अफसरशाही का खामियाजा भुगत रहे सीजीएचएस लाभार्थी

CGHS beneficiaries are bearing the brunt of bureaucracy

इंद्र वशिष्ठ

केंद्र सरकार के संवेदनहीन अफसरों ने त्री नगर में दशकों से मौजूद सीजीएचएस डिस्पेन्सरी को अशोक विहार स्थानांतरित कर सीजीएचएस लाभार्थियों से चिकित्सा सुविधाओं को दूर कर उनके लिए समस्या पैदा कर दी।

संवेदनहीन नौकरशाही-
सीजीएचएस के वरिष्ठ नौकरशाह, लोगों खासकर बुजुर्गों/मरीजों के प्रति कितने संवेदनहीन और अमानवीय है इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली में त्री नगर स्थित सीजीएसएस की डिस्पेन्सरी को यहां से दिसंबर 2024 में अशोक विहार स्थानांतरित कर दिया गया। लगभग पांच दशक से त्री नगर के ओंकार नगर-सी इलाके में सीजीएचएस की यह डिस्पेन्सरी थी। यह डिस्पेन्सरी किराये की इमारत में थी। अगर डिस्पेन्सरी को स्थानांतरित करना बहुत ही जरूरी था, तो उसे त्री नगर में ही किसी दूसरी इमारत में स्थानांतरित किया जा सकता था। लेकिन त्री नगर की डिस्पेन्सरी को यहां से कई किलोमीटर दूर अशोक विहार में स्थानांतरित किया जाना किसी भी तरह सही/ उचित/ जायज/ तर्क संगत/ व्यवहारिक नहीं है। अशोक विहार में तो सीजीएचएस की एक डिस्पेन्सरी पहले से ही मौजूद है। उसी इमारत की पहली मंजिल पर त्री नगर की डिस्पेन्सरी शिफ़्ट कर दी गई।

बुजुर्गों पर पहाड़ टूटा-
त्री नगर की डिस्पेन्सरी को अशोक विहार स्थानांतरित किए जाने से सभी लाभार्थियों, खासकर बुजुर्गों को सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बुजुर्गों को शारीरिक/ मानसिक रूप से तो कष्ट होता ही है, इसके अलावा रिक्शा आदि से एक बार अशोक विहार डिस्पेन्सरी आने जाने में ही उन्हें कम से कम दो सौ रूपये खर्च करने पड़ते हैं। मरीजों को इलाज/ दवा के लिए एक महीने में कई- कई बार डिस्पेन्सरी जाना पड़ता है। ऐसे में उन पर आर्थिक रूप से बहुत बोझ पड़ा है। असुविधा के अलावा समय अलग बर्बाद होता है। यही नहीं मुख्य सड़कों पर भारी ट्रैफिक के बीचों बीच से होकर अशोक विहार आना जाना बुजुर्गों के लिए जोखिम भरा भी है। उपरोक्त समस्याओं के कारण डिस्पेन्सरी जाने की बजाए कई बार लोग बाज़ार से दवाई खरीदने को मजबूर है।

समाधान-
त्री नगर में ही वर्धमान वाटिका के साथ ही नगर निगम की इमारत में बुजुर्गों के लिए मनोरंजन केंद्र बनाया गया था, जो बंद रहता है। वर्धमान पार्क के साथ ही नगर निगम का समुदाय भवन भी है। इनमें किसी भी इमारत की किसी मंजिल को सीजीएचएस किराये पर लेकर वहां डिस्पेन्सरी स्थानांतरित कर सकती है। लेखू नगर में निगम के एक मैटरनिटी होम की इमारत भी है मैटरनिटी होम तो वहां से शिफ्ट हो चुका है। इस इमारत में भी सीजीएचएस डिस्पेन्सरी खोली जा सकती है।

इसके अलावा इलाके में खोजने पर डिस्पेन्सरी के लिए और भी बिल्डिंग/ इमारत किराये पर मिल सकती हैं। इसके अलावा डीडीए से इस इलाके में ही जमीन लेकर उस पर सीजीएचएस डिस्पेन्सरी के लिए इमारत बनाई जा सकती है।

डायरेक्टर की भूमिका-
सीजीएचएस के डायरेक्टर सतीश वाई एच ने 31 दिसंबर 2024 को इस पत्रकार को बताया था कि त्री नगर डिस्पेन्सरी में रिपेयर का काम करने के लिए डिस्पेन्सरी को अस्थायी रूप से अशोक विहार शिफ़्ट किया गया है। दो- तीन महीने में रिपेयर का काम पूरा हो जाने पर वापस डिस्पेन्सरी यहां आ जाएगी। डिस्पेन्सरी को त्री नगर में ही किसी दूसरी इमारत में शिफ़्ट क्यों नहीं किया गया? इस पर डायरेक्टर का कहना था उसमें समय ज्यादा लगता।

लेकिन अब 6 महीने बीत गए डिस्पेन्सरी वापस उस मकान में नहीं आई है।

इस पत्रकार ने देखा कि जिस मकान में डिस्पेन्सरी थी वहां पर रिपेयर का तो कुछ भी काम किया ही नहीं गया। वैसे भी रिपेयर तो डिस्पेन्सरी शिफ़्ट किए बगैर भी की जा सकती थी।

जिस मकान में यह डिस्पेन्सरी थी उस इमारत की हालत ठीक है इसका पता इससे चलता है कि उसमें ऊपर के दो फ्लोर पर अभी भी कई परिवार रह रहे हैं। भूतल पर डिस्पेन्सरी थी।

इससे डायरेक्टर की भूमिका पर सवालिया निशान लग जाता है।

सीजीएचएस के डायरेक्टर सतीश वाई एच को इस पत्रकार ने फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
स्वास्थ्य मंत्रालय की एडिशनल सेक्रेटरी एवं सीजीएचएस की डीजी रोली सिंह का इस बारे में कहना है कि वह इस मामले को देखेंगी।