पुस्तक समीक्षा: अंतर्मन की परतें खोलता नृप का भावनात्मक काव्य संग्रह

Book Review: Nrip's emotional poetry collection opens the layers of inner mind

ममता कुशवाहा

साहित्य में जब भी हम जीवन की सघन अनुभूतियों और मानवीय संवेदनाओं को शब्दों के माध्यम से उकेरने की बात करते हैं, तब काव्य की भूमि सबसे उपजाऊ प्रतीत होती है। ऐसा ही एक सशक्त उदाहरण है नृपेन्द्र अभिषेक ‘नृप’ द्वारा रचित काव्य संग्रह ‘एहसास कभी मिटा नहीं करते’, जो न केवल भावनाओं का दस्तावेज़ है, बल्कि जीवन के विविध रंगों को समेटे एक संवेदनशील यात्रा भी है। 75 कविताओं से सुसज्जित यह संग्रह पाठक को आत्ममंथन, आत्मविश्लेषण और आत्मानुभूति की उस यात्रा पर ले चलता है जहाँ हर कविता एक दर्पण की तरह सामने खड़ी हो जाती है। नृप की कविता की भाषा जितनी सहज है, उसके भाव उतने ही गहन हैं।

‘शहर की शहर’ कविता में शहरी जीवन की कृत्रिमता और गांव की आत्मीयता के बीच की खाई को बड़े ही मार्मिक अंदाज़ में उकेरा गया है। यह कविता बताती है कि भले ही शहर हमें आधुनिकता की चकाचौंध दे दें, लेकिन अपनापन तो गांव की मिट्टी में ही सांस लेता है। ‘मेरी हमसफ़र किताबें’ में कवि ने ज्ञान की पुस्तकीय साधना को जीवन का सच्चा पथ प्रदर्शक माना है। वह कहते हैं कि किताबें केवल पढ़ने की वस्तु नहीं, जीवन के हर मोड़ पर साथ निभाने वाली सच्ची हमसफ़र होती हैं। वर्तमान समय की व्यावहारिक सच्चाइयों से मुठभेड़ कराती कविता ‘ज़रूरी है उम्मीदों का मर जाना’ पाठकों को आत्मनिर्भरता और आत्मबल की प्रेरणा देती है।कवि मानते हैं कि –
“ज़रूरी है उम्मीदों का मर जाना,
ताकि सीख सको ज़िंदगी के हर रूप से,
कि हर अंत में एक नई शुरुआत छुपी होती है।”

‘बेरोजगारी का दाग’ कविता आज के युवाओं की असमंजस और संघर्ष की कहानी कहती है। एक ओर नौकरी की तलाश में बढ़ती निराशा, तो दूसरी ओर सोशल मीडिया के मोहपाश में उलझी युवा चेतना। कवि ने इस द्वंद्व को अत्यंत संवेदनशीलता से प्रस्तुत किया है।वहीं ‘चला जो सत्य के रास्ते, गांधी नाम था’ शीर्षक कविता में महात्मा गांधी के विचारों को आज के संदर्भ में जीवंत करते हुए कवि सत्य, अहिंसा और सामाजिक समरसता की पुनर्स्थापना की बात करते हैं। प्रेम की भावनाओं को समर्पित कविताओं जैसे ‘इश्कनामा’, ‘तेरी मोहब्बत की चाशनी’, ‘प्रेम का दर्द’ आदि में प्रेम का गहरापन, उसकी पीड़ा, उसका सौंदर्य और उसका आत्मिक स्पर्श हर पंक्ति में महसूस किया जा सकता है। उदाहरणस्वरूप देखे तो कविता ‘आलिंगन की छाँव में’ की यह पंक्ति भावनाओं की पूर्णता का चित्र खींचती है—
“न कोई तमन्ना, न कोई गिला,
तेरी आग़ोश में सब संवरता है।”

यह संग्रह केवल शब्दों का संयोजन नहीं है, बल्कि एक एहसास है जो पाठक के अंतर्मन तक उतर जाता है। कविताएं न तो जटिल हैं और न ही बनावटी; वे सीधे मन को छूने वाली हैं। यह संग्रह उन लोगों के लिए एक उपहार है जो कविता को केवल पढ़ना नहीं, जीना चाहते हैं।।‘एहसास कभी मिटा नहीं करते’ अपने शीर्षक की ही तरह पाठकों के हृदय में लंबे समय तक अपनी गूंज छोड़ता है। यह संग्रह साहित्यिक संवेदना, जीवन दृष्टि और भावनात्मक सघनता का ऐसा संगम है, जो हिंदी कविता के समकालीन परिदृश्य में एक अहम स्थान रखता है।

पुस्तक: एहसास कभी मिटा नहीं करते
रचनाकार: नृपेन्द्र अभिषेक ‘नृप’
प्रकाशक: लायन्स पब्लिकेशन, ग्वालियर
पृष्ठ संख्या: 224
मूल्य : ₹180
प्रकाशन वर्ष: 2025