तिरुवनंतपुरम में सत्ता परिवर्तन 45 साल का वाम राज खत्म भाजपा के हाथ नगर निगम

Change of power in Thiruvananthapuram; 45 years of Left rule ends; BJP takes over the Municipal Corporation

संजय सक्सेना

केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में नगर निगम चुनाव के नतीजों ने राज्य की राजनीति में बड़ा संदेश दे दिया है। 45 वर्षों से जिस नगर निगम पर वाम दलों का दबदबा रहा, वहां पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता पर कब्जा कर लिया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कोडुंगनूर वार्ड से पार्षद वीवी राजेश का मेयर चुना जाना केवल एक पद की जीत नहीं, बल्कि उस राजनीतिक बदलाव का संकेत है, जिसकी चर्चा लंबे समय तक केरल की राजनीति में होती रहेगी। नगर निगम के मेयर चुनाव में वीवी राजेश को 51 वोट मिले, जबकि एलडीएफ उम्मीदवार को 29 और कांग्रेस नीत यूडीएफ के प्रत्याशी को 17 वोटों से संतोष करना पड़ा। तिरुवनंतपुरम नगर निगम के 101 वार्डों में हुए चुनाव में भाजपा ने 50 सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया। यह आंकड़ा इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे पहले भाजपा कभी इस निगम में सबसे बड़ी पार्टी नहीं बन पाई थी। कांग्रेस नीत यूडीएफ ने भी पिछली बार की तुलना में सीटें बढ़ाईं, लेकिन सत्ता की कुर्सी उससे दूर ही रही। वहीं, वाम दलों के लिए यह नतीजा सबसे बड़ा झटका साबित हुआ, क्योंकि चार दशकों से अधिक समय तक नगर निगम उनकी राजनीतिक ताकत का प्रतीक रहा है।

मेयर चुने जाने के बाद वीवी राजेश ने इसे ऐतिहासिक पल बताया। उन्होंने कहा कि तिरुवनंतपुरम में आया यह बदलाव पूरे केरल की राजनीति की दिशा बदलने की क्षमता रखता है। राजेश ने भरोसा दिलाया कि उनका कामकाज ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना पर आधारित होगा और निगम के सभी 101 वार्डों में समान रूप से विकास योजनाएं लागू की जाएंगी। उनका कहना है कि शहर को देश के विकसित और आधुनिक शहरों की सूची में शामिल करना उनका मुख्य लक्ष्य रहेगा। भाजपा ने मेयर पद के साथ उपमेयर पद के लिए भी अपना चेहरा तय किया है। पार्टी ने आशा नाथ को उपमेयर पद का उम्मीदवार बनाया है। उम्मीदवारों के नामों की घोषणा से पहले प्रदेश और जिला स्तर पर लंबी चर्चा हुई। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, सेवानिवृत्त डीजीपी आर श्रीलेखा के नाम पर भी मेयर पद के लिए विचार हुआ था, लेकिन संगठन के एक वर्ग के विरोध के चलते सहमति नहीं बन पाई। अंततः संगठनात्मक अनुभव और पार्षदों के समर्थन को देखते हुए वीवी राजेश को आगे किया गया।

इस जीत को भाजपा नेतृत्व जनता की नाराजगी और बदलाव की चाह से जोड़कर देख रहा है। पार्टी नेताओं का कहना है कि पिछले कई वर्षों में नगर निगम बुनियादी सुविधाएं देने में नाकाम रहा। नालों की सफाई, पेयजल आपूर्ति, कचरा प्रबंधन और सड़कों की हालत जैसे मुद्दे लगातार जनता के बीच चर्चा में रहे। चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने इन्हीं मुद्दों को प्रमुखता से उठाया और आरोप लगाया कि निगम भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया था। इसका असर वोटिंग पैटर्न पर साफ दिखा। केंद्रीय मंत्री और तिरुवनंतपुरम से सांसद सुरेश गोपी ने इस जीत को शहर के लोगों के लिए ऐतिहासिक पल बताया। उन्होंने कहा कि अब नगर निगम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुसार विकास कार्य होंगे। सुरेश गोपी ने भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ तिरुवनंतपुरम को मिलेगा और नए मेयर को राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर पूरा सहयोग दिया जाएगा। शुरुआती योजनाओं में सड़कों की सुरक्षा, यातायात व्यवस्था में सुधार और नागरिक सुविधाओं को मजबूत करने के प्रोजेक्ट शामिल बताए गए हैं।

केरल भाजपा अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने भी इस नतीजे को बड़ा बदलाव करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सीपीएम ने कांग्रेस की अंदरूनी मदद से वर्षों तक नगर निगम को अपने नियंत्रण में रखा और विकास के नाम पर बहुत कम काम हुआ। उनका कहना है कि 45 साल में भी पानी, कचरा और जल निकासी जैसी बुनियादी समस्याएं हल नहीं हो पाईं। अब जब जनता ने भाजपा को मौका दिया है, तो काम आज से ही शुरू होगा और लक्ष्य तिरुवनंतपुरम को देश के शीर्ष तीन शहरों में शामिल करना है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राजधानी में भाजपा की यह जीत आने वाले स्थानीय निकाय और विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी के लिए मनोबल बढ़ाने वाली है। केरल की राजनीति लंबे समय से वाम दलों और कांग्रेस गठबंधन के बीच सिमटी रही है। ऐसे में तिरुवनंतपुरम जैसे अहम शहर में भाजपा की जीत नए राजनीतिक समीकरणों की ओर इशारा करती है। यह भी माना जा रहा है कि इस नतीजे का असर सिर्फ राजधानी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे राज्य में भाजपा के संगठन को मजबूती मिलेगी।

नगर निगम के भीतर अब नई जिम्मेदारियां और चुनौतियां भी होंगी। शहर की आबादी तेजी से बढ़ रही है और उसके साथ ही बुनियादी ढांचे पर दबाव भी बढ़ा है। नए मेयर के सामने साफ-सफाई, ट्रैफिक जाम, जलभराव और कचरा निस्तारण जैसी समस्याओं से निपटना बड़ी चुनौती होगी। वीवी राजेश ने संकेत दिए हैं कि इन मुद्दों पर प्राथमिकता के आधार पर काम किया जाएगा और पारदर्शिता पर जोर रहेगा। कुल मिलाकर, तिरुवनंतपुरम नगर निगम में भाजपा की सत्ता में एंट्री और वीवी राजेश का मेयर बनना केरल की राजनीति में एक बड़ा मोड़ है। यह सिर्फ एक चुनावी जीत नहीं, बल्कि उस बदलाव की शुरुआत मानी जा रही है, जिसकी आहट अब राज्य की राजनीति में साफ सुनाई देने लगी है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस ऐतिहासिक मौके को विकास और सुशासन में कैसे बदलती है।