- गार्डनर ने लगातार गेंदों में हरमनप्रीत व पूजा को आउट कर भारत से छीनी जीत
- ऑस्ट्रेलिया ने करीबी फाइनल 9 रन से जीत स्वर्ण अपने नाम किया
नई दिल्ली : कप्तान ऑलराउंडर हरमनप्रीत सिंह के बेहतरीन अर्धशतक से भारतीय महिला क्रिकेट टीम राष्ट्रमंडल खेलों के फाइनल में रविवार रात मजबूत ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत और स्वर्ण पदक जीतने के सुनहरे सपने को पूरी करने की ओर बढ़ रही थी। भारत को जीत के लिए आखिरी 33 गेंदों में मात्र 44 रन बनाने और उसके सात विकेट बाकी थे। ऑस्ट्रेलिया की ऑलराउंडर एशले गार्डनर एक बार फिर भारत की जीत के रास्ते में आ गई। गार्डनर ने लगातार गेंदों में पहले पूजा वस्त्रकर (1) को मूनी और अगली ही गेंद पर कप्तान हरमनप्रीत सिंह (65 रन, 43 गेंद, दो छक्के और सात चौके) को विकेटकीपर हीली के हाथों कैच करा बाजी पलट कर भारत के हाथ से जीत छीन ऑस्ट्रेलिया को नौ रन से जीत दिला और स्वर्ण जिताने में अहम योगदान दिया। जीत के बहुत करीब पहुंच चूकने के कारण रजत पदक पर संतोष को मजबूर हरमनप्रीत कौर की अगुआई वाली नौजवान नए दौर की भारतीय महिला क्रिकेट के सबक यह है कि करीबी मुकाबले में नाजुक वक्त पर जीत के लिए जोश के साथ होश की भी जरूरत होती है। ऑस्ट्रेलिया का बड़े मंच पर खेलने का अनुभव उसके काम आया। शैफाली वर्मा और अनुभवी स्मृति मंधाना की सलामी जोड़ी थोड़ा संभल कर और धैर्य से आगाज करती तो भारत के हाथ आई जीत न फिसलती।
हरमनप्रीत कौर के आउट होने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने फाइनल में निचले मध्यक्रम की बल्लेबाजों को सस्ते में समेट सुनहरा तमगा जीत बड़े ऑस्ट्रेलिया ने बड़े टूर्नामेंट में अपनी श्रेष्ठता साबित कर दी। भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों में ग्रुप ए में अपना अभियान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेहद करीबी मैच में उसकी आधी टीम को 49 पर पैवेलियन लौटाने के बावजूद तीन विकेट से हार से शुरू किया और समापन भी उससे बेहद करीबी फाइनंल हार कर किया। लीग मैच में बल्ले से कमाल दिखाने वाली गार्डनर ने फाइनल में 25 रन की उपयोगी पारी खेलने के साथ गेंद से भी कमाल दिखा 38 रन दे दो विकेट चटका भारत में भी जीत छीनी ली।
सलामी बल्लेबाज बेथ मूनी (61रन, 41 ,8 चौके ) की कप्तान मेग लेनिंग(36 रन, 26 गेंद, एक छक्का पांच चूके) के साथ दूसरे विकेट की 74 और एशली गार्डनर(25 रन, 15 गेंद, एक छक्का, दो चौके) के साथ चौथे विकेट के लिए 38 रन की भागीदारी की बदौलत टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए कई हिचकौले खाने और भारत की चुस्त फील्डिंग के बावजूद ऑस्ट्रेलिया ने निर्धारित 20 ओवर में आठ विकेट पर 161 रन का चुनौतीपूर्ण स्कोर बनाया। ऑस्ट्रेलिया ने दस ओवर में एक विकेट पर जब 89 रन बनाए तो वह 200 के पार जाती लग रही थी कि उसने आगे दस ओवर में सात विकेट और खोकर मात्र 72 रन ही जोड़े। एक समय तेज गेंदबाज रेणुका सिंह ठाकुर(2/25) और ऑलराउंडर ऑफ स्पिनर स्नेह राणा(2/38) भारत की सबसे कामयाब गेंदबाज रही जबकि दीप्ति शर्मा और राधा यादव ने एक एक विकेट लिया।
शैफाली वर्मा (11 रन, 7 गेद, 2 चौके) और अनुभवी स्मृति मंधाना (6)की सलामी जोड़ी हड़बड़ी में गड़बड़ी कर तीसरे ओवर में मात्र 22 रन पर आउट होकर लौटने से भारत की पारी शुरू में दबाव में आ गई। जेमिमा रॉड्रिग्ज (33 रन, 33 गेंद, तीन चौके) और कप्तान हरमनप्रीत कौर की तीसरे विकेट की 96 रन जोड़ भारत के स्कोर को 14.3 में 118 रन पर पहुंचाया की तभी ऑस्ट्रेलिया की तेज गेंदबाज मेघन शट ने जेमिमा को बोल्ड कर इस भागीदारी को तोड़ दिया। अगले ओवर में गार्डनर ने पहले वस्त्रकर और अगली ही गेंद पर कप्तान हरमनप्रीत कौर को आउट करने से के बाद भारत की पारी ऐसी बिखरी की पूरी टीम ही 19.3 ओवर में 152 रन ढेर हो मैच हार गई। जब हरमनप्रीत कौर के रूप में जब भारत ने पांचवां विकेट 121 रन पर खोया तो भारत को जीत के लिए 25 गेंद में 41 रन की जरूरत थी। तेजी से रन बनाने की हड़बड़ी में भारत की अंतिम पांच बल्लेबाजों में तीन -स्नेह राणा(8), राधा यादव(1) और मेघना सिंह(1) रनआउट हो गईं। भारत ने अपने अंतिम आठ विकेट मात्र 34 रन पर गंवा जीत का मौका गंवा हार झेली।
‘मैं या पूजा टिकी रहती तो हम फाइनल जीत सकते थे’
‘आप यदि ऑस्ट्रेलिया को हराना चाहते हैं तो आपको मैदान पर चुस्त फील्डिंग करनी होगी। ऑस्ट्रेलिया को आप यदि आसान से रन बनाने देंगे तो वह आपसे आसानी से मैच छीन लेगी। हमने अपनी टीम की बैठक में इसकी चर्चा भी की और बतौर फील्डर राधा यादव ने अनुकरणीय प्रदर्शन किया। बतौर टीम हम ऐसी ही उत्कृष्टï चुस्त फील्डिंग करना चाहते हैं। शुरू में दो विकेट जल्दी गंवाने के बाद जेमिमा और मैंने मैच की जरूरत के मुताबिक बल्लेबाजी की। ऐसे में आपको खुद पर काबू रख कर खेलने की जरूरत होती है। हम जीत के करीब पहुंच गए थे। यदि मैं या फिर पूजा कुछ टिकी रहती तो हम यह फाइनल जीत सकते थे। यह सब खेल का हिस्सा है। कई बार कई चीजें आपके बस में नहीं होती है। हमारे लिए यह बहुत बड़ा सबक है। मैं अपनी टीम के लिए हमेशा एक और बल्लेबाज की तलाश में लगी रहती हूं। हमें जब यह एक और बल्लेबाज मिल जाएगी तो तब हमारी बल्लेबाजी रविवार को जिस तरह बिखरेगी वैसे बिखरनी बंद हो जाएगी। मैं जानती हूं कि जीत के लक्ष्य का पीछा करते हुए आखिर के दो तीन ओवर हमारे हक में नहीं रहे। हमारा खेल दर्शनीय रहा। हर बार बड़े फाइनल बल्लेबाजी में हम एक की तरह की गलतियां बार बार कर रहे हैं। हमें बल्लेबाजी की अपनी इन गलतियों को दुरुस्त करने की जरूरत है। बतौर टीम हम सही राह पर है। मैं जानती हूं कि बेशक हमारी टीम आसानी से स्वर्ण पदक जीत सकती थीं। कुछ न होने से कुछ तो होना अच्छा है। हमने कम से कम रजत तो जीता। हमने जितनी मेहनत की है स्वर्ण पदक जीतने की तो हकदार थीं। हमने रविवार को जे भी कुछ भी हासिल किया उससे हम संतुष्टï हैं। फिर भी हमें हमारी बराबर इसी तरह मेहनत जारी रखी होगी।
– हरमनप्रीत कौर, भारत की कप्तान