इंग्लैंड ने बाजी पलट भारत को दी सात विकेट से करारी शिकस्त
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : अनुभवी बल्लेबाज पूर्व कप्तान जो रूट और जॉनी बैरिस्टो के शानदार अविजित शतकों की बदौलत इंग्लैंड ने बाजी पलटते हुए भारत को एजबेस्टन में पुननिर्धारित पांचवें और अंतिम क्रिकेट टेस्ट के पांचवें और अंतिम दिन मंगलवार को सात विकेट से शिकस्त देकर सीरीज दो-दो से ड्रॉ समाप्त कराई। इंग्लैंड ने अंतिम टेस्ट जीतने के साथ सीरीज के बराबरी पर समाप्त होने के बावजूद पटौदी ट्रॉफी अपने नाम की। बीते बरस भारत के खेमे में कोरोना की दस्तक केे चलते मैनचेस्टर में खेले जाने वाले पांचवें टेस्ट को रद्द कर दिया था। भारत तब चार टेस्ट मैचों की समाप्ति पर लॉडर्स और ओवल के टेस्ट जीत 2-1 से आगे था। बाद में पांचवां व अंतिम को एजबेस्टन आयोजित करने का फैसला किया गया था। तब से दोनों टीमों चीफ कोच और कप्तान बदल गए। भारत की कप्तानी विराट कोहली से रोहित शर्मा और चीफ कोच की जिम्मेदारी रवि शास्त्री से राहुल द्रविड़ ने संभाली। बदकिस्मती से कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर एजबेस्टन में भारत की कप्तान जसप्रीत बुमराह ने की। इंग्लैंड के कप्तान की जिम्मेदारी जो रूट से बेन स्टोक्स और कोच की जिम्मेदारी ब्रेंडन मैकलुम ने। यह बेशक इंग्लैंड के नए उस्ताद ब्रेंडन मैकलम और कप्तान बेन स्टोक्स की जोड़ी की जुगलबंदी की टेस्ट में भी ‘आक्रमण ही सर्वश्रेष्ठï रक्षणÓ के नए दर्शन की जीत है। कोच मैकुलम और कप्तान स्टोक्स की जोड़ी ने इससे पहले मेहमान न्यूजीलैंड टीम का तीन टेस्ट मैच की सीरीज में 3-0 से सूपड़ा साबित किया। इंग्लैंड ने न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन टेस्ट की सीरीज में 277, 299, 296 के लक्ष्य का कामयाबी से पीछा कर जीत दर्ज करने के बाद भारत द्वारा अंतिम टेस्ट में रखे 378 रन के बड़े लक्ष्य को भी हासिल कर जीत का ‘चौकाÓ जड़ दर्ज कोच मैकुलम और कप्तान स्टोक्स के ‘दर्शनÓ पर मुहर पर लगा दी। भारत ने किसी भी टीम को जीत के लिए यह सबसे बड़ा लक्ष्य दिया था। कप्तान जसप्रीत बुमराह को छोड़ कर भारत के गेंदबाजों में दूसरी पारी में इंग्लैंड को सस्ते में समेटने के लिए जिन आक्रामक तेवरों की जरूरत वह नहीं दिखा और यही उसकी हार का सबब भी बना।
भारत से पहली पारी में 132 रन से पिछडऩे के बाद रूट (अविजित 142, 173 गेंद, 19 चौके, एक छक्का) और बैरिस्टो (114 रन, 145 गेंद, 15 चौके, एक छक्का) की चौथे विकेट की 269 रन की असमाप्त अहम भागीदारी की बदौलत इंग्लैंड ने अंतिम दिन जीत लंच से पहले ही तीन 76.4 ओवर में तीन विकेट पर 378 रन बनाकर मैच जीत लिया। मैन ऑफ द सीरीज रहे जो रूट ने अपने अपने 121 वां टेस्ट मैच खेलते हुए अपनी 28 वीं सेंचुरी पूरी की। वहीं मैन ऑफ दÓ मैच रहे जॉनी बैरिस्टो ने दोनों पारियों में शतक जड़ कर इंग्लैंड की जीत के नायक बन गए। जॉनी बैरिस्टो ने अपना 87 वां टेस्ट खेलते हुए दसवीं और पिछले चार टेस्ट मैच में चौथी सेंचुरी जड़ी। वहीं जो रूट की पांच टेस्ट मैच की इस सीरीज में भारत के खिलाफ चौथी सेंचुरी थी। जो रूट (कुल 737 रन) ने इस टेस्ट सीरीज में बतौर बल्लेबाज सबसे ज्यादा रन बनाए जबकि जसप्रीत बुमराह ने एजबेस्टन टेस्ट में पांच विकेट लेने सहित कुल सबसे ज्यादा 23 विकेट विकेट चटकाए। इंग्लैंड ने दरअसल एजबेस्टन में भारत के खिलाफ कुल आठ टेस्ट खेले हैं और इनमें 1986 में बस एक टेस्ट ड्रॉ खेलने को छोड़ कर बाकी सभी सात टेस्ट मैच पारी सहित बड़े अंतर से जीते हैं।
इंग्लैंड ने अंतिम दिन अपनी दूसरी पारी तीन विकेट पर 259 रन से आगे खेलना शुरू और जीत के लिए बाकी जरूरी 119 रन बिना कोई और विकेट खोए बना लिए। जो रूट ने पारी के 77 वें ओवर में जडेजा की गेंद पर एक रन लेकर इंग्लैंड को यह बड़ी जीत दिलाई। जो रूट ने पारी के 67 वें ओवर में मोहम्मद सिराज की पहली गेंद पर चौका जड़ अपनी सेंचुरी पूरी की और इस साल की उनकी पांचवीं सेंचुरी थी। वही बैरिस्टो ने पारी के 75 वें ओवर में रवींद्र जडेजा की गेंद पर एक रन लेकर अपनी सेंचुरी पूरी की। अगला ओवर मोहम्मद सिराज ने फेंका और इसकी दूसरी,तीसरी और चौथी गेंद पर बैरिस्टो ने लगातार तीन चके जड़े जीत को महज औपचारिकता बना दिया।
भारत के नए उस्ताद राहुल द्रविड़ और रोहित शर्मा के कोरोना के पीडि़त होने पर पहली बार टेस्ट में कप्तानी संभालने वाले तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के गेंद से बढिय़ा प्रदर्शन कर दोनों पारियों में पांच विकेट चटकाने के बावजूद बतौर कप्तान आगाज निराशाजनक रहा। वहीं पहली बार टेस्ट में उपकप्तानी करने वाले ऋषभ पंत के लिए तूफानी शतक सहित दोनों पारियों में कुल 203 रन बनाने के लिए टीम की यह हार आत्ममंथन करने वाली होगी। ऋषभ पंत के साथ पहली पारी में सेंचुरी जडऩे वाली रवींद्र जडेजा ,श्रेयस अय्यर और शार्दूल ठाकुर ने दूसरी पारी में वेवजह आक्रामक शॉट खेल इंग्लैंड के गेंदबाजों के जाल में फंस कर विकेट न गंवाए और ज्यादा देर क्रीज पर टिक कर बल्लेबाजी की होती तो एक तो इंग्लैंड को जीत के लिए और बड़ा लक्ष्य मिलता और इसे हासिल करने के कम वक्त। खैर इंग्लैंड ने जिस अंदाज में जिस जीत दर्ज की वह वाकई उसका हकदार भी था।