महानगर से जंगल तक दौड़ रही सीबीआई

इंद्र वशिष्ठ

सीबीआई ने अपने काम से, अपने कौशल से सामान्य जन को एक विश्वास दिया है। आज भी जब किसी को लगता है कि कोई केस असाध्य है, तो आवाज़ उठती है कि मामला सीबीआई को दे देना चाहिए. न्याय के, इंसाफ के एक ब्रांड के रूप में सीबीआई हर ज़ुबान पर है सीबीआई की हीरक जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन अप्रैल को विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में यह बात कही.

महानगर से जंगल तक सीबीआई-
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 6 दशकों में सीबीआई ने मल्टी डाइमेंशनल और मल्टी-डिसिप्लिनरी जांच एजेंसी के तौर पर अपनी पहचान बनाई है। आज सीबीआई का दायरा काफी बड़ा हो चुका है। बैंक फ्रॉड से लेकर, वाइल्ड लाइफ से जुड़े हुए अपराधों, यानी यहां से यहां तक, महानगर से ले करके जंगल तक अब सीबीआई को दौड़ना पड़ रहा है। ऑर्गेनाइज्ड क्राइम से लेकर, साइबर क्राइम तक के मामले सीबीआई देख रही है।

भ्रष्टाचार मुक्त देश-
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुख्य रूप से सीबीआई की जिम्मेदारी भ्रष्टाचार से देश को मुक्त करने की है। भ्रष्टाचार, कोई सामान्य अपराध नहीं होता। भ्रष्टाचार, गरीब से उसका हक छीनता है, भ्रष्‍टाचार अनेक अपराधों का सिलसिला शुरू करता है, अपराधों को जन्म देता है। भ्रष्टाचार, लोकतंत्र और न्याय के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा होता है। विशेष रूप से जब सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार हावी रहता है, तो वो लोकतंत्र को फलने-फूलने नहीं देता।

फोन पर हजारों करोड़ के लोन-
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हम इंटरनेट बैंकिंग की बात करते हैं, यूपीआई से रिकॉर्ड ट्रांजेक्शन की बात करते हैं। लेकिन हमने 2014 से पहले का फोन बैंकिंग वाला दौर भी देखा है। ये वो दौर था, जब दिल्ली में प्रभावशाली राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों के फोन पर हज़ारों करोड़ रुपए के बैंक लोन मिला करते थे। इसने हमारी अर्थव्यवस्था के आधार, हमारे बैंकिंग सिस्टम को बर्बाद कर दिया था। बीते वर्षों में हम बहुत मेहनत करके अपने बैंकिंग सेक्टर को मुश्किलों से बाहर निकाल करके लाए हैं। फोन बैंकिंग के उस दौर में कुछ लोगों ने 22 हज़ार करोड़ रुपए देश के बैंकों के लूट लिए और विदेश भाग गए। हमने आर्थिक अपराध करने वाले भगोड़ों के ख़िलाफ़ (एफईओ) कानून बनाया। अभी तक विदेश भागे इन आर्थिक अपराधियों की, 20 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति जब्त की जा चुकी है।

जांच तेजी से हो-
प्रधानमंत्री ने कहा कि जांच में देरी दो तरीके से समस्या को जन्म देती है। एक तरफ, भ्रष्टाचारी को सजा देर से मिलती है, तो दूसरी तरफ निर्दोष परेशान होता रहता है। हमें सुनिश्चित करना होगा कि कैसे हम इस प्रोसेस को तेज बनाएं और भ्रष्टाचार में दोषी को सजा मिलने का रास्ता साफ हो पाए। हमें सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीय कार्य प्रणाली को स्टडी करना होगा। जांच अधिकारियों की क्षमता निर्माण पर फोकस करना होगा।

ना हिचके ना रुके-
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में करप्शन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राजनीति की इच्छाशक्ति की कोई कमी नहीं है। आपको कहीं पर भी हिचकने, कहीं रुकने की ज़रूरत नहीं है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं जानता हूं कि जिनके खिलाफ सीबीआई एक्शन ले रही हैं, वो बहुत ताकतवर लोग हैं। बरसों-बरस तक वो सरकर का, सिस्टम का हिस्सा रहे हैं। सीबीआई जैसी संस्थाओं की छवि बिगाड़ने के लिए ये हमला बोलते है, ये लोग आपका ध्यान भटकाते रहेंगे, लेकिन आपको अपने काम पर फोकस रखना है। कोई भी भ्रष्टाचारी बचना नहीं चाहिए। हमारी कोशिशों में कोई भी ढील नहीं आनी चाहिए।

क्राइम, करप्शन का मल्टीनेशनल नेचर-
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के सामाजिक तानेबाने पर, हमारी एकता और भाईचारे पर, हमारे आर्थिक हितों पर, हमारे संस्थानों भी नित्‍य-प्रतिदिन प्रहार बढ़ते चले जा रहे हैं। और इसमें ज़ाहिर तौर पर करप्शन का पैसा लगता है। इसलिए, हमें क्राइम और करप्शन के मल्टीनेशनल नेचर को भी समझना होगा, स्टडी करना होगा। उसके जड़ तक पहुंचना होगा। आज हम अक्सर देखते हैं कि आधुनिक टेक्नॉलॉजी के कारण क्राइम ग्लोबल हो रहे हैं। लेकिन यही टेक्नॉलॉजी, यही इनोवेशन समाधान भी दे सकते हैं। हमें इन्वेस्टिगेशन में फॉरेंसिंक साइंस के उपयोग का और ज्यादा विस्तार करना होगा।
साइबर क्राइम जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए हमें इनोवेटिव तरीके खोजने चाहिए।

(लेखक इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)