बास्केटबॉल का जन्म

birth of basketball

डॉ. विजय गर्ग

खेलों के इतिहास में कुछ आविष्कार ऐसे हैं जो न केवल मनोरंजन बदलते हैं बल्कि समाज की दिशा और युवाओं की ऊर्जा को भी नया रूप देते हैं। बास्केटबॉल भी ऐसा ही खेल है—एक सरल समाधान से जन्मा और आज दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेलों में गिना जाता है। इसकी कहानी रचनात्मकता, आवश्यकता और नवाचार से भरी है।
सर्दियों की एक समस्या, और उससे जन्मा एक नया खेल

साल था 1891। अमेरिका के मैसाचुसेट्स स्थित स्प्रिंगफील्ड वाईएमसीऐ ट्रेनिंग स्कूल में सर्दियाँ बेहद कठिन थीं। बाहर फुटबॉल या एथलेटिक्स खेलना मुश्किल हो जाता। स्टूडेंट्स ऊब जाते, ऊर्जावान युवा शरारतें करने लगते, और शारीरिक गतिविधि घटने से अनुशासन भी प्रभावित होता।

इसी समय स्कूल के युवा फिज़िकल एजुकेशन इंस्ट्रक्टर डॉ. जेम्स नाइस्मिथ को एक अनोखा काम दिया गया—
“एक ऐसा इनडोर खेल तैयार करो जो मज़ेदार भी हो, सुरक्षित भी और खिलाड़ियों की ताक़त व फुर्ती को बढ़ाने वाला भी।”

यह कार्य कठिन था, पर यही चुनौती खेल के इतिहास को बदलने वाली साबित हुई।

किताबें पलटते–पलटते आया एक विचार

नाइस्मिथ पुराने खेलों की किताबें पढ़ते गए। उन्होंने फुटबॉल, लैक्रॉस, रग्बी और बेसबॉल देखे—पर हर खेल में या तो भारी टकराव था या इनडोर खेलने के लिए जगह कम थी।
तभी उन्होंने एक पुराने बच्चों के खेल “डक ऑन ए रॉक” को याद किया जिसमें खिलाड़ी ऊंचे लक्ष्य पर पत्थर फेंकते थे।
यहीं से उन्हें विचार मिला—
“क्यों न गेंद को ऊपर लगे लक्ष्य में डाला जाए?”

दो टोकरियाँ और एक गेंद: पहला मैच

जिम्नेज़ियम में उन्हें संयोग से दो पीच बास्केट (आड़ू रखने की टोकरी) मिल गईं। इन्हें उन्होंने 10 फीट ऊंची बालकनी पर कीलों से ठोक दिया।
खेल का लक्ष्य था—
गेंद को टोकरी में डालना।

पहला नियम-पुस्तक केवल 13 नियमों की थी।
और इसी के साथ हुआ पहला बास्केटबॉल मैच—

9-9 खिलाड़ियों की टीम

सॉकर बॉल का उपयोग

हर स्कोर के बाद किसी को सीढ़ी पर चढ़कर गेंद निकालनी पड़ती!

यह मैच भले सरल था, लेकिन रोमांच इतना कि छात्रों ने तुरंत इसे पसंद कर लिया।

तेज़ी से पूरे देश—फिर पूरी दुनिया में फैल गया खेल

कुछ ही महीनों में वाईएमसीऐ शाखाओं के जरिए यह खेल पूरे अमेरिका में फैल गया।
1900 तक यह कॉलेजों में लोकप्रिय हो गया।
1936 में बास्केटबॉल पहली बार ओलंपिक खेल बना—और दिलचस्प बात यह है कि उद्घाटन समारोह में डॉ. नाइस्मिथ खुद मौजूद थे और उन्होंने खिलाड़ियों को मुस्कुराते हुए कहा—
“यह खेल अब आपका है।”

इसके बाद एनवीऐ, डबयुएनवीऐ और विश्व भर की लीगों ने इस खेल को ग्लोबल पहचान दी। आज बास्केटबॉल एक 45 करोड़ से अधिक खिलाड़ियों वाला अंतरराष्ट्रीय खेल है।

  • नवाचार का पाठ: एक खेल से ज़्यादा एक विचार
  • बास्केटबॉल की जन्म-कथा हम सभी को यह सिखाती है कि—
  • समस्या जब सामने हो, समाधान रचनात्मकता से निकाला जा सकता है।
  • छोटा विचार भी दुनिया को बदल सकता है।
  • नई चुनौतियाँ नए आविष्कारों को जन्म देती हैं।

डॉ. नाइस्मिथ ने कोई बड़ा प्रयोग नहीं किया—बस ज़रूरत को समझा और सरल वस्तुओं से एक नया खेल बना दिया।
आज बास्केटबॉल सिर्फ एक खेल नहीं, लाखों युवाओं के सपनों का मंच है।