संजय सक्सेना
लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती के प्रति समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के कभी गरम और कभी नरम रवैये से राजनीति के गलियारों में दुविधा का माहौल नजर आ रहा है। 2019 के आम चुनाव में साथ दिखने वाले अखिलेश-मायावती, 2024 के आम चुनाव के समय एक-दूसरे के खिलाफ खड़े नजर आये थे।आजकल दलित वोटों की सियासत में दोनों एक-दूसरे के खिलाफ सियासी जहर उगल रहे हैं,इसी बीच सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मायावती का बचाव करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री व बसपा सुप्रीमो मायावती को लेकर की गई भाजपा विधायक व प्रवक्ता राजेश चौधरी की टिप्पणी को महिला विरोधी बताया है।
अखिलेश ने एक्स पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा कि उत्तर प्रदेश के एक भाजपा विधायक का पूर्व महिला मुख्यमंत्री के प्रति कहे गए अभद्र शब्द दर्शाते हैं कि भाजपाइयों के मन में महिलाओं और खासतौर से वंचित-शोषित समाज से आने वालों के प्रति कितनी कटुता भरी है। भाजपाई कह रहे हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर हमने गलती की थी, ये भी लोकतांत्रिक देश में जनमत का अपमान है और बिना किसी आधार के ये आरोप लगाना कि वह सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री थीं, बेहद आपत्तिजनक है।उन्होंने आगे लिखा कि राजनीतिक मतभेद अपनी जगह होते हैं लेकिन एक महिला के रूप में उनका मान-सम्मान खंडित करने का किसी को भी अधिकार नहीं है। भाजपा के विधायक पर इस वक्तव्य के लिए मानहानि का मुकदमा होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भाजपा ऐसे विधायकों को प्रश्रय देकर महिलाओं के मान-सम्मान को गहरी ठेस पहुंचा रही है। अगर ऐसे लोगों के खिलाफ भाजपा तुरंत अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं करती है तो मान लेना चाहिए, ये किसी एक विधायक का व्यक्तिगत विचार नहीं है बल्कि पूरी भाजपा का है।