यदि कानून के दायरे में आता है तो बुलडोजर अवश्य चलाया जाना चाहिए

पिंकी सिंघल

कानून बनाने के बाद उसे लागू करना किसी भी देश की सरकार की जिम्मेदारी होती है ।सही मायनों में कोई भी कानून तभी कानून कहलाना चलाया जाना चाहिए जब वह कानून उस देश की जनता और प्रत्येक वर्ग चाहे, वह अमीर हो गरीब हो नेता हो या अन्य कोई भी समान रूप से लागू हो,वो भी बिना किसी भेदभाव के।

बुलडोजर चलाना यदि कानून के दायरे में आता है तो बुलडोजर अवश्य चलाया जाना चाहिए ,बशर्ते कि बुलडोजर चलाए जाते वक्त यह ना देखा गया हो कि वह बुलडोजर किस पर चलाया जा रहा है ।देश में रसूख रखने वाले एक विशेष वर्ग को यदि कानून के साथ सांठगांठ करने दिया जाता है तो वहां की कानून व्यवस्था के साथ-साथ न्याय व्यवस्था पर भी बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह लग जाता है। दोनों का जब सरेआम खुल कर मखौल उड़ाया जाता है तो कानून व्यवस्था चरमरा जाती है, साथ ही जब उन कानूनों को संरक्षण देने की बजाय उस देश की न्याय व्यवस्था भी चुप्पी साध लेती है तो आमजन का देश की कानून व्यवस्था के साथ-साथ वहां की न्याय व्यवस्था पर से भी विश्वास उठ जाता है।

यह तो सत्य है कि प्रत्येक व्यक्ति को जब अपने अधिकारों के बारे में ज्ञान होता है तो यह संभव नहीं कि उसे अपने कर्तव्यों का भान ना हो। बुलडोजर के संदर्भ में बात की जाए तो यदि कोई व्यक्ति किसी अवैध निर्माण कार्य को अंजाम दे रहा है तो उसके मन में कहीं ना कहीं यह बात अवश्य होती है कि वह गलत कार्य कर रहा है जिसका खामियाजा उसे आने वाले समय में उठाना पड़ सकता है। उस व्यक्ति ने यह करने के लिए उच्च अधिकारियों को रिश्वत ओर घूस ही क्यों ना खिलाई हो ,परंतु ,वह कहीं ना कहीं खुद को दोषी अवश्य समझता है। हां, यह जरूर है कि अधिक से अधिक पैसा कमाने और समाज में अपना रुतबा दिखाने के लिए वह अंधा हो जाता है और उसे नजर ही नहीं आता कि उसके इस गैरकानूनी काम के लिए उस सजा भी मिल सकती है।

इस संदर्भ में मैं लोगों की इस बात से कि बुलडोजर चलाए जाने से पहले संबंधित विभाग द्वारा नोटिस भेजना अनिवार्य है,सहमत नहीं हूं कि बुलडोजर चलाए जाने से पहले उन्हें नोटिस भेजा जाए यदि सरकार इस प्रकार के छुट पुट कार्यों में लगी रहेगी तो जनता भी एक समय बाद कानूनों का मजाक बनाएगी ही ।आखिर कानून बनाए ही किस लिए जाते हैं, यदि जनता उन कानूनों का जानबूझकर उल्लंघन करें और सरकार द्वारा दिए जाने वाले नोटिस का इंतजार करें तो यह बात हलक से नहीं उतरती। इस प्रकार के व्यर्थ के कामों में सरकारी समय बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए, अपितु गैर कानूनी निर्माण पर बुलडोजर चलाया जाना चाहिए ताकि लोगों के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया जा सके और भविष्य में अन्य व्यक्ति भी किसी गैर कानूनी निर्माण कार्य को अंजाम देने से पहले सौ नहीं एक हजार बार सोचें।

देश को चलाना कोई आसान काम नहीं है गरीबों और असहाय लोगों के प्रति संवेदनाएं होनी चाहिएं,यही सच्ची मानवीयता है, परंतु जब यह संवेदनाएं सरकारी तंत्र को कमजोर बनाना शुरू कर दें और देश की कानून व्यवस्था तथा न्याय व्यवस्था पर से आम जन का विश्वास उठना प्रारंभ हो जाए, तो व्यवहारिक होकर सोचने में ही बुद्धिमानी होगी। कोई भी देश संवेदनाओं के सहारे विकास और प्रगति की राह पर नहीं बढ़ सकता।नियम, कायदों का पालन तो हर हाल में होना ही चाहिए,आखिर हमारे राष्ट्र की प्रतिष्ठा का सवाल है।