इंद्र वशिष्ठ
सीजीएचएस की त्री नगर स्थित डिस्पेन्सरी में मरीजों के साथ अमानवीय व्यवहार के मामले में डाक्टर दीपक गुप्ता का तबादला कर दिया गया है। लेकिन इस मामले में इंचार्ज डाक्टर सरिता पंवार के ख़िलाफ़ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
12 सितंबर को इस पत्रकार द्वारा यह उजागर किया गया कि एसी लगे कमरे में बैठे डाक्टर दीपक गुप्ता खिड़की में बनाए गए छोटे से झरोखे से बाहर बैठे मरीजों को देखते हैं। यानी मरीजों को डाक्टर अपने कमरे के अंदर अपने निकट बिठा कर नहीं देखता। डाक्टर अपने कमरे की खिड़की के बाहर रखे स्टूल पर धूप में बिठा कर मरीज़ को देखते हैं। दरअसल कोरोना काल के दौरान यह व्यवस्था की गई थी। लेकिन इस डिस्पेन्सरी में अभी तक यह व्यवस्था जारी है।
डाक्टरों की संवेदनहीनता और अमानवीय व्यवहार के उजागर होने के बाद सीजीएचएस अधिकारियों ने डाक्टर दीपक गुप्ता का तबादला नरेला डिस्पेन्सरी में कर दिया। लेकिन तबादले का आदेश आने के बाद भी डाक्टर दीपक गुप्ता ने मरीजों के साथ अमानवीय व्यवहार करना बंद नहीं किया।
इस डिस्पेन्सरी में डाक्टर सरिता पंवार इंचार्ज है। वह तो बहुत ही कम संख्या में मरीजों को देखती हैं। सीजीएचएस के अधिकारी अगर रिकॉर्ड की जांच करें तो, आसानी से यह पता चल जाएगा, कि डाक्टर सरिता रोजाना औसतन कुल कितने मरीजों को देखती हैं।
इस डिस्पेन्सरी में इंडेंट वाली दवा सिर्फ बारह बजे तक ही दी जाती है। जबकि अन्य सभी डिस्पेन्सरियों में पौने दो बजे तक दवा दी जाती है। इंडेंट वाली दवा इस डिस्पेन्सरी के मरीजों को भी सीजीएचएस द्वारा निर्धारित किए समय तक मिले, यह सुनिश्चित करना सीजीएचएस अधिकारियों और इंचार्ज डाक्टर का कर्तव्य है। इंडेंट वाली दवाई पौने दो बजे तक मिलेगी, यह सूचना इस डिस्पेन्सरी में भी नोटिस बोर्ड पर लगाई जानी चाहिए। ताकि इस डिस्पेन्सरी में फार्मासिस्ट अपनी मनमानी न कर पाए।
सीजीएचएस के अधिकारियों को मरीजों को होने वाली परेशानी का पता लगाने के लिए लगातार डिस्पेन्सरियों के दौरे करने चाहिए।