AIDS छुआ-छूत की मिथक तोड़िए और जिंदगियाँ बचाइए

Break the myth of AIDS contagion and save lives

अम्बिका कुशवाहा ‘अम्बी’

हाल की खबर में बिहार के एक ज़िले में 7400 HIV मरीज पाए गए, जिनमें 400 से अधिक बच्चे हैं। महिलाओं की संख्या 3544 और पुरुष की संख्या 2733 है।

एड्स (AIDS) यानी Acquired Immuno Deficiency Syndrome एक गंभीर बीमारी है जो HIV (Human Immunodeficiency Virus) नामक वायरस के कारण होती है। आमतौर हम HIV और एड्स को एक ही चीज समझ लेते है। लेकिन दोनों फर्क है। HIV एक वायरस है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) को कमजोर करता रहता है। आजब HIV से इम्यून सिस्टम बहुत ज्यादा कमजोर हो जाता है (खासकर CD4 कोशिकाएं बहुत कम हो जाती हैं) और व्यक्ति को कुछ खास तरह के इन्फेक्शन या कैंसर हो जाते हैं, तो उस स्थिति को AIDS कहते हैं। यानी HIV संक्रमण है, और AIDS उसका अंतिम और सबसे गंभीर स्टेज है।

HIV केवल कुछ खास शरीर द्रवों (body fluids) के जरिए ही एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जा सकता है।
और कुछ मुख्य तरीके जिनसे HIV फैलता है:

  1. असुरक्षित यौन संबंध द्वारा फैलता है।
  2. सुई/सिरिंज साझा करना – नशा करने वाली सुई, स्टेरॉयड इंजेक्शन, टैटू-पियर्सिंग में गंदी सुई से
    बहुत ज्यादा फैलता है। भारत में नशे की सुई से तेजी से फैल रहा है।
  3. मां से बच्चे में – गर्भावस्था में, प्रसव के समय, या स्तनपान के दौरान मध्यम फैलता है। और दवा (ART) लेने पर 99% तक रोका जा सकता है।
  4. संक्रमित खून चढ़ाना – पहले बहुत होता था, अब स्क्रीनिंग के कारण लगभग खत्म हो चुका है। इस माध्यम से अब न के बराबर फैलता है। अब भारत में 0.01% से भी कम मामले है।
  5. गंदे चिकित्सा उपकरण – गांवों में कुछ जगहों पर अभी भी पुरानी सुई, दांत निकालने के उपकरण आदि इस्तेमाल होते हैं। इससे कम फैलता है फिर भी सावधानी जरूरी है।

वे चीजें जो अपवाह के अंतर्गत है परंतु इनसे HIV नहीं फैलता है:

A. हाथ मिलाने, गले लगने एवं छूने से Human Immunodeficiency वायरस नहीं फैलता है।

B. एक साथ खाना-पीना, बर्तन साझा करने से भी
नहीं फैलता है।

C. पसीना, लार, आंसू, थूक में वायरस नहीं होता या इतना कम कि संक्रमण नहीं कर सकता है।

D. मच्छर, मक्खी, कीड़े काटना से बिल्कुल नहीं फैलता है क्योंकि वायरस कीड़े के शरीर में जीवित नहीं रहता है।

E. शौचालय सीट, तौलिया, कपड़े साझा करना
नहीं फैलता है।
F. एक ही स्विमिंग पूल में नहाना से भी HIV नहीं फैलता है।

जब भी एचआईवी की बात होती है, तो सबसे पहला सवाल यही आता है कि इसके लक्षण क्या हैं? यह बीमारी एकदम से नहीं, बल्कि कई सालों में धीरे-धीरे अपना असर दिखाती है। इसके लक्षण चार अलग-अलग चरणों में सामने आते हैं:

● पहला चरण – संक्रमण के तुरंत बाद 2 से 4 हफ्ते के अंदर तक का होता हैं। इस चरण को चिकित्सकीय भाषा में Acute HIV Infection या Primary HIV Infection कहते हैं।ज्यादातर लोगों को फ्लू जैसी बीमारी होती है, जिसे लोग साधारण वायरल बुखार समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। इसमें
तेज बुखार और ठंड लगना, गले में बहुत तेज दर्द
पूरे शरीर पर लाल-गुलाबी चकत्ते (खासकर छाती और पीठ पर), बहुत ज्यादा थकान और कमजोरी
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, सिर दर्द, गर्दन, बगल और कमर की लिम्फ ग्रंथियां सूज जाना। कुछ लोगों के मुंह में छाले या जीभ पर सफेद परत दिखाई देती है। ये लक्षण 1-2 हफ्ते में अपने आप ठीक हो जाते हैं। इसके बाद शुरू होता है दूसरा चरण।

