ताओं की समर्पित टीम और क्षेत्र क़े विकास क़े लिए बिरला की ‘माइक्रो लेवल प्लानिंग’ भी देखने योग्य है । बिरला के भरे पूरे परिवार में पत्नी डॉक्टर अमिता बिरला और दो पुत्रियां अंजली एवं आकांक्षा हैं, जो कि उनके हर रचनात्मक काम में हाथ बंटाती हैं ।

बिरला ने राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलनो में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। भारत में जी 20 संसदीय सम्मेलन का सफल आयोजन कराया और कई देशों की यात्रा कर भारत के गौरव को बढ़ाया है।