
विनोद कुमार सिंह
भारतीय रेल देश की जीवनरेखा है — प्रगति, विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर एक गतिशील शक्ति। भारतीय रेल न केवल यात्रियों के लिए आरामदायक और किफायती सफर का माध्यम बनी है, बल्कि यह माल ढुलाई में भी देश की रीढ़ साबित हो रही है। इसी गौरवमयी यात्रा का प्रतीक है हावड़ा रेलवे डिवीजन, जिसने अपने 100 वर्ष सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं।
100 वर्षों की ऐतिहासिक यात्रा
हावड़ा डिवीजन की स्थापना 1 जनवरी 1925 को हुई थी, जब ब्रिटिश सरकार ने ईस्टर्न इंडिया रेलवे को अपने अधीन लेकर ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे में शामिल किया। हावड़ा स्टेशन, जिसे हम हावड़ा जंक्शन के नाम से जानते हैं, इससे बहुत पहले, 15 अगस्त 1854 को इतिहास रच चुका था जब यहाँ से भारत की पहली यात्री ट्रेन हावड़ा से हुगली के लिए रवाना हुई थी।
इस 100 साल के सफर में हावड़ा स्टेशन ने न केवल द्वितीय विश्व युद्ध के सैन्य परिवहन, बल्कि देश की पहली डाक ट्रेन, रवींद्रनाथ टैगोर की अंतिम रेल यात्रा (25 जुलाई 1941) और अब वंदे भारत जैसी अत्याधुनिक ट्रेनों का भी साक्षी बनकर इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ी है।
शताब्दी के उपलक्ष्य में विशेष डाक टिकट
इस ऐतिहासिक उपलब्धि को चिह्नित करने के लिए भारतीय रेलवे और डाक विभाग ने एक विशेष डाक टिकट और स्टांप युक्त स्मृति लिफाफा जारी करने की योजना बनाई है, जिसका अनावरण 24 मई को हावड़ा स्टेशन परिसर में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया या अश्विनी वैष्णव द्वारा किया जाएगा।
इस विशेष टिकट की डिज़ाइन भारतीय रेल की प्रगति का प्रतीक है — एक ओर भाप से चलने वाला पुराना इंजन, और दूसरी ओर वंदे भारत ट्रेन की आकर्षक छवि, जिसके चारों ओर अंकित होगा:
“गौरवमय हावड़ा डिवीजन के 100 वर्ष, ईस्टर्न रेलवे”
फिलहाल इस डाक टिकट की केवल 1000 प्रतियाँ ही मुद्रित की जाएंगी, जो इसे एक कलेक्टर्स आइटम बना देती है।
हावड़ा स्टेशन: स्थापत्य और संचालन का अजूबा
ब्रिटिश आर्किटेक्ट हॉल्से रिकार्डो द्वारा डिज़ाइन किया गया हावड़ा स्टेशन एक आधुनिक और पर्यावरण अनुकूल ‘ग्रीन रेलवे स्टेशन’ है। यहाँ कुल 23 प्लेटफॉर्म और 26 रेल लाइनें हैं, जहाँ एक समय में 23 ट्रेनें खड़ी हो सकती हैं। स्टेशन परिसर में एक रेलवे म्यूजियम भी है जो यात्रियों को इसकी ऐतिहासिक विरासत से जोड़ता है।
देश के अन्य प्रमुख रेलवे स्टेशनों जैसे सियालदह, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (मुंबई), नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और चेन्नई सेंट्रल के साथ हावड़ा स्टेशन की गिनती भारत के सबसे व्यस्त और बड़े रेलवे स्टेशनों में होती है।
अतीत से भविष्य की ओर
जहाँ कभी हावड़ा की पटरियों पर छुक-छुक करती भाप इंजन वाली रेलगाड़ियाँ दौड़ा करती थीं, आज वहाँ हवा से बातें करती वंदे भारत एक्सप्रेस दौड़ रही है। यह भारत के विकसित राष्ट्र बनने के संकल्प का प्रतीक है — तकनीक, सेवा और समयबद्धता के संगम की ओर अग्रसर।
हावड़ा रेलवे डिवीजन का यह शताब्दी उत्सव न केवल अतीत के प्रति श्रद्धा है, बल्कि भविष्य की रेल संरचना की झलक भी। यह वह यात्रा है जिसमें एक राष्ट्र की रफ्तार, एक समाज की उन्नति, और करोड़ों सपनों का सफर शामिल है।