किताबें मनुष्य की पथ-प्रदर्शक और नैतिक समर्थक !

Books are man's guide and moral supporter!

सुनील कुमार महला

पुस्तकें सबसे अच्छी दोस्त होतीं हैं। पुस्तकें पढ़ने से हमें ज्ञान तो होता ही है, साथ ही साथ पुस्तकें हमें असीम आनंद, ऊर्जा और आत्मविश्वास से भी सरोबार करतीं हैं। सच तो यह है कि किताबें हमारी सबसे अच्छी मार्गदर्शक, पथ-प्रदर्शक,प्रेरणा प्रदान करने वाली और नैतिक समर्थक साबित होती हैं, जो हमारे जीवन में हर मोड़ पर काम आती हैं। वास्तव में, किसी ने ग़लत नहीं कहा है कि किताबों के पन्नों से गुजरना दुनिया के श्रेष्ठ अनुभवों से गुजरने जैसा है। इस दुनिया में किताबें पढ़ने से बड़ा सुख शायद ही कोई हो। ये किताबें ही होतीं हैं जो हमें हमारी आसपास की दुनिया को सही से समझने, सही और गलत, अच्छा और बुरा, नैतिक और अनैतिक के बीच निर्णय लेने में हमारी भरपूर मदद करती हैं। पुस्तकें हमारे आदर्श, मार्गदर्शक या सर्वकालिक शिक्षक के रूप में भी हमारे जीवन में शामिल होती हैं। आज सूचना तकनीक और प्रौद्योगिकी के इस दौर में सोशल नेटवर्किंग साइट्स, इंटरनेट, मोबाइल फोन और कंप्यूटर का इस्तेमाल बहुत आम हो गया है। यह ठीक है ये सभी तकनीकें अध्ययन के लिए हमें एक अच्छा विकल्प व सर्व- सुलभ विकल्प उपलब्ध करातीं हैं लेकिन ये तकनीकें किताबों के महत्व को कभी खत्म नहीं कर सकतीं हैं। जब हम किताबें/पुस्तकें पढ़ते हैं तो हमें अनेक नई जानकारियां मिलती हैं, हमारे ज्ञान में अभूतपूर्व बढ़ोतरी होती है। शायद यही कारण है कि एकबार पुस्तकों के बारे में गाँधीजी ने यह कहा था कि ‘पुस्तकें हमारे मन के लिए साबुन का कार्य करती हैं।’ बाल गंगाधर तिलक ने भी पुस्तकों के बारे में यह कहा था कि ‘मैं नरक में भी पुस्तकों का स्वागत करूंगा, क्योंकि जहां ये रहती हैं, वहां अपने आप ही स्वर्ग हो जाता है।’कहना ग़लत नहीं होगा कि लोकमान्य के इस कथन से पुस्तकों की महत्ता स्वयं स्पष्ट हो जाती है। यहां तक कि अब्राहिम लिंकन ने पुस्तकों के बारे में यह कहा है कि ‘मैं यही कहूंगा कि, वही मेरा सबसे अच्छा दोस्त है, जो मुझे ऐसी किताब देे जो आज तक मैंने न पढ़ी हो।’ कहना ग़लत नहीं होगा कि ‘विचारों के युद्ध में किताबें ही अस्त्र होती हैं।’ बहरहाल, हाल ही में दिल्ली स्थित प्रगति मैदान के भारत मंडपम में 1 फरवरी 2025 को 52 वें विश्व पुस्तक मेले की शुरुआत की गई है, जिसका उद्घाटन हमारे देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा किया गया है। हाल ही में निर्मित आधुनिक हॉल(भारत मंडपम) इस नौ-दिवसीय साहित्यिक उत्सव(पुस्तक मेले) के लिए स्थल होंगे, जो प्रदर्शकों और आगंतुकों के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करेंगे। गौरतलब है कि एनडीडब्ल्यूबीएफ 2025 का आयोजन 9 फरवरी 2025 तक होगा। बहरहाल, कहना चाहूंगा कि आज के इस दौर में जहां छपी पुस्तकों के प्रति क्रेज लगातार कम होता चला जा रहा है, ऐसे समय में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में विश्व पुस्तक मेला लेखकों-कलाकारों समेत युवा पाठकों और बच्चों तक को लगातार अपनी ओर आकर्षित कर रहा है, वह अपने में बहुत ही महत्वपूर्ण और बड़ी बात है। उल्लेखनीय है कि इस मेले का आयोजन राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत (शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन) द्वारा किया जाता है। उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय के अधीन मेले का सह-आयोजक/स्थल भागीदार है।