सीएए जरूरी पर हो पूरी तैयारी

सीता राम शर्मा ” चेतन “

गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों अपने पश्चिम बंगाल दौरे के दौरान कोरोना संकट पूरी तरह खत्म होने के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक को जमीन पर उतारने अर्थात लागू करने की बात कह कर एक बार फिर देश के एक तबके में हलचल पैदा कर दी है । हालांकि इसे लागू करने को लेकर किसी के मन में कोई संदेह नहीं था और होना भी नहीं चाहिए था, पर कुछ राजनीतिक दलों और उनके नेताओं के साथ मुट्ठी भर लोगों को यह भ्रम जरूर रहा होगा कि जिस तरह कोरोना संक्रमण फैलने के बाद इस कानून को लेकर सरकार सुस्त दिखाई दे रही थी, वह सुस्ती निकट भविष्य में भी जारी रहेगी । उन्हें यह लग रहा था कि सीएए के विरोध में उनके द्वारा या उनके समर्थन से देश की राजधानी दिल्ली के शाहीनबाग में हुआ विरोध-प्रदर्शन, जिस तरह केंद्र सरकार के गले की हड्डी बन गया था और उसके चलते देश की राजधानी महीनों तक जिस तरह अस्त-व्यस्त रही थी, सरकार अब दूबारा वैसा संकट मोल लेना नहीं चाहेगी, पर अब जबकि देश के गृहमंत्री ने खुद कोरोना संक्रमण के संकट खत्म होने के बाद इसे लागू करने की बात कह दी है, उन थोड़े से भ्रमित लोगों में बड़ा भय व्याप्त हो गया है । सीएए पर गृहमंत्री के ताजा वक्तव्य से नागरिकता संशोधन कानून के दायरे में आता वह तबका, जो इसके लागू होने के बाद संकट में होगा, उसके साथ उसके प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सरंक्षक, समर्थक और लाभार्थी लोगों, समूहों और राजनीतिक दलों के पेट में दर्द होने लगा है । परिणामस्वरूप वे निश्चित रूप से एक बार फिर सरकार और इस कानून के विरूद्ध षड्यंत्रकारी अवस्था में आ चुके होंगे, इसमें संदेह की रत्ती भर भी गुंजाइश नहीं है । कम से कम केंद्र सरकार को तो इसमें कोई संदेह होना भी नहीं चाहिए । इसलिए बेहतर होगा कि गृहमंत्रालय और केंद्र सरकार भी अब देश के लिए इस अति महत्वपूर्ण और आवश्यक कानून को लागू करने के पहले लागू होने के बाद इसके विरूद्ध और विरोध में किए जाने वाले हर धरना-प्रदर्शन और संभावित हर हिंसक-अहिंसक वारदातों से निपटने के तरीकों पर ना सिर्फ पूरी गंभीरता से विचार करे बल्कि उसके लिए कुछ ऐसे ठोस और सख्त नियम बनाए, कदम उठाए कि इस कानून को जमीन पर उतारने के बाद किसी भी तरह की अराजक स्थिति उत्पन्न ही नहीं हो पाए । बेहतर होगा कि सरकार दूरदर्शी हो बहुत बाद तक की पहले ही सोच ले और होने वाले हर संभावित विरोध और षड्यंत्र से निपटने की हर संभव तैयारी भी कर ले, ताकि इस कानून को लागू करने के बाद देश के भीतर से लेकर देश के बाहर तक की देश विरोधी ताकतें इस कानून और देश की व्यवस्था के लिए थोड़ी भी मुसीबत ना बन पाए । इसके लिए सरकार और उससे जुड़े जिम्मेवार संगठन, लोग, अधिकारी, कार्यकर्ता तथा समर्थक देश के भीतर संसद से लेकर गांव के चौक-चौराहों तक देश और देश की जनता के लिए इस कानून के महत्व, इसकी जरूरत, इसकी उपयोगित और इसके हर बिंदु पर बहुत सरलता और स्पष्टता के साथ संवाद करें । इस कानून की पूरी जानकारी दें । प्रिंट मीडिया से लेकर इलेक्ट्रॉनिक और सोसल मीडिया तक इस कानून की बारीकियों पर इतनी व्यापक चर्चा हो कि कोई भी देश विरोधी और षड्यंत्रकारी व्यक्ति, समूह या राजनीतिक दल किसी भी तरह से इस कानून को लेकर लोगों में कोई गलतफहमी पैदा ना कर पाए । सरकार को यह भी चाहिए कि ऐसे किसी भी कानून को लेकर, जो देश की एकता, अखंडता और शांति सुरक्षा के लिए जरूरी हो, उस पर वह अपनी बात इतनी सजगता, स्पष्टता और दूरदर्शिता के साथ रखे कि वह देश के आम, खास और आखिरी आदमी से लेकर अतंरराष्ट्रीय बिरादरी तक भी जाए, ताकि राष्ट्रीय महत्व के ऐसे महत्वपूर्ण कानूनों पर देश से विदेश तक में किसी भी तरह के प्रभावी विरोध की संभावना ही शून्य हो जाए । अंतिम बात यह कि नागरिकता संशोधन कानून हो या समान नागरिक संहिता, इन्हें लागू तो होना ही चाहिए । ये कानून देश और हर देशवासी के लिए बहुत जरूरी हैं ।