● दूसरा चरण – लंबा स्लीपिंग दौर 3 से 15 साल तक का होता है। इसे Clinical Latency Stage या Asymptomatic Stage कहते हैं। इस दौरान व्यक्ति बिल्कुल स्वस्थ दिखता और महसूस करता है। कोई शिकायत नहीं होती। लेकिन वायरस चुपचाप शरीर की रक्षा प्रणाली (CD4 कोशिकाओं) को नष्ट करता रहता है। इस चरण में कोई लक्षण नहीं दिखते, इसलिए बिना टेस्ट के पता नहीं चलता कि व्यक्ति संक्रमित है।

● तीसरा चरण – इसमे रक्षा प्रणाली कमजोर होने लगती है। जब CD4 कोशिकाएं 500 से नीचे आने लगती हैं, तो शरीर बार-बार बीमार पड़ने लगता है। और बिना वजह 10% से ज्यादा वजन घटना, हर महीने बुखार आना, रात में बहुत पसीना आना,
एक महीने से ज्यादा दस्त रहना, मुंह में बार-बार छाले और फंगल इन्फेक्शन (ओरल थ्रश), त्वचा पर खुजली, दाद, फोड़े-फुंसी, बार-बार सर्दी-जुकाम और खांसी, महिलाओं में बार-बार योनि का फंगल इन्फेक्शन या अनियमित माहवारी के लक्षण दिखाई पड़ने लगते है।

● चौथा चरण – यह स्टेज HIV का एड्स (AIDS) रूप होता है। जब CD4 कोशिकाएं 200 से नीचे चली जाती हैं और कुछ विशेष इन्फेक्शन या कैंसर हो जाते हैं, तो इसे एड्स कहते हैं। इस स्टेज में लक्षण बहुत गंभीर होते हैं, जैसे– बहुत तेजी से वजन घटना (20-30 किलो तक), लगातार एक महीने से ज्यादा बुखार और दस्त, फेफड़ों की टीबी या शरीर के किसी भी हिस्से में टीबी, खास तरह का निमोनिया (PCP)
मुंह, गले और गुदा में गहरे, दर्दनाक छाले, त्वचा पर बैंगनी रंग के धब्बे, दिमाग पर असर (याददाश्त कम होना, चलने में तकलीफ, दौरे पड़ना) आदि।

एचआईवी का अभी तक पूरा इलाज (cure) नहीं है, यानी वायरस शरीर से 100% खत्म नहीं होता।
लेकिन ART (Antiretroviral Therapy) नाम की दवाएं इतनी कारगर हैं जो बीमारी पूरी तरह नियंत्रित रखती है। यह मेडिसिन भारत के सभी अस्पतालों में मुफ्त उपलब्ध कराई गई है, और आजीवन मिलती है। जब दवा द्वारा CD4 काउंट बढ़ जाता है, तब HIV के सारे लक्षण गायब हो जाते हैं, और व्यक्ति 70-80 साल तक पूरी तरह स्वस्थ जीवन जी सकता है।

हाल ही में, कुछ देशों में हर महीने या 2 महीने में लगने वाले इंजेक्शन आए हैं। अब भारत में जल्द आने की उम्मीद है।

एचआईवी से बचाव के लिए सही तरीकों का पालन करना बेहद जरूरी है। NACO (राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन) के 2024-2025 दिशानिर्देशों के अनुसार, ये मुख्य तरीके हैं:

– कंडोम का हमेशा इस्तेमाल: हर यौन संबंध में 98% सुरक्षा कंडोम के इस्तेमाल से मिलती है।

– सुई/सिरिंज न साझा करें: टैटू या मेडिकल इंजेक्शन में हमेशा नई, साफ सुई इस्तेमाल करें।

– नियमित HIV टेस्ट: हर 6-12 महीने में, खासकर जोखिम वाले लोगों के लिए HIV टेस्ट अनिवार्य है। ICTC सेंटर्स (एकीकृत परामर्श एवं जांच केंद्र) में मुफ्त उपलब्ध है।

– मां से बच्चे में रोकथाम: गर्भवती महिलाओं का HIV टेस्ट अनिवार्य। ART दवा से 99% तक बच्चा सुरक्षित रहता है।

– खून चढ़ाने से पहले स्क्रीनिंग: यह भारत में सभी ब्लड बैंक में अनिवार्य टेस्ट, इससे जोखिम लगभग शून्य ही है।

एचआईवी कोई डरावनी या मौत की बीमारी नहीं है।
यह डायबिटीज या ब्लड प्रेशर की तरह एक सामान्य, प्रबंधनीय बीमारी है। हमारी और आपकी जागरूकता एवं सावधानी ही इस बीमारी को पूरी तरह खत्म कर सकती है, और भारत को HIV मुक्त बना सकते है।