प्रगतिशील जनवादी कवि इप्टा के सदस्य शैलेन्द्र का जन्म शताब्दी समारोह

  • दुर्ग में जनवादी लेखक संघ का आयोजन

राकेश बम्बार्डे

दुर्ग : सदी के महान प्रगतिशील जनवादी कवि और विश्व विख्यात फिल्मी गीतकार *शैलेन्द्र* के जन्म के सौ वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर जनवादी लेखक संघ दुर्ग और महामाया बुद्ध विहार कल्याण समिति कर्मचारी नगर दुर्ग के संयुक्त तत्वावधान में गीतकार और कवि शैलेन्द्र के कृतित्व और व्यक्तित्व पर आधारित एक शानदार वैचारिक गोष्ठी का आयोजन किया गया।

महामाया बौद्ध विहार कर्मचारी नगर दुर्ग के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में उपस्थित प्रसिद्ध साहित्यकार और आलोचक श्री *अजय चंद्रवंशी* ने फिल्म निर्माता शैलेन्द्र की कृति “तीसरी कसम” पर केन्द्रित अपना विहंगम वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि गीतकार शैलेन्द्र सौ फिल्मों में आठ सौ गाने लिखकर जितना सफल हुए उतना सफल फिल्म तीसरी कसम बनाने को लेकर नहीं हुए,यह एक बड़ी त्रासदी से कम नहीं है। उनका यह निर्णय वाकई आश्चर्य। चकित करने वाला है।

कार्यक्रम में उपस्थित देश के प्रसिद्ध साहित्यकार और वैज्ञानिक चिंतक और एक्टिविस्ट , कवि श्री *शरद कोकास* ने कवि शैलेन्द्र के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से व्याख्यान दिया। उन्होंने शैलेंद्र के प्रगतिशील लेखक संघ और इप्टा से जुड़ाव का इतिहास बताते हुए उनकी गैर फिल्मी साहित्यिक कविताओं का पाठ किया तथा उनकी कविता और उनके जीवन के प्रमुख बिंदुओं पर बात की।

देश के प्रसिद्ध कहानीकार और समीक्षक श्री *कैलाश बनवासी* ने गीतकार शैलेन्द्र के गीतों में “प्रेमाभिव्यक्ति और सामाजिक चेतना” विषय पर वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि गीतकार शैलेन्द्र की तमाम रचनाओं में लोक जीवन की सहज और निर्मल प्रेम की भीनी -भीनी महक दिखाई देती है वहीं उनके गीतों में सामाजिक जन चेतना को उद्वेलित करने वाली विद्रोही तत्व मौजूद रहे हैं।

भारत के जाने-माने व्यंग्यकार श्री *विनोद साव* ने मुख्य अतिथि के रूप में गीतकार शैलेन्द्र पर अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि गीतकार शैलेन्द्र एक महान जनवादी कवि और लेखक के रुप में उभरे थें जिन्होंने अपने भोगे हुए जीवन यथार्थ को बड़ी बेबाकी से अपनी रचनाओं में लिखा और लोगों को सोचने के लिए विवश किया।

अंतरराष्ट्रीय गज़लकार और प्रसिद्ध शायर श्री *मुमताज* ने सवाल उठाते हुए कहा कि गीतकार शैलेन्द्र ने आठ सौ से ज्यादा कालजयी गीतों को लिखा लेकिन उनको राष्ट्रीय स्तर का उचित सम्मान क्यों नहीं मिला? श्री मुमताज ने बताया कि शैलेन्द्र दर असल दलित समुदाय से आते थे इसी कारण उनके साथ ऐसा भयानक भेदभाव किया जाता रहा और आज भी किया जा रहा है जो कि उचित नहीं है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रसिद्ध साहित्यकार और आलोचक श्री *नासिर अहमद सिकंदर* ने अपने सारगर्भित भाषण में कहा कि गीतकार शैलेन्द्र की रचनाओं में व्यापक रूप से दलित चेतना का उभार स्पष्ट रूप से नजर आता है। उन्होंने शैलेन्द्र के विभिन्न गीतों का उदाहरण देते हुए बताया कि गीतकार अपनी रचनाओं में किस तरह से भारत के शोषित पीड़ित आम जनता की आवाज को स्पष्ट तौर पर सहज भाव से रखते हैं और भारतीय गीत परंपरा को आगे बढ़ाते हुए चलते हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत में प्रसिद्ध कहानीकार और समीक्षक श्री डाॅ *परदेशीराम वर्मा* जी ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए उपस्थित अतिथियों एवं श्रोताओं का स्वागत किया।

कार्यक्रम में बहुजन साहित्य पर निरंतर कलम चलाकर समाज को जागृत करने वाले दो साहित्यकारों,श्री के,एल, अहिरवाल जी और श्री व्ही पी बौद्ध साहब का शाल और पुष्पमाल समर्पित करके उपस्थित साहित्यकारों ने सम्मान किया।

कार्यक्रम में बिलासपुर से पधारे साहित्यकार श्री हरीष पंडाल,श्री डी,पी डहरे,श्री दुर्गा प्रसाद मेरसा जी का भी पुष्प गुच्छ भेंट करके सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के प्रथम सत्र का संचालन जनवादी लेखक संघ के सचिव श्री लक्ष्मी नारायण कुम्भकार ने किया तथा दूसरे सांगीतिक सत्र का संचालन जनवादी लेखक संघ दुर्ग के अध्यक्ष श्री राकेश बंबार्डे ने किया।

इस सत्र में श्री विश्वास मेश्राम,श्री संजय भरने,श्री विनोद साव,श्री आर एन श्रीवास्तव आदि ने शैलेन्द्र के गीतों का गायन किया।

महामाया बुद्ध विहार कल्याण समिति कर्मचारी नगर दुर्ग के अध्यक्ष श्री संदीप पाटिल ने अतिथियों एवं श्रोताओं के प्रति आभार प्रकट किया।

कार्यक्रम में रंगकर्मी जय कसेर सहित दुर्ग-भिलाई के साहित्यकार और श्रोता गण बड़ी संख्या में उपस्थित थे।