कुंदरकी सीट पर चार मुस्लिम उम्मीदवार के मैदान में होने से भाजपा गदगद

BJP is proud of having four Muslim candidates in the fray for Kundarki seat

संजय सक्सेना

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर चुनाव होना हैं इसमें से कुंदरकी विधानसभा सीट के लिये सपा और बीजेपी ने अभी तक अपने-अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं की है। सपा के लिये हमेशा से यह सीट फायदे का सौदा रही है।

सपा मुस्लिम वोटों के सहारे यहां चुनाव आसानी से जीत जाती है,लेकिन इस बार बीजेपी मुस्लिम वोटरों में बिखराव के सहारे अपनी जीत सुनिश्चित करने में लगी है। सपा का गढ़ माने जाने वाली कुंदरकी विधानसभा सीट की राह 1993 के बाद से भाजपा के लिए हमेशा पथरीली रही है। सिर्फ 1993 में ही यहां कमल खिल सका है। 2012 से लगातार तीन चुनावों में साइकिल ही दौड़ती आ रही है। लंबे असरे बाद उपचुनाव लड़ रही बसपा ने रफतल्ला उर्फ नेता छिद्दा को प्रत्याशी घोषित किया है। बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारा है तो आजाद समाज पार्टी (आसपा) ने चांद बाबू को मैदान में उतारा है। कुंदरकी सीट पर सपा ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं यानी टिकट घोषित नहीं किए हैं. सपा से पूर्व विधायक हाजी रिजवान के चुनाव लड़ने की प्रबल उम्मीद है तो ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने यहां से मोहम्मद वारिस को उतारा है. इस तरह चार विपक्षी दलों से मुस्लिम कैंडिडेट मैदान में है, जिसके चलते मुकाबला मुस्लिम बनाम मुस्लिम कुंदरकी सीट का हो गया है. बीजेपी ने अभी टिकट घोषित नहीं किए हैं. सपा और भाजपा सभी गोटें बिछ जाने के बाद अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा करने का मूड बनाये हुए है। कुंदरकी में भाजपा डबल इंजन सरकार की ताकत लगाकर इतिहास पलटने की तैयारी में है, वह मुस्लिम मतों में सेंधमारी करने में भी जुटी है।जबकि सपा एमवाई ( मुस्लिम यादव) समीकरण के सहारे फिर चुनावी वैतरणी पार करने की उम्मीद लगाए बैठी है।

2022 में सपा से जीते जियाउर्रहमान बर्क के संभल से सांसद बनने के कारण कुंदरकी में उपचुनाव हो रहा है। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र ( 62 प्रतिशत के करीब मुस्लिम मतदाता) में कोई उद्योग न होने की वजह से अधिसंख्यक आबादी खेती पर ही निर्भर है। यहां जातिगत समीकरण के आधार पर ही मतदान होता रहा है। यही कारण है कि 1996 से मुस्लिम विधायक ही बनते रहे हैं। हालांकि यह सपा की परंपरागत सीट रही हैं, लेकिन मुस्लिम और अनुसूचित जाति के गठजोड़ के सहारे दो बार बसपा भी जीती है। 2007 में बसपा हुसैन मंत्री भी रह चुके हैं। सपा ने कुंदरकी सीट से नाम से घोषणा नहीं की है। सपा में पूर्व विधायक हाजी रिजवान व सांसद जियाउर्रहमान बर्क के पिता ममलूकुर्रहमान बर्क सहित कई दिग्गज टिकट के लिए लाइन में है। भाजपा में रामवीर सिंह, कमल प्रजापति और जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. शैफाली सिंह मैदान में आने को जोर आजमाइश कर रहे हैं। सपा जहां मुस्लिम बाहुल्य होने की वजह से जीत का दम भर रही है, भाजपा करीब 15 हजार फर्जी वोट कट जाने और मुस्लिमों में सेंधमारी होने से जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है।