किसानों के कल्याण और उपभोक्ताओं के साथ-साथ उद्योग के हितों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है केंद्र सरकार : प्रल्हाद जोशी

Central government gives top priority to protecting the welfare of farmers and consumers as well as the interests of industry: Pralhad Joshi

रविवार दिल्ली नेटवर्क

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने आज भारत मंडपम में अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठन (आईएसओ) की 64वीं परिषद बैठक का उद्घाटन किया। इस बैठक का 27 जून, 2024 को समापन होगा। इस बैठक में 30 से अधिक देशों के विशेषज्ञों ने भाग लिया और गन्ना, चीनी व संबद्ध क्षेत्रों में भविष्य की संभावनाओं, चुनौतियों और रणनीतियों पर चर्चा एवं विचार-विमर्श किया। इससे पहले, भारत ने वर्ष 2012 में आईएसओ कंपनी के 41वें सत्र की मेजबानी की थी।

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ दीप प्रज्ज्वलित किया

अपने उद्घाटन भाषण में केंद्रीय मंत्री श्री जोशी ने कहा कि लगभग 5 करोड़ किसान गन्ने की खेती में लगे हुए हैं और चीनी उद्योग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्‍ध करा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार किसान कल्याण और उद्योग के साथ-साथ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है, ताकि कृषि प्रकियाओं को बेहतर बनाने के लिए सहयोगात्मक प्रयास सुनिश्चित किए जा सकें।

श्री जोशी ने आईएसओ सम्मेलन की मेजबानी पर गर्व व्यक्त करते हुए चीनी और जैव ईंधन क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी और कौशल को आगे बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता के बारे में जानकारी दी। चीनी के बारे में भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक निर्भरता पर जोर देते हुए उन्‍होंने दुनिया के सबसे बड़े चीनी उपभोक्ता और एक महत्वपूर्ण जैव ईंधन उत्पादक के रूप में भारत की स्थिति का उल्लेख किया और कहा कि इससे पेट्रोल के साथ 12 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का स्‍तर प्राप्‍त हो गया है और जल्दी ही 20 प्रतिशत का लक्ष्य प्राप्‍त होगा।

श्री जोशी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में जैव ईंधन की भूमिका पर जोर देते हुए चीनी उद्योग और किसानों पर पेट्रोल के साथ भारत के इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम के सकारात्मक प्रभावों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्‍होंने प्रतिनिधियों को चीनी क्षेत्र में भविष्य के उद्यमों के लिए इस सम्मेलन का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया और उनकी सफलता की कामना की।

भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव और आईएसओ के अध्यक्ष श्री संजीव चोपड़ा ने आने वाले समय में आईएसओ की बड़ी भूमिका का सुझाव दिया। उन्होंने इस बात की तत्काल जरूरत पर बल दिया कि दुनिया के चीनी और इथेनॉल उद्योग, सूखे जैसी प्रतिकूल परिस्थिति में भी पैदा होने वाली गन्ने की किस्‍म विकसित करने, जल संरक्षण और जैव ईंधन को बढ़ावा देने सहित सुदृढ़ कार्यप्रणालियों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटे। उन्‍होंने कहा कि अपने किसानों और छोटे उद्योगों के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में आईएसओ सदस्य देशों में अधिक सहयोग की आवश्यकता है। भारत और ब्राजील दो सबसे बड़े चीनी उत्‍पादक देश हैं। उन्‍हें गन्ने में अनुसंधान और विकास में सहयोग व समन्वित प्रयास करने चाहिए ताकि अधिक उपज, अधिक सुक्रोज तत्‍व वाली तथा स्थानीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त बेहतर गन्‍ना किस्मों का विकास किया जा सके। उन्होंने इथेनॉल उत्पादन और मिश्रण में भारत की प्रगति पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि इन प्रयासों में स्थिरता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहन देना राष्ट्र की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। श्री चोपड़ा ने भारत के प्रधानमंत्री की एक पहल वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन की सफलता पर भी प्रकाश डाला।

