नरेंद्र तिवारी
मध्यप्रदेश का आदिवासी बाहुल्य जिला बड़वानी जहां विधानसभा की चार सीट है। इन चारो में से तीन पर अभी कांग्रेस का कब्जा है। बड़वानी विधानसभा में प्रेमसिंह पटेल भाजपा के विधायक है। इसके अलावा राजपुर में बाला बच्चन कांग्रेस विधायक है, सेंधवा में ग्यारसीलाल रावत कांग्रेस के विधायक है, पानसेमल में चंद्रभागा किराड़े कांग्रेस की विधायक है। अब जबकि मौजूदा विधायकों में तीन अपना भाग्य फिर से आजमा रहे है। एक विधायक का पार्टी ने टिकिट काट दिया है। कांग्रेस पार्टी को वर्ष 2018 के परिणामों में तीन सीट बरकरार रखना है। एक सीट भाजपा से छीनना है। इसके विपरित भाजपा को तीन सीट कांग्रेस से जीतकर अपने पक्ष में करना है। याने बड़वानी सीट को बरकरार रखते हुए सेंधवा, राजपुर, पानसेमल सीटों पर जीत दर्ज करना है। बड़वानी जिले की आदिवासी बाहुल्य इन चारो विधानसभा क्षेत्रों में राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जिले में इस बार आप पार्टी ने भी अपनी दस्तक दी है। वैसे आप पार्टी का अभी इस जिले में जनाधार नहीं है, किंतु जिन्हे राजनीतिक पार्टी ने टिकिट नहीं दिए उन्होंने आप से लड़ना निर्दलीय लडने से बेहतर समझा। निर्दलीय भी मैदान में है, किंतु उनका कम ही असर होगा। इस जिले में चारो विधानसभा सीटों पर भाजपा–कांग्रेस की सीधी टक्कर नजर आती है।
बड़वानी में प्रेमसिंह पटेल के मुकाबले राजन मंडलोई
मध्यप्रदेश का विधानसभा क्रमांक 190 याने कि बड़वानी जहां के मौजूदा विधायक प्रेमसिंह पटेल हैं। जिले में एकमात्र भाजपा विधायक है। एमपी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी है। वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस की फूट की वजह से सबसे अधिक मतों से विजय रहे। कांग्रेस की फूट ही वह कारण रहा जिसने कांग्रेस के उम्मीदवार को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था। वर्ष 2018 के चुनाव में प्रेमसिंह पटेल को 88151 वोट प्राप्त हुए। कांग्रेस के उम्मीदवार रमेश पटेल को 34084 और जबके निर्दलीय उम्मीदवार राजन मंडलोई को 49334 मत प्राप्त हुए थै। वर्ष 2018 के प्रदर्शन के कारण ही कांग्रेस ने राजन मंडलोई पर भरोसा जताया है। राजन ने अपने शपथ–पत्र में अपनी उम्र 50 वर्ष दर्शाई है। अपनी शैक्षणिक योग्यता में बीई तथा एलएलबी करना स्वीकार किया है। भाजपा के उम्मीदवार की तुलना में युवा तथा पढ़े–लिखे है। राजन मंडलोई के सामने भाजपा के कद्दावर नेता प्रेमसिंह पटेल है। जिनकी उम्र शपथ–पत्र अनुसार 63 वर्ष दर्शाई गई है। प्रेमसिंह पटेल की शैक्षणिक योग्यता 4थी क्लास दर्शाई गई है। एक से अधिक बार बड़वानी विधानसभा के विधायक प्रेमसिंह पटेल का बड़वानी की राजनीति में बरसो से कब्जा बना हुआ है। उनके पुत्र बलवंत पटेल बड़वानी जिला पंचायत के अध्यक्ष है। अनुभवी प्रेमसिंह का मुकाबला कांग्रेस के युवा इंजीनियर और वकील राजन मंडलोई से है। राजन बड़वानी नपा के अध्यक्ष रह चुके है।बड़वानी की इस विधानसभा में मुकाबला भाजपा–कांग्रेस के बीच ही दिखाई देता है। भाजपा को यह सीट बचाने की चुनौती है तो कांग्रेस को भाजपा से जीतकर अपने नाम करने की चुनौती दिखाई दे रही है।
पानसेमल में चंद्रभागा किराड़े विरुद्ध श्याम बरड़े
बड़वानी जिले की अगली विधानसभा 189 पानसेमल इन दिनों काफी चर्चा में है, चर्चा का कारण कांग्रेस पार्टी के अंदर चल रही खींचतान को माना जा रहा है। कांग्रेस ने यहां फिर से विधायक चंद्रभागा किराड़े को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। चंद्रभागा किराड़े के विरुद्ध स्थानीय विरोध बड़े स्तर पर देखा जा रहा हैं। जिसके कारण विधानसभा में विरोधी मिलकर निर्दलीय को चुनाव में उतार रहे है। एक से अधिक निर्दलीय भी चुनाव में भाग ले सकते है। यहां कांग्रेस उम्मीदवार चंद्रभागा किराड़े 65 वर्षीय हैं। उनकी शैक्षणिक योग्यता बीए, एलएलबी हैं। उनके मुकाबले भाजपा ने युवा चेहरे श्याम बरड़े को उम्मीदवार बनाया है। श्याम 47 वर्ष के होकर एमए हिंदी साहित्य तक पढ़े है। शिक्षक के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर राजनीति में आए है। पानसेमल विधानसभा में कांग्रेस का आंतरिक विरोध सामने नजर आ रहा हैं जिसके परिणाम स्वरूप निर्दलीय उम्मीदवार मैदान है। आप पार्टी ने निवाली के पूर्ण जनपद अध्यक्ष दयाराम डावर को अपना उम्मीदवार बनाया है। दयाराम डावर निवाली से भाजपा समर्थित जनपद अध्यक्ष रह चुके है। यहां भाजपा का अंतर्विरोध बाहरी कम आंतरिक अधिक है। टिकिट न मिलने से तमतमतमाएं पुराने चेहरे चुनाव में क्या करेंगे कहा नहीं जा सकता हैं। वैसे 2018 में इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस की चंद्रभागा ने अपने निकटमतम प्रतिद्वंदी को दिवानसिंह को 25 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था। इस विधानसभा में निर्दलीय उम्मीदवार भाजपा–काग्रेस के बीच परिणामों को कितना बना बिगाड़ पाएंगे यह वक्त के गर्त में छुपा है।
राजपुर बालाराम बच्चन कांग्रेस, अंतर पटेल भाजपा
बड़वानी जिले की राजपुर क्रमांक 188 पर प्रदेश भर की नजर है। इस सीट पर भी मुख्य मुकाबला कांग्रेस–भाजपा के बीच ही हैं। कांग्रेस के बालाराम बच्चन का मुकाबला भाजपा के अंतरसिंह पटेल से होने जा रहा है। यह जोड़ी वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भी आमने–सामने थी। रोचक मुकाबले में कांग्रेस के बालाराम बच्चन 949 मतों से विजय हुए थै। 2018 चुनावों के बाद गठित कमलनाथ सरकार में बाला बच्चन को गृहमंत्री बनाया गया था। यही कारण है की प्रदेश की नजर राजपुर सीट पर विशेष है।
बालाराम बच्चन काफी सतर्क आदिवासी नेता है। कम अंतर से विजय होने के बाद क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को बढ़ाया है। शपथ–पत्र अनुसार बालाराम 59 वर्षीय हैं। वे इलेक्ट्रानिक इंजीनियर की पढ़ाई किए हुए है। उनके प्रतिद्वंद्वी अंतरसिंह पटेल भाजपा 7 वीं कक्षा तक पढ़े लिखे है। उनकी शपथ–पत्र में 49 वर्ष उम्र दर्शाई गई है। यहां पूर्व की तरह मुकाबला बेहद कड़ा और रोमांचक हैं। दोनो राजनीतिक दल ऐड़ी चोटी का दौड़ लगाकर अपने पाले में करने की जुगत में लगे दिखाई दे रहे हैं।
सेंधवा विधानसभा अंतरसिंह आर्य भाजपा बनाम मोंटू सोलंकी कांग्रेस
बड़वानी जिले की महाराष्ट्र से लगी विधानसभा सेंधवा क्रमांक 187 में कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार में तब्दीली करते हुए वर्तमान विधायक ग्यारसीलाल रावत का टिकिट काटकर इस आदिवासी बाहुल्य सीट पर जय युवा आदिवासी ’जयस’ के बड़वानी जिला अध्यक्ष मोंटू सोलंकी को अपना उम्मीदवार बनाया है। उनका मुकाबला भाजपा के कद्दावर नेता और कैबिनेट मंत्री रहे अंतरसिंह आर्य से है। अंतरसिंह आर्य 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के ग्यारसीलाल रावत से 15 हजार से अधिक मतों से पराजित हुए थै। भाजपा ने अनुभवी अंतरसिंह आर्य को 2023 के विधानसभा में फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है। इस विधानसभा क्षेत्र में मतदाता का मूड भाप पाना फिलहाल आसान नजर नहीं आता है। ऊंट किस करवट बैठेगा अभी कहना मुश्किल है। कांग्रेस इस सीट पर विजय परचम लहराना चाहती है। भाजपा भी अपनी खोई विधानसभा पर फिर से कब्जा बरकरार रखना चाहती है। चुनाव प्रचार जोर–शोर से शुरू हो गया है। आप पार्टी ने भी नानसिंह नावडे को अपना उम्मीदवार बनाया है। आप के उम्मीदवार की उपस्थिति किसके लिए घाटे का सबब होगी किसे फायदा पहुंचाएगी यह परिणामों के उपरांत ही पता चल पाएगा।
फिलहाल तो बड़वानी जिले की चारो विधानसभा सीटों पर भाजपा–कांग्रेस के मध्य रोमांचक मुकाबला होने की पूर्ण संभावना है। 2018 के चुनाव में सेंधवा, राजपुर पानसेमल सीटों पर कांग्रेस विजय हुई थी। बड़वानी त्रिकोणीय संघर्ष में भाजपा की झोली में गई थी। पानसेमल में भाजपा ने टिकिट में बदलाव किया तो कांग्रेस ने बड़वानी और सेंधवा में अपने उम्मीदवारों को बदला है। टिकिट बदलने की यह रणनीति इन पार्टियों को कितना लाभ पहुंचा पाएंगी। अभी तो दोनो ही दल चारो विधानसभाओं पर जीत का दावा कर रहे है। किसके दावे कितने सही और कितने गलत होंगे यह 3 दिसंबर को परिणाम घोषित होने पर ही पता लग पाएगा।