धर्म के आवरण में दरिंदिगी:कुछ तो गड़बड़ है

Brutality under the cover of religion: something is wrong

निर्मल रानी

हमारे देश में जितना अधिक धर्म का ढिंढोरा पीटा जा रहा है अधर्म भी उतनी ही तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों से ऐसे मामलों में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। ख़ासतौर से जब से आसाराम,स्वामी चिन्मयानंद,गुरमीत राम रहीम,स्वामी नित्यानंद,दाती महाराज,रामपाल,आसाराम के कुपुत्र नारायण साईं,भीमानंद महाराज उर्फ़ शिवमूरत द्विवेदी,राम शंकर तिवारी उर्फ़ स्वामी परमानंद व आशु भाई महाराज जैसे स्वयंभू संतों व डेरा संचालकों से जुड़े मामले सामने आये व इनमें से कई को बलात्कार व यौन शोषण के मामले में जेल जाना पड़ा तब से तो ‘धर्म क्षेत्र’ में इसतरह के कुकर्मों की गोया झड़ी सी लग गयी। देश में न जाने कितने साधु वेश धारी मंदिर के पुजारी या किसी न किसी रूप में धर्म क्षेत्र से जुड़े लोग यौन हिंसा के शर्मनाक मामलों में पकड़े जा चुके हैं।

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दीपक वर्मा नामक एक बलात्कारी को थाना आलमबाग़ के अंतर्गत पुलिस ने सूर्योदय से पूर्व ही सुबह सवेरे मुठभेड़ में मार गिराया ,यह व्यक्ति भी धर्म का चोला ओढ़े रहता था। स्वयं को माता का भक्त प्रदर्शित करने वाला यह कुकर्मी माता रानी के जागरण समारोहों में झांकियां सजाने व झांकियां निकालने का काम किया करता था। इस ने चंद्रनगर मेट्रो स्टेशन के नीचे से ढाई-तीन साल की बच्ची को, जो अपने पिता के साथ लेटी हुई थी,चुपके से उसका अपहरण कर उसे उठा लगाया। बाद में इस व्यक्ति ने उस बच्ची के साथ बड़ी ही बेरहमी के साथ दुष्कर्म किया था। मासूम बच्ची अभी भी गंभीर अवस्था में इलाज करा रही है। पुलिस ने माता भक्त इस आरोपी पर एक लाख का इनाम भी घोषित कर दिया था। उसके बाद पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपी की पहचान की और गत वीरवार को देर रात थाना आलमबाग क्षेत्र के मवैया के निकट एनकाउंटर में ढेर कर दिया।

भारत जैसे धर्म प्रधान देश में में यौन शोषण के मामलों का तेज़ी से बढ़ना अत्यंत चिंता का विषय है। हालाँकि देश में यौन शोषण को लेकर काफ़ी कड़े क़ानून भी बने हुये हैं फिर भी यह एक प्रमुख सामाजिक समस्या बनी हुई है। ख़ासकर धर्म क्षेत्र में कुकर्मियों व अधर्मियों का प्रवेश कर जाना धार्मिक सीख व शिक्षाओं पर भी सवाल खड़े करता है। एक अनुमान के अनुसार भारत में प्रत्येक 22 मिनट में एक बलात्कार का मामला दर्ज होता है। इसमें वह मामले शामिल नहीं हैं जो भयवश या लाज वाश अथवा सुलह सफ़ाई के बाद या फिर सामाजिक कलंक या कमज़ोर क़ानूनी व्यवस्था के कारण दर्ज नहीं होते और वह सरकारी रिकार्ड में नहीं आ पाते। अन्यथा यह आंकड़े और भी चौंकाने वाले हो सकते हैं। वैसे तो दक्षिण अफ़्रीक़ा,स्वीडन,संयुक्त राज्य अमेरिका,इंग्लैंड,मिस्र,फ़्रांस व इथियोपिया जैसे देश भी महिला शोषण व बलात्कार जैसे मामलों में बदनाम देशों की सूची में शामिल हैं। परन्तु इनमें से कोई भी देश धर्म का उस स्तर पर ढिंढोरा नहीं पीटता जितना भारत में देखने को मिलता है। स्वयं को धर्म प्रधान प्रदर्शित करने वाले भारत जैसे देश में बेशक यह एक अत्यंत गंभीर व संवेदनशील मुद्दा है।