श्री जोस ओरिवे, ईडी, आईएसओ ने अध्यक्ष के रूप में आईएसओ मामलों को सफलतापूर्वक संभालने और इस कार्यक्रम को इतने भव्य रूप में आयोजित करने के लिए भारत को बधाई दी। उन्होंने भारत सरकार, भारतीय चीनी और जैव ईंधन उद्योग के बीच समन्‍वय की सराहना करते हुए कहा कि इस क्षेत्र ने भारत की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इस अवसर पर आज ‘शुगर एवं जैव-ऊर्जा- उभरते परिदृश्य’ विषय पर एक कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला ने उद्योग जगत की हस्तियों और सरकारी अधिकारियों में विचारों का आदान-प्रदान करने और चीनी तथा जैव-ऊर्जा क्षेत्रों में भविष्य की संभावनाओं का पता लगाने के लिए एक उत्कृष्ट मंच के रूप में भी काम किया।

‘शुगर एवं जैव-ऊर्जा- उभरते परिदृश्य’ विषय पर कार्यशाला में विभिन्न ज्ञानवर्धक सत्र शामिल रहे, जो इस प्रकार हैं-

विविधीकरण के माध्यम से स्थिरता: इस सत्र में गन्ने की खेती और चीनी क्षेत्र को अधिक टिकाऊ प्रथाओं की ओर ले जाने और इस बारे में इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके अतिरिक्‍त, मजबूत वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन जीवाश्म ईंधन के स्थान पर हरित ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देगा।

चीनी क्षेत्र का मशीनीकरण और आधुनिकीकरण: स्थिरता विषय को आगे बढ़ाते हुए, इस सत्र के दौरान गन्ने की खेती पर मुख्‍य रूप से चर्चा की गई। भारत में छोटी भूमि जोतों के लिए कृषि मशीनीकरण, और विशेष रूप से मशीनरी का निर्माण, किसानों को विस्तार सेवाएं तथा प्रौद्योगिकी का उपयोग गन्ने की खेती को और अधिक किफायती व उत्पादक बना देगा।

चीनी क्षेत्र का डिजिटलीकरण: इस सत्र में भारत सरकार की एग्रीस्टैक जैसी विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला गया। ये कृषि सांख्यिकी और डेटा प्रबंधन में क्रांतिकारी परिवर्तन कर रही हैं और अधिक उपयुक्त नीति का निर्माण करने और समय पर सरकारी उपायों के लिए आवश्यक है। कृषि पद्धतियों के लिए एआई/एमएल के साथ-साथ रिमोट सेंसिंग तकनीकों का उपयोग फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता के लिए महत्वपूर्ण होगा।

चीनी की वैश्विक मांग और आपूर्ति: आईएसओ के अर्थशास्त्री श्री पीटर डी क्लार्क और डॉ. क्लॉडियू कोवरिग ने वैश्विक चीनी क्षेत्र के बारे में अपने विश्लेषण साझा किए और निकट भविष्य में वैश्विक चीनी व इथेनॉल के क्षेत्र में मांग और आपूर्ति परिदृश्य को स्पष्ट करते हुए, इस पैनल चर्चा ने चीनी व्यापार की पद्धति और वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतों के अनुमानों को दर्शाया।
ग्रीन हाइड्रोजन: आईएसओ के सलाहकार श्री लिंडसे जॉली ने ऊर्जा के स्रोत के रूप में हाइड्रोजन की क्षमता और इस क्षेत्र में चीनी क्षेत्र की भूमिका पर अपना दृष्टिकोण साझा किया। वे ऑटोमोबाइल क्षेत्र के साथ-साथ बिजली क्षेत्र के लिए ईंधन के प्रमुख स्रोत के रूप में ग्रीन हाइड्रोजन के विकास के प्रति अधिक आशावादी रहे।

सम्मेलन ने प्रतिनिधियों को चीनी क्षेत्र के विशेषज्ञों से बातचीत करने, वैश्विक रुझानों को समझने, चीनी तथा इथेनॉल के लिए प्रासंगिक विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक बेहतर अवसर प्रदान किया। इन सत्रों ने उत्पादक चर्चाओं को सुगम बनाया और विचारों के सार्थक आदान-प्रदान को सुनिश्चित किया, जिसके परिणामस्‍वरूप बातचीत से प्रभावशाली परिणाम प्राप्‍त हुए। इस सम्मेलन ने चीनी उद्योग में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का उल्‍लेख किया। इस सम्‍मेलन से इस क्षेत्र में टिकाऊ और उन्नत प्रथाओं का मार्ग प्रशस्त हुआ।