कई हजार स्क्वॉयर मीटर में फैले इस बुक फेयर में हिंदी, इंग्लिश, उर्दू, पंजाबी के अलावा अनेक क्षेत्रीय भाषाओं की किताबें भी देखने को मिलेंगी। इस बार अतिथि देश रूस है ,ऐसे में पाठकों को रूस के लेखकों और साहित्यकारों से भी मिलने के अवसर भी प्राप्त होंगे। पाठक जानते होंगे कि इस मेले में साहित्य, शासन, टेक्नोलॉजी, कला और सिनेमा जैसे अलग-अलग क्षेत्रों के जाने-माने लोग शामिल हो रहे हैं। एनडीडब्ल्यूबीएफ 2025 में एक नया सेगमेंट ‘ऑथर्स लाउंज’ बनाया गया है, जो लेखकों के लिए एक खास मंच होगा, जहां वो आपसी संवाद कर सकते हैं, सोच-विचार(चिंतन-मनन)कर सकते हैं और साहित्यिक उत्सव के बीच आराम भी कर सकते हैं। कहना चाहूंगा कि पुस्तक मेले पाठकों , लेखकों को निरंतर पढ़ने, लिखने के लिए प्रेरित करते हैं और उन्हें चुनने के लिए पुस्तकों का एक विस्तृत चयन प्रदान करते हैं, जिन्हें वे खरीदने का निर्णय लेने से पहले उन्हें देख सकते हैं, उनका आकलन कर सकते हैं। पुस्तक मेले विशेषकर
बच्चों/युवाओं, यहां तक कि हर किसी में साहित्य और पढ़ने की आदत को बढ़ावा देते हैं, क्यों कि पुस्तक मेले में अक्सर वर्कशॉप, कहानी सुनाने के सत्र, पैनल चर्चाएँ, संवादात्मक सत्र, प्रश्नोत्तरी, प्रतियोगिताएँ, आदि का आयोजन भी किया जाता है। प्रसिद्ध लेखकों और चित्रकारों के साथ-साथ शिक्षा और प्रकाशन क्षेत्र के पेशेवरों द्वारा पुस्तक मेले में अनेक गतिविधियों का संचालन किया जाता है और हर कोई पढ़ने लिखने को प्रोत्साहित होता है। इस मेले में लेखक कोना, बच्चों के लिए कोना, पेंटिंग कोना रखा गया है। मेले में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे जो बच्चों को उनकी प्रतिभा निखारने में सहायक सिद्ध होंगे।हाल फिलहाल जो पुस्तक मेला दिल्ली में आयोजित किया गया है,वह निश्चित ही भारत ही नहीं दुनिया भर के प्रकाशकों, लेखकों और पाठकों को जोड़ेगा, क्यों कि इस पुस्तक मेले में इस बार 50 से अधिक देश जैसे जर्मनी, फ्रांस, इटली, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ईरान, तुर्किये और स्पेन जैसे देश भाग ले रहे हैं, मतलब कि अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि हर साल की तरह इस साल भी बुक फेयर में दिव्यांग, स्कूल स्टूडेंट्स और सीनियर सिटीजन के लिए फ्री में एंट्री होगी। मीडिया रिपोर्ट्स बतातीं हैं कि मेले में 2,000 से भी अधिक स्टॉल्स लगाये गये हैं तथा इस बार पुस्तक मेले की थीम ‘रिपब्लिक @75’ रखी गयी है, जो भारतीय गणराज्य के 75 साल पूरे होने के बारे में बताती है। वास्तव में थीम मंडप का मुख्य फोकस एक मजबूत भारत की परिकल्पना, राष्ट्र-निर्माण में प्रगति, और 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य पर होगा।