कहीं आश्रमों,मंदिरों व चर्चों में यौन शोषण के मामले सामने आते हैं जहाँ महंत, पुजारी,पादरी जैसे धर्म के आवरण में छुपे लोगों पर गैंगरेप का आरोप लगता है। जैसे कुछ समय पूर्व कानपुर में एक पीड़िता को पहले नशीला लड्डू खिलाया गया फिर उसका यौन शोषण कर घटना का वीडियो बनाकर उसे धमकाया गया। चार महीने बाद गोविंद नगर थाने में शिकायत तो दर्ज ज़रूर हुई, लेकिन परन्तु चूँकि महंत, पुजारी, और अन्य रेपिस्ट प्रभावशाली थे इस कारण उनके विरुद्ध पुलिस ने देर से कार्रवाई की। इसी तरह मई 2025 में आगरा के एक मंदिर में 5 साल की बच्ची के साथ बलात्कार की घटना चर्चा में रही। इस मामले में पुलिस ने शुरू में आरोपी को छोड़ दिया था लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद उसे फिर से गिरफ़्तार किया गया। इसी तरह अप्रैल 2025 में सीतापुर में एक मंदिर के पुजारी पर नाबालिग़ लड़की के साथ दुष्कर्म करने और एक पत्रकार की हत्या का आरोप लगा था। ऐसे ही सतना के नादन थाना क्षेत्र में एक कथा वाचक नारायण स्वरूप त्रिपाठी ने तीन नाबालिग़ बहनों को काल सर्प दोष की पूजा करने के बहाने अपने कमरे में बुलाकर उनका बलात्कार किया। पीड़िता बहनों के परिजनों की शिकायत पर नादन थाना पुलिस ने उसे गिरफ़्तार किया। इसी तरह कुछ समय पूर्व दिल्ली के द्वारका में बाबा मसानी नामक एक ‘राक्षस ‘ को पुलिस ने गिरफ़्तार किया। इसने पहले तो एक महिला से पांच लाख रूपये मांगे। बाद में पैसे न मिलने से खिन्न इस दुष्ट ने उस महिला को नशीला पदार्थ खिलाकर उससे बलात्कार किया। यह बाबा माता मसानी चौकी के नाम से अपना दरबार चलाता है। यह यू ट्यूबर भी है।

ऐसे ही केरल में कैथोलिक चर्च से जुड़े यौन शोषण के मामले चर्चा में रहे। एक नन ने जालंधर के रोमन कैथोलिक चर्च के बिशप पर 14 बार यौन शोषण का आरोप लगाया था । 2019 में तो पोप फ्रांसिस ने भी स्वीकार किया था कि भारत, लैटिन अमेरिका, इटली, और अफ्रीका में बिशप और प्रीस्ट द्वारा ननों का यौन शोषण हुआ है। पटना में 2017 में एक पादरी पर दो महिलाओं के साथ बलात्कार और धर्म परिवर्तन के नाम पर यौन शोषण का आरोप लगा। इसी प्रकार दिसंबर 2024 में संभल, उत्तर प्रदेश, में एक मस्जिद के मौलाना साजिद और उसके भाई पर 13 साल की बच्ची के साथ बलात्कार की कोशिश और तीन घंटे तक बंधक बनाने का आरोप लगा। पुलिस ने दोनों को गिरफ़्तार किया। एक तथ्य यह भी है कि धार्मिक संस्थानों में यौन शोषण के मामलों को अक्सर दबाने की कोशिश की जाती है। इसकी वजह यह है कि एक तो धार्मिक संस्थान समाज में सम्मानित स्थान माने जाते हैं। दूसरे यह कि वोट बैंक के चलते इनके राजनैतिक रुसूख़ भी होते हैं। यही वजह है कि ऐसे कई मामलों में, प्रभावशाली व्यक्तियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई में देरी होती है। जैसे कि आगरा और कानपुर की घटनाओं में पुलिस की प्रारंभिक निष्क्रियता की काफ़ी आलोचना हुई थी । धर्मस्थानों में होने वाली व धर्मिकता का लिबादा ओढ़े लोगों द्वारा ऐसे घटनाओं को अंजाम देने की प्रवृति ने धार्मिक सोच धार्मिक शिक्षा व धार्मिक संस्थानों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिये हैं। लिहाज़ा इस निष्कर्ष पर पहुँचने में कोई हर्ज नहीं कि धर्म के आवरण में दरिंदिगी फैलाने जैसे अधर्म में कहीं न कहीं कुछ न कुछ गड़बड़ तो ज़रूर है।