सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : भारत को विश्व शतरंज की महाशाक्ति बनाने के लिए आईआईटी, मद्रास के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन स्पोटर्स साइंस एंड एनालिटिक्स(सीईएसएसए) के पास कई योजनाएं हैं। आईआईटी मद्रास ने इसी मकसद से टेक्नोलजी आधारित कई योजनाएं पेश की हैं। इन योजनाओं का मकसद शतरंज में ज्यादा से ज्यादा लोगों की रूचि बढ़ाना , खेल संघों को खेल में गड़बड़ी रोकने का रास्ता बताना और शतरंज प्रशिक्षण कार्यक्रम के जरिए शतरंज को बुनियादी स्तर पर बढ़ावा देना है। भारत में स्पोटर्स वैल्यू शृंखला के विभिन्न भागीदारों के कौशल उन्नयन और नए कौशल सीखने के लिए डिजिटल मंच पर आईआईटी मद्रास के अभूतपूर्व पाठयक्रम उपलब्ध होंगे और संस्थान ने इस बाबत अपनी योजनाए प्रस्तुत की । आईआईटी मद्रास आने वाले महीनों में एनपीटीईएल के जरिए पांच नए पाठयक्रम शुरू करेगा। यह खेल शिक्षा पर आईआईटी मद्रास सीईएसएसए की बड़ी योजना का एक हिस्सा है। विशेषज्ञ भारत में क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों को बढ़ावा देने इनमें लोगों की दिलचस्पी बढ़ाने में टेक्नोलजी के इस्तेमाल की बाबत नए नए सुझाव देंगे।
आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. वी. कामकोटि ने खेल शिक्षा के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा, च्शतरंज बेहद रोचक और और विचारोत्तेजक खेल है। शतरंज में सबसे अहम होता है रणनीति की बिसात बिछाना होता है। शतरंज के प्रशिक्षण के दौरान हाई परफॉर्मेंस कम्पयुटिंग और आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस का बहुत लाभ मिल सकता है। शतरंज के शातिरों को इससे अलग-अलग कई स्थितियों को देखने और सबसे बढ़िया गेम प्लान करने में खासी मदद मिल सकती है। आईआईटी मद्रास चाहता है कि भारत विश्व शतरंज की महाशक्ति बने, इसलिए हम ऐसे मंच तैयार करने को लेकर बेहद उत्साहित हैं।
आईआईटी मद्रास के डीन (पूर्व छात्र और कॉरपोरेट रिलेशन )और आईआईटी मद्रास सीईएसएसए के प्रमुख डॉ. महेश पंचांगुला ने टेक्नोलजी की मदद से बेहतर खेल शिक्षा मुहैया कराने की बाबत आईआईटी मद्रास का विजन बताते हुए कहा, च्च्आज आईआईटी मद्रास नई टेक्नोलजी की मदद से खेल की दुनिया में एक नया आगाज कर रहा है। हमारे संस्थान के कई लक्ष्य हैं मसलन खेल शिक्षा में नया दौर शुरू करना, शतरंज संघों को खेल में गड़बड़ी रोकने का हल सुझाना और बुनियादी स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों की शुरुआत करना आदि। यह टेक्नोलजी की मदद से खेल शिक्षा को बढ़ावा दे खेल के इकोसिस्टम के सभी स्तरों पर प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने और शतरंज में भारत का नाम दुनिया में और ऊंचा करने को लेकर संस्थान की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
विद्यार्थियों के लिए एआईएमएल और डेटा साइंस सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने पर भी विचार किया जा रहा है। आईआईटी मद्रास ने भविष्य में बैचलर ऑफ स्पोटर्स साइंस कोर्स और स्पोटर्स मैनेजमेंट में बैचलर और मास्टर्स कोर्स शुरू करने की भी योजना बनाई है। आईआईटीएम सीईएसएसए ने शतरंज के बृहत्तर विकास के प्रयास के तहत भारतीय शतरंज (सामग्री, प्रशिक्षण) के लिए एक आकर्षक डिजिटल डेस्टिनेशन बनाने की भी योजना बनाई है।
सीईएसएसए यूनिक टेक्नोलजी दे शतरंज को ज्यादा पारदर्शी बनाएगा। इसमें गड़बड़ी रोकने के लिए टेक्नोलजी टूल्स का विकास करने के साथ और ऑनलाइन शतरंज में अधिक से अधिक लोगों की दिलचस्पी बढ़ाएगा और इस खेल के प्रशंसकों की भागीदारी भी बढ़ाएगा। शतरंज को बुनियादी स्तर पर लोकप्रिय बनाने के लिए विभिन्न प्रौद्योगिकी प्रयास, स्थानीय शतरंज खिलाड़ियों को जोड़ने की योजना, क्योंकि उपरोक्त व्यवस्था इस इकोसिस्टम में सभी को आर्थिक लाभ तय करन के लिए बनाई गई है।
इस सम्मेलन में च्भारत में प्रौद्योगिकी और नवाचार के बल पर अन्य खेलों का विकासज् विषय पर उच्च स्तरीय पैनल चर्चाएँ भी हुई ं। इनमें कई उद्योग प्रमुखों की भागीदारी दिखी। इस अवसर पर कई नए सुझाव आए जिन पर चर्चा की गई और यह विमर्श भी किया गया कि किस तरह खेल संघ, टेक्नोलजी भागीदार, मीडिया प्लेटफार्म और अनुसंधान एवं विकास प्रभाग मिल का खेलों का दायरा बढ़ा सकते हैं। इनमें नयापन और आकर्षण पैदा कर सकते हैं।