दूसरे शब्दों में कहें तो पुस्तक मेले की थीम रिपब्लिक@75 के साथ एक ऐसे मंच के रूप में कार्य करता है, जो हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत को भविष्य की आकांक्षाओं के साथ जोड़ता है। यह कार्यक्रम साहित्य, शासन, प्रौद्योगिकी, कला और सिनेमा सहित विविध संस्कृतियों और क्षेत्रों को एक साथ लाता है। कहना ग़लत नहीं होगा कि पांच दशकों की समृद्ध विरासत के साथ, यह पुस्तक मेला साहित्य, संस्कृति और ज्ञान का जीवंत संगम है। सच तो यह है कि ऐसे पुस्तक मेले के आयोजन से हर किसी में साहित्य, लेखन व लेखकों के प्रति गहरी समझ विकसित होती है। पाठकों को बताता चलूं कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद द्वारा डिज़ाइन किया गया थीम मंडप इस पुस्तक मेले का केंद्र बिंदु होगा। यह मंडप रिपब्लिक @75 थीम को जीवंत करने के लिए क्रिएटिव्स, ग्राफिक्स, इंस्टॉलेशन, और कलाकृतियों का उपयोग करेगा। यहां आगंतुक पुस्तकों, विजुअल डिस्प्ले और इंटरैक्टिव प्रदर्शनियों के माध्यम से भारत की 75 साल की यात्रा को देख और समझ सकेंगे। बहरहाल,आज का युग सूचना प्रौद्योगिकी व संचार का युग है। सूचना प्रौद्योगिकी व संचार के युग के साथ ही आज हम सोशल नेटवर्किंग साइट्स, इंटरनेट, फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर, इंस्टाग्राम में ही अधिक रम-बस गए हैं। हमें कोई भी सूचना, जानकारी प्राप्त करनी होती है तो हम इंटरनेट पर उसे सर्च करने लगते हैं और इंटरनेट के माध्यम से तमाम जानकारियां, सूचनाएं पल झपकते ही प्राप्त कर लेते हैं। इसलिए मौजूदा डिजिटल दौर में किताबों से सबसे ज्यादा उदासीन हमारे युवा ही हैं, ऐसे में, विश्व पुस्तक मेले का यह अभियान बहुत ही सराहनीय व काबिले-तारीफ है। बहरहाल, पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि राजधानी दिल्ली में पहला विश्व पुस्तक मेला जनपथ रोड के विंडसर प्लेस में 18 मार्च से चार अप्रैल, 1972 को लगा था, और तभी से इसकी लोकप्रियता में दिनों-दिन वृद्धि ही हुई है। ऐसा नहीं है कि डिजिटल दौर में लोग पुस्तकें नहीं पढ़ना चाहते हैं, लेकिन जरूरत इस बात की है समय-समय पर ऐसे मेलों का आयोजन करके युवाओं को पुस्तकों से अधिकाधिक जोड़ा जाए। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कोलकाता में हर साल आयोजित होने वाला अंतर्राष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेला न केवल एशिया का सबसे बड़ा गैर-व्यावसायिक पुस्तक मेला है, बल्कि यह दुनिया में सबसे अधिक दर्शकों वाला पुस्तक मेला भी है। यह मेला आमतौर पर जनवरी के अंत से फरवरी की शुरुआत तक साल्ट लेक, कोलकाता के सेंट्रल पार्क मेला ग्राउंड में आयोजित किया जाता है। गौरतलब है कि इस साल 48वां अंतर्राष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेला 28 जनवरी से 9 फरवरी, 2025 तक बोईमेला प्रांगण, साल्ट लेक, कोलकाता में आयोजित किया जा रहा है,जिसकी थीम देश जर्मनी है तथा जिसमें लगभग 1,000 स्टॉल, सांस्कृतिक कार्यक्रम और कोलकाता साहित्य महोत्सव शामिल किए गए हैं। जानकारी मिलती है कि यह मेला 20 लाख (2 मिलियन) से अधिक आगंतुकों को आकर्षित करता है, यह अपने आप में बड़ी बात है। यह दर्शाता है कि लोग आज भी छपी हुई पुस्तकों को फिजीकल रूप से पढ़ने के प्रति गहरी रूचि दिखाते हैं, लेकिन आज जरूरत इस बात की है कि लोगों को इस बात के प्रति जागरूक किया जाए कि पुस्तकें हमारे आदर्श, मार्गदर्शक या सर्वकालिक शिक्षक के रूप में भी हमारे जीवन में शामिल होती हैं और हमारी सच्ची पथ-प्रदर्शक भी। ये पुस्तकें ही होतीं हैं जो जीवन के हर मोड़ पर हमारे काम आतीं हैं।