सुनील कुमार महला
पहले की तुलना में आज मनुष्य की जीवनशैली में आमूलचूल परिवर्तन आए हैं। आज मनुष्य की जीवनशैली इतनी व्यस्त हो गई है कि मनुष्य के पास अपने स्वास्थ्य के लिए भी समय नहीं बचा है। कहा गया है ‘स्वास्थय ही मनुष्य का सबसे बड़ा धन है।’ लेकिन आज मनुष्य अपने स्वास्थ्य का सही तरीके से ख्याल नहीं रख पा रहा है। घटते जंगलों के कारण बढ़ते प्रदूषण, औधोगिकीकरण के बीच आज मनुष्य को अनेक बीमारियां घेर रहीं हैं। न हवा शुद्ध रही है और न मिट्टी और जल। चहुंओर प्रदूषण का बोलबाला है, ऊपर से मनुष्य का एंड्रॉयड मोबाइल, लैपटॉप , इंटरनेट, सोशल नेटवर्किंग साइट्स और अन्य इलेक्ट्रानिक संसाधनों पर अधिक समय बिताना, बाहर का खाना विशेषकर ‘जंक फूड’ और ‘फास्ट फूड’पर निर्भरता, शहरों में देर रात सोना और सुबह देर से जागना, पारिवारिक अलगाव, एकाकीपन जैसी समस्याएं आज आम हो चुकीं हैं। इन कारणों से तनाव, अवसाद, चिड़चिड़ापन, उच्च रक्तचाप, मोटापा, हृदय की बीमारियां लोगों को घेर रही हैं।सच तो यह है कि आज मनुष्य की बदलती जीवनशैली के कारण देश में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है, जिससे मधुमेह, उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ता है। अधिक वजन से फेफड़ों पर दबाव बढ़ता है, जिससे अस्थमा और नींद से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं, तो जोड़ों पर अधिक दबाव पड़ने से गठिया और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। मिलावट, अशुद्धता के इस दौर में, बदलती जीवