अजय कुमार
लखनऊ : हरियाणा में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं। प्रचार अभियान जोरों पर चल रहा है। कांग्रेस और बीजेपी ने कई प्रत्याशियों के नाम भी घोषित कर दिये हैं। हरियाणा में कांग्रेस पहलवान विनेश फोगाट को टिकट देकर बीजेपी को बैकफुट लाने की कोशिश में है तो भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के लिये भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह की पहलवान विनेश फोगाट व बजरंग पूनिया के खिलाफ बयानबाजी एक और चिंता का विषय बना हुआ है। इसी के चलते आलाकमान ने बृजभूषण को फोगाट या पूनिया पर बयान देने से बचने की हिदायत दी है। पार्टी नेतृत्व को डर है कि इसका असर हरियाणा विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है। पार्टी सूत्रों ने बताया, अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस संबंध में बृजभूषण से फोन पर बात की और हरियाणा चुनाव संपन्न होने तक इस मुद्दे पर चुप रहने को कहा। बीजेपी को लगता है कि बृजभूषण का बयान चुनावी मुद्दा बन सकता है और पार्टी ऐसा नहीं चाहती। बृजभूषण विनेश व बजरंग के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से ही हमलावर हैं। उन्होंने खुद पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों के लिए कांग्रेस नेता भूपेंद्र हुड्डा को जिम्मेदार ठहराया था।
गौरतलब हो भाजपा के पूर्व सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने हाल ही में मीडिया से बातचीत में अंतर्राष्ट्रीय पहलवानों पर फिर निशाना साधा था। बजरंग पूनिया के मानसिकता खराब वाले बयान पर पलटवार करते हुए बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि मानसिकता तो पूनिया की खराब है, अपनी पत्नी को दांव पर लगा दिया है। उन्होंने जंतर-मंतर पर हुए आंदोलन पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि आंदोलन को लीड कौन कर रहा था, हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और सांसद दीपेंद्र हुड्डा कर रहे थे। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा आई थीं और आज जो सिक्वेंस मिल रहे हैं कांग्रेस के मिल रहे हैं। बताया कि खिलाड़ियों का नहीं एक परिवार और एक अखाड़े का प्रदर्शन था। जीजा-साली और एक अखाड़ा था।
बता दें हरियाणा चुनाव के बीच विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से लगातार बृजभूषण शरण सिंह का बयान आ रहा है। हालांकि, पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने स्पष्ट किया कि वह कोई पत्रकार वार्ता नहीं कर रहे हैं, सिर्फ सवालों का जवाब दे रहे हैं। उधर, द्रोणाचार्य अवार्डी व विनेश के शुरूवाती कोच महावीर फोगाट ने कहा कि विनेश ने राजनीति में आने में जल्दबाजी की। वह नेता तो बन जाएंगी, लेकिन ओलंपिक मेडलिस्ट नहीं कहला पाएंगी। उन्हें 2028 के ओलंपिक का इंतजार करना चाहिए था।