
इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस के भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के लगातार पकड़े जाने के बावजूद निरंकुश बेखौफ पुलिसकर्मियों द्वारा वसूली जारी है।
पुलिस कमिश्नर सतीश गोलछा ने पद संभालने के बाद 23 अगस्त को वरिष्ठ पुलिस अफसरों से कहा था कि अब अगर कोई भी पुलिसकर्मी रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया, तो उसके लिए जिला डीसीपी और एसएचओ भी जिम्मेदार होंगे। लेकिन कमिश्नर सतीश गोलछा की कथनी और करनी में अंतर साफ़ नज़र आ रहा है। डीसीपी के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की तो खैर उनमें हिम्मत नहीं होगी। रिश्वतखोर पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी के हरेक मामले में कम से कम हरेक एसएचओ को ही हटा कर अपनी बात की कुछ तो लाज रख लें।
दिल्ली पुलिस की विजिलेंस यूनिट ने 18 सितंबर को महरौली थाने में तैनात एएसआई पप्पू राम मीणा और उसके बिचौलिए को 5 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।बाइक छोड़ने के लिए एएसआई पप्पू राम मीणा ने दस हज़ार रुपये रिश्वत मांगी।
शिकायतकर्ता हितेश निवासी नेब सराय का 10 सितंबर को एक प्रापर्टी डीलर से मामूली विवाद हो गया था। झगड़े की पीसीआर कॉल पर एएसआई पप्पू राम मीणा मौके पर गया और उसने जांच बंद/ कॉल फाइल कर दी। इसके बाद एएसआई पप्पू राम मीणा हितेश के घर गया और ताला तोड़ कर मोटर साइकिल थाने ले गया। वीरवार शाम को थाने में शिकायतकर्ता से रिश्वत लेते ही बिचौलिए मोहम्मद शाकिर/साकिब और एएसआई पप्पू राम मीणा को विजिलेंस यूनिट ने गिरफ्तार कर लिया। बिचौलिया सैलून में काम करता है।
विजिलेंस यूनिट ने 9 सितंबर को थाना हौज काजी में तैनात एएसआई राकेश कुमार को शिकायतकर्ता से 15,000 रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। एएसआई राकेश कुमार ने बचने के लिए रिश्वत की रकम हवा में उछाल दी।
उत्तर पश्चिम जिले के डीसीपी भीष्म सिंह की कनाक के नीचे ही 25 अगस्त को वसूली करके बेखौफ पुलिसकर्मियों ने साबित कर दिया कि कमिश्नर और डीसीपी उनके ठेंगे पर हैं। सीबीआई ने अशोक विहार थाने में तैनात चिट्ठा मुंशी हवलदार राजकुमार मीणा को एक लाख रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। एसएचओ कुलदीप शेखावत को लाइन हाज़िर कर दिया गया। इस मामले में सस्पेंड किया गया सब-इंस्पेक्टर विशाल मीणा फरार है।