बॉक्सर निखत जरीन ने बढ़ाया देश का मान

रमेश सर्राफ धमोरा

दिल्ली में कुछ दिनो पूर्व संपन्न हुई वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में लगातार दूसरी बार गोल्ड मेडल जीतकर निखत जरीन ने भारत का मान बढ़ाया है। सुप्रसिद्ध बॉक्सर व पूर्व सांसद एम मैरीकॉम के बाद ऐसा करने वाली निखत जरीन भारत की दूसरी महिला मुक्केबाज बन गयी है। निखत के साथ नीतू घंघस, स्वीटी बुरा व लवलीना बोरगोहेन ने भी उक्त प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर भारत की तरफ से जीत का चौका लगाया है। मगर निखत ने दूसरी बार गोल्ड मेडल जीतकर एक अलग ही रिकॉर्ड बना दिया है। इससे पहले निखत जरीन ने 2022 में आईबीए विश्व महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था। उसके बाद अब निखत ने दूसरी बार स्वर्ण पदक जीतकर रिकॉर्ड बनाया है। उनसे पूर्व मैरीकाम 6 बार वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत चुकी है।

तेलंगाना के निजामाबाद में 14 जून 1996 को जन्मी निखत जरीन एक सामान्य मध्यम वर्गीय परिवार से आती है। हालांकि उनके पिता मोहम्मद जमील अहमद फुटबॉल और क्रिकेट के खिलाड़ी थे। वहीं उनकी माता परवीन सुल्तान कबड्डी की खिलाड़ी रही है। इसलिए उन्हें बचपन में ही खेल का वातावरण मिल गया था। निखत जरीन के चाचा शमशामुद्दीन बॉक्सिंग कोच होने के कारण उन्हें घर पर ही बॉक्सिंग की ट्रेनिंग मिलने लगी। उसकी दो बड़ी बहने फिजियोथैरेपिस्ट व छोटी बहन बैडमिंटन की खिलाड़ी है।

इन्होने अपनी शुरुआती शिक्षा अपने गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय से प्राप्त की है और आगे की शिक्षा निर्मला हृदय गर्ल्स हाई स्कूल निजामाबाद से प्राप्त की। इसके बाद उच्च शिक्षा इन्होने एवी कॉलेज हैदराबाद से प्राप्त की है। इन्होने एवी कॉलेज हैदराबाद से कला में स्नातक पास किया है। मुक्केबाजी के सफर के चलते इनको खेल व शिक्षा दोनों को संभालना थोड़ा मुश्किल था। लेकिन घर वालों और दोस्तों के साथ से इन्होने दोनों चीजें एक साथ संभाली। निखत के बॉक्सिंग करियर में कई रुकावटें भी आई। एक मुस्लिम परिवार से होने के कारण उनके रिश्तेदारों को उनके इस खेल में भाग लेना पसंद नहीं था। निखत के पिता को उनके रिश्तेदार कहा करते थे कि उन्हें निखत को कहना चाहिए की वो बॉक्सिंग के समय छोटे कपड़े न पहना करे। लेकिन निखत के पिता ने लोगों की बातो पर कोई ध्यान नहीं दिया और हमेशा अपनी बेटी का साथ दिया।

एक समय निखत जरीन पर हिजाब पहनने के लिए दवाब डाला गया था। उनसे कहा गया कि मुस्लिम लड़कियां शॉर्ट्स नहीं पहन सकती। वह मर्दों के साथ बॉक्सिंग की प्रैक्टिस भी नहीं कर सकती। लेकिन निखत इस कट्टरवादी विचारधारा से लड़ती रही। वही आज पूरी दुनिया ने उन्हें सिर आंखों पर बैठा लिया हैं। निखत के मोहल्ले के लोग उनके बॉक्सिंग खेलने के खिलाफ थे। वे लोग अक्सर उनके माता-पिता को ताने मारते थे। उनसे कहा जाता था कि आज अगर वह अपनी लड़की को बाहर खेलने के लिए भेजते हैं। तो इससे उस इलाके का माहौल खराब हो जाएगा। जिसके कारण वहाँ रहने वाली दूसरी लड़कियां भी हिजाब पहनने के इस्लामिक तौर तरीके का विरोध करने लगेंगी।

