दिलीप कुमार पाठक
भाजपा एक चुनाव जीतने के बाद अगले चुनाव की तैयारी में जुट जाती है, ऐसा लगता है जैसे किसी भी राज्य के चुनाव का बिगुल चुनाव आयोग नहीं बल्कि भाजपा ही फूंक रही है l बिहार चुनाव जीतने के कुछ घण्टे बाद ही भाजपा के बंगाल हैंडिल में लिखा गया अब बंगाल की बारी है l दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भाजपा का लक्ष्य क्या है? सीधा सा जवाब है पूरे देश के राज्यों में उसकी सरकार l पीएम मोदी एवं अमित शाह बंगाल सहित दक्षिण भारत में भी कमल खिलाने की हसरतें पाले हुए है, दरअसल भाजपा के कार्यकर्ताओं की सबसे बड़ी ताकत भी यही है, कि सफ़लता के बाद भी चुप बैठते नहीं है l
बिहार के नतीजे साफ़ होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया अपने भाषण में उन्होंने कहा, ” गंगा जी, यहाँ बिहार से बहते हुए ही बंगाल तक पहुँचती है l बिहार ने बंगाल में बीजेपी की विजय का रास्ता भी बना दिया है l मैं बंगाल के भाइयों-बहनों को भी आश्वस्त करता हूँ कि अब बीजेपी आपके साथ मिलकर पश्चिम बंगाल से भी जंगलराज को उखाड़ फेंकेगी l “
बिहार में जंगलराज के नाम पर चुनाव जीत चुकी भाजपा बंगाल में भी जंगलराज के नारे लगा रही है, लगता है जैसे बंगाल में भी वही सियासी पिच बनाई जा रही है जिसमें बिहार जीत चुकी है l पीएम एवं भाजपा की टिप्पणियाँ राजनीतिक तौर पर अहम मानी जा रही हैं क्योंकि पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं l शायद यही वजह है कि बिहार के चुनाव नतीजे के साथ ही पश्चिम बंगाल की चर्चा शुरू हो गई है l भारत के इस पूर्वी राज्य में पिछला चुनाव 2021 की गर्मियों में कोविड-19 की दूसरी और बेहद ख़तरनाक लहर के बीच हुआ था. यहाँ विधानसभा की 294 सीटें हैं l
ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने बीजेपी को शिकस्त दी थी l टीएमसी ने 215 सीटें जीती थीं, बीजेपी को 77 सीटें मिली थीं l टीएमसी को लगभग 48 फ़ीसदी वोट मिले थे और बीजेपी को 38 फ़ीसदी l तब सवाल है, बिहार में जहाँ बीजेपी-जेडीयू के नेतृत्व वाले एनडीए ने बड़ी जीत हासिल की है और पश्चिम बंगाल, जहाँ बीजेपी कभी नहीं जीती, राजनीतिक तौर पर इन दोनों राज्यों को कैसे देखा जाए? देखा जाए तो बंगाल एवं बिहार की राजनीतिक परिस्तिथियों में फर्क़ है, बंगाल में भाजपा अकेले चुनाव लड़ती है तो बिहार में नीतीश कुमार के साथ लड़ती है, बिहार में क्षेत्रीय नेताओ जातियों के प्रभाव से निपटने की ज़िम्मेदारी होती है वहीँ बंगाल में भाजपा सीधे देशव्यापी मुद्दों पर बात करती चाहे NRC हो या घुसपैठ का मुद्दा हो और भाजपा का राष्ट्र वाद का मुद्दा तो है ही, बंगाल में “एन्टी-इन्कम्बेंसी” का मुद्दा भी भाजपा उठा रही है और अब तो बंगाल में भी जंगलराज का मुद्दा गूँज रहा है l बंगाल में भाजपा के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है वहीँ पाने के लिए पूरी बागडोर है, आज बंगाल में भी भाजपा के पास लगभग 38% वोट शेयर है, वहीँ बंगाल में विधायकों सांसदों की भरमार है, जिस तरह से भाजपा ने बंगाल में राजनीतिक सफ़लता हासिल की है तो लगता है जैसे बंगाल जीतना भी भाजपा के लिए कोई कठिन कार्य नहीं है l एक समय कहा जाता था कि बंगाल, दिल्ली, बिहार जैसे राज्यों में कभी भाजपा नहीं आ सकती, लेकिन भाजपा की चुनाव जीतने की भूख ने दिल्ली, बिहार जैसे मजबूत किले फतेह कर लिए हैं l
भाजपा का मुकाबला सीधे तौर पर ममता बनर्जी के साथ होने वाला है, चुनाव दिलचस्प होगा, जाहिर सी बात है कि ममता बनर्जी बंगाल में बहुत बड़ी ताकत हैं लेकिन भाजपा अब बंगाल में भी अपना रसूख रखती है, ख़ासकर दिल्ली, हरियाणा, बिहार जीतने के बाद भाजपा के इरादों को पंख लग गए हैं, अभी बंगाल का चुनाव कैंपेन शुरू तो नहीं हुआ लेकिन भाजपा ने एक बड़ी लकीर खींच दी है, हालांकि यह भी तय है कि बिहार से सीखते हुए ममता बनर्जी और ज़्यादा ताकत के साथ भाजपा से लड़ने के लिए तैयार हैं, भूलना नहीं चाहिए कि महिला वोट ममता बनर्जी की सबसे बड़ी ताकत है, वहीँ बंगाल में एक बड़ा वर्ग भाजपा को कट्टर मनाता है जो ममता के लिए फायदेमंद होता है l साथ ही बिहार एवं बंगाल में एक फर्क़ ये भी है कि नीतिश के कारण एनडीए को मुस्लिम वोट भी मिले हैं, परंतु बंगाल में ये पक्ष भी महत्वपूर्ण है l और अब तो SIR एक बड़ा मुद्दा होने वाला है है, जिसे ममता बनर्जी बार बार उठा रहीं हैं l विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा की लगातार जीत ने पार्टी को आत्मविश्वास दिया है, लेकिन बंगाल में अभी भी जातीय‑धार्मिक समीकरण अलग हैं, इसलिए सफलता आसान नहीं होगी l
कुणाल घोष ने एक पोस्ट में कहा- “बंगाल की राजनीतिक क़िस्मत पटना या दिल्ली में नहीं लिखी जाती यह यहाँ लिखी जाती है, उन लोगों द्वारा जिन्होंने बार-बार बीजेपी की बाँटने वाली राजनीति को नकारा है और ममता बनर्जी पर भरोसा जताया है, साल 2026 में बीजेपी का वही अंजाम होगा, जो हमेशा बंगाल में होता आया है l





