हेरिटेज स्टेट का स्टेटस पाकर राजस्थान देश को विदेशी पर्यटकों और आय का सबसे बड़ा केंद्र बना सकता है

By getting the status of Heritage State, Rajasthan can become the biggest centre of foreign tourists and income in the country

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

अपनी बहुरंगी संस्कृति के कारण राजस्थान देश विदेश से आने पाले पर्यटकों की पहली पसंद रहता आया है। राजस्थान के बारे में कहा जाता है कि यह एक ऐसा रंग बिरंगे गुलदस्ते की तरह है जिसमें सभी रंगों के फूल और उनकी खुशबू समाहित है। राजस्थान में एक ओर दूर – दूर तक फैले रेगिस्तान में रेतीले धोरों का आकर्षण है तो दूसरी और भव्य किले,अनूठे महल एवं हवेलियां, खूबसूरत झीलें, बावड़ियां, कई बाघ और वन्य जीव अभ्यारण्य है। चटकीले रंगों के पहनावे और मनुहार से भरे व्यंजनों के बीच पधारो म्हारे देश की गूंज तथा मनमोहक नृत्य एवं संगीत तथा तीज एवं त्यौहारों का मिलन हर किसी को बार- बार राजस्थान आने को ललचाता है। कहने को राजस्थान में समुद्र के तट (बीच) और बर्फ की वादियां नहीं है लेकिन प्रदेश की माउंट आबू झील सर्दियों में बर्फ के आवरण से ढक जाया करती है। चूरू देश का सबसे कम और उच्च तापमान के रिकार्ड कायम करने वाला जिला है। प्रदेश में चंबल,माही और एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झीलों में शुमार जयसमंद झील समुद्र की कमी को दूर करने वाली और केरल के बेक वाटर टूरिज्म की तरह अनेक संभावनाओं से भरपूर है। राजस्थान में हर तीन कोस पर एक नया हेरिटेज स्थल देखा जा सकता है। इसलिए यह टैग वाक्य भी बना था कि जाने क्या दिख जाए !!

विश्व पर्यटन के मानचित्र पर अहम स्थान रखने वाले राजस्थान ने पिछले दो वर्षों में देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में उत्साहजनक वृद्धि हुई है।पर्यटकों में राजस्थान के प्रति बढ़ते आकर्षण की बानगी है कि वर्ष 2025 में अगस्त तक राज्य में 15 करोड़ से अधिक देशी पर्यटक तथा लगभग 12 लाख विदेशी पर्यटक राजस्थान आए हैं। प्रदेश में प्राचीन और ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों की यात्रा के लिए हर साल देश-विदेश से लाखों लोग आते हैं। इन यात्रियों को और अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा धार्मिक पर्यटन की दिशा में भी अभूतपूर्व कार्य किये जा रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल खाटू श्यामजी, सालासर हनुमानजी, मेहंदीपुर बालाजी,पुष्कर, नाथद्वारा, श्री महावीर जी और गलता तीर्थ को जोड़ते हुए एक समग्र धार्मिक पर्यटन सर्किट विकसित किया जा रहा है।

वर्ष 2024 की देशी एवं विदेशी पर्यटक यात्राओं में देश में राज्य को 5 वीं रैंक प्राप्त हुई है। वर्ष 2024 में देशी पर्यटकों की संख्या में 28.50 प्रतिशत तथा विदेशी पर्यटकों की संख्या में 21 .92 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। इसी प्रकार वर्ष 2025 में अगस्त माह तक, वर्ष 2024 की समान अवधि की तुलना में देशी एवं विदेशी पर्यटक यात्राओं में 11.71 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “विकास भी, विरासत भी” के मूल मंत्र के साथ राज्य सरकार ने गत दो वर्षों में प्रदेश के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक गौरव को और समृद्ध करते हुए पर्यटन उद्योग को नई पहचान दी है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया है कि राजस्थान में पर्यटन के लिए आने वाले देशी- विदेशी पर्यटकों को स्तरीय सुविधाओं के साथ-साथ सुरक्षित और अच्छा वातावरण मिले और वे अपने साथ सुखद अनुभव लेकर जाएँ। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य में पर्यटन के विकास के लिए किये जा रहे सतत प्रयासों का परिणाम है कि पर्यटक
यात्राओं की संख्या में राजस्थान का देश में 5वां स्थान पर है। प्रदेश में घूमने के लिए आने वाले मेहमानों को नए अनुभव प्रदान करने तथा हर उम्र के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए पर्यटन के विभिन्न आयामों को विकसित किया जा रहा है। हैरिटेज, धार्मिक, रूरल, एडवेंचर तथा ईको टूरिज्म के विकास के लिए राज्य सरकार लगातार काम कर रही है। प्रदेश में पर्यटन स्थलों के विकास,पर्यटकों की सुविधा के विस्तार तथा ब्रांडिंग के लिए 5 हजार करोड़ रुपये से अधिक के विकास कार्य कराए जाएंगे। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा राजस्थान टूरिज्म इन्फ्रास्ट्रक्चर एण्ड कैपेसिटी बिल्डिंग फंड का गठन किया गया है।

पर्यटन क्षेत्र में निवेश और रोजगार सृजन को गति देने के लिए 04 दिसम्बर 2024 से राजस्थान पर्यटन इकाई नीति लागू की गई है। इससे प्रदेश में पर्यटन को उद्योग के रूप में विकसित करने की दिशा में तेजी आई है। पर्यटन क्षेत्र से जुड़े निवेशकों एवं उद्यमियों को लाभ मिलने से निजी क्षेत्र में नई पर्यटन इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहन मिल रहा है। साथ ही युवाओं के लिए रोजगार के नित नए अवसर सृजित हो रहे हैं।