जिसका साफ मतलब यह था कि उनके आसपास के समाज का सोचना था। अगर निखत की तरह उनकी बेटियों ने भी हिजाब पहनने से मना किया। वह भी बॉक्सिंग जैसे खेलों में आ गई। तो वो क्या करेंगे। इसलिए आप अपनी बेटी को रोकिए। इस पर लगाम लगाइये। इस रूढ़िवादी सोच का निखत के परिवार पर कोई असर नहीं पड़ा। इन तमाम विरोध के बावजूद उनके पिता ने निखत की हिम्मत टूटने नहीं दी। एक समय निखत के ऊपर शादी का भी दबाव बनने लगा था। लेकिन तब निखत के पिता ने कहा था। हम अपनी बेटी को ऐसा बनाएंगे। इसके लिए हमारे घर के बाहर लोगों की लाइन लगेगी।

बॉक्सर मैरीकाम को अपनी प्रेरणा मानने वाली निखत जरीन का 2009 में विशाखापट्टनम स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण साईं में दाखिला करवाया गया था। जहां उन्होंने द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त कोच आईबी राव से प्रशिक्षण प्राप्त किया। उसके एक साल बाद ही 2010 में उन्हें इरोड नेशनल में गोल्डन बेस्ट बॉक्सर घोषित किया गया। निखत जरीन ने 2010 में नेशनल सब जूनियर मीट में अपने जीवन का पहला स्वर्ण पदक जीता। उसके बाद 2011 में तुर्की में आयोजित महिला जूनियर और यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में उन्हें फ्लाईवेट डिवीजन में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक मिला। 2014 में बुल्गारिया में आयोजित महिला जूनियर और युवा विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में निखत ने रजत पदक जीता।

2014 में सर्बिया के नौवी सैड में आयोजित तीसरे नेशंस कप इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में 51 किलो वर्ग में रूस की पल्टसेवा एकातेरिना को हराकर निखित ने स्वर्ण पदक जीता। 2015 में निखत ने असम में 16 वीं सीनियर वूमेन नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। 2019 में निखत ने बैंगकॉक में आयोजित थाईलैंड ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में रजत पदक जीता। 2019 में बुल्गारिया की राजधानी सोफिया में आयोजित सट्रैंडजा मेमोरियल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में निखत जरीन ने स्वर्ण पदक जीता। 2019 में ही निखत ने जूनियर नेशनल मुकाबलों में गोल्ड जीता और बेस्ट बॉक्सर का खिताब पाया।

निखत जरीन ने 2022 में इस्तानबुल तुर्की में आयोजित वूमंस वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में अपने जीवन का पहला स्वर्ण पदक जीत कर इस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने वाली देश की पांचवी बॉक्सर बनी। उससे पूर्व एम मैरीकाम, सरिता देवी, जैनी आरएल और लेखा केसी ने ही स्वर्ण पदक जीता था। उक्त प्रतियोगिता में देश के बाहर मेरी काम के बाद स्वर्ण पदक जीतने वाली निखत दूसरी महिला बॉक्सर बन गई थी। अगस्त 2022 में बर्मिंघम में आयोजित कॉमन वेल्थ गेम्स में निखत जरीन ने स्वर्ण पदक जीतकर अपने खेल जीवन का एक नया इतिहास रचा। इस बार दिल्ली में निखत में फिर महिला वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी खेल प्रतिभा का लोहा मनवाया है।

एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार से आने वाली निखत जरीन ने अपने सामाजिक बंधनों को तोड़ते हुए बॉक्सिंग जैसे खेल में भाग लेकर देश का नाम रोशन किया है। आने वाले समय में निखत जरीन ओलंपिक प्रतियोगिता में पदक जीतकर दुनिया में भारत का नाम रोशन करेगी। जिस तरह से 26 वर्षीय निखत जरीन अपने प्रतिद्वंदी खिलाड़ी पर मुक्को से प्रहार करती है उससे लगता है कि आने वाला समय निखत के लिए और भी अधिक उपलब्धियों भरा होगा। निखत जरीन सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय रहती है। इनके इंस्टाग्राम पर 23 लाख और फेसबुक पर 12 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स है। सरकार द्धारा निखत को निजामाबाद शहर की आधिकारिक ब्रैंड एंबेस्डर भी बनाया गया है। केंद्र सरकार ने उन्हें 2022 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया था।
(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं। इनके लेख देश के कई समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहते हैं।)