राज्य सरकार द्वारा राजस्थान के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और आस्था को एक सूत्र में पिरोते हुए महाराणा प्रताप टूरिस्ट सर्किट और ट्राइबल टूरिस्ट सर्किट को 100- 100 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है। महाराणा प्रताप टूरिस्ट सर्किट के अंतर्गत महाराणा प्रताप से जुड़े चावंड, हल्दीघाटी, गोगुंदा, कुंभलगढ़, दिवेर और उदयपुर जैसे ऐतिहासिक स्थलों को शामिल किया जाएगा। वहीं जनजातीय संस्कृति, कला और विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए विकसित किये जा रहे ट्राइबल टूरिस्ट सर्किट के तहत सीतामाता अभयारण्य, ऋषभदेव, गौतमेश्वर मंदिर और मातृकुंडिया जैसे स्थलों को विकसित किया जा रहा है। इसके अलावा ब्रज चौरासी परिक्रमा और कृष्ण गमन पथ जैसी परियोजनाओं का कार्य भी किया जा रहा है।

स्वदेश दर्शन 2.0 और प्रसाद 2.0 योजनाओं के अंतर्गत खाटू श्याम जी, करणी माता मंदिर, मालासेरी डूंगरी समेत अनेक धार्मिक स्थलों का विकास कार्य प्रगति पर हैं। इसके अतिरिक्त प्रदेश के 252 धार्मिक पर्यटन स्थलों पर जीर्णाेद्धार एवं विकास कार्य किए जा रहे हैं। माही डैम क्षेत्र में आइलैंड टूरिज्म विकसित करने की दिशा में भी राज्य सरकार द्वारा ठोस पहल की जा रही है। पर्यटन विकास की इन योजनाओं से स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। राजस्थान में बॉर्डर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए जैसलमेर जिले में तनोट माता मंदिर के विकास हेतु डीपीआर तैयार की जा रही है तथा भारत-पाक सीमा पर बीएसएफ रिट्रीट सेरेमनी के आयोजन के लिए तनोट में कॉम्पलेक्स का निर्माण कार्य प्रगति पर है। हेरिटेज संरक्षण की दिशा में राज्य सरकार द्वारा शेखावाटी हवेली संरक्षण योजना लागू की गई है, जिसके अंतर्गत झुंझुनूं, सीकर और चूरू जिलों की 662 हवेलियों को संरक्षण हेतु चिह्नित किया गया है। इसके साथ ही राज्य में अब तक 62 नई हेरिटेज होटल एवं सम्पत्तियों को हेरिटेज प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए हैं। प्रदेश की हैरिटेज इमारतों, हैरिटेड होटलों, शाही किलों, महलों और रेतीले टीलों और यहां की मेहमाननवाजी के प्रति आकर्षण के चलते राजस्थान शाही शादियों और फिल्म पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र बन गया है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश में डेस्टिनेशन वेडिंग और फिल्म पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई कार्य किये हैं। फिल्म पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2024 एवं 2025 में फिल्मांकन, डॉक्यूमेंट्री और विज्ञापन शूटिंग हेतु 86 अनुमतियां जारी की गईं। इसके अतिरिक्त, प्रतिष्ठित आईफा अवार्ड के 25वें समारोह का आयोजन जयपुर में किया गया, जिससे राजस्थान को वैश्विक स्तर पर व्यापक पहचान प्राप्त हुई। पहली बार जयपुर में वेड इन इण्डिया एक्सपो का आयोजन भी किया गया, जिससे राज्य में वेडिंग टूरिज्म को नई पहचान मिली है। प्रदेश में विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं के चलते यहां पारम्परिक पर्यटन से इतर वेलनेस टूरिज्म के प्रति भी लोगों का आकर्षण बढ़ा है।

राज्य की सांस्कृतिक विरासत को जन-जन तक पहुंचाने के लिए इस वर्ष सभी संभाग मुख्यालयों पर पहली बार भव्य स्तर पर घूमर फेस्टिवल का आयोजन किया गया। जयपुर के पौण्ड्रिक पार्क में महिलाओं के लिए विशेष तीज मेले का भी प्रथम बार आयोजन हुआ। प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए यूनेस्को इंडिया के सहयोग से 214 कलाकारों एवं हस्तशिल्प कर्मियों को स्वरोजगार हेतु प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इसके साथ ही रेस्पॉन्सिबल और सस्टेनेबल टूरिज्म को प्रोत्साहित करने के लिए जयपुर में इंडियन रेस्पॉन्सिबल टूरिज्म स्टेट समिट एण्ड अवार्ड्स का आयोजन किया गया, जिसमें पर्यटन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया। राजस्थान में बारह मास पर्यटन और नाइट टूरिज्म को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे है। डेस्टिनेशन मैरिज के लिहाज से राजस्थान दुनिया का सर्वश्रेष्ठ स्थल बन विख्यात हो रहा है। यदि भारत सरकार इसे हेरिटेज स्टेट का स्टेटस दे देवें और 100 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता भी दे तो राजस्थान देश को विदेशी पर्यटकों और आय का अपने4 आपको सबसे बड़ा केंद्र साबित कर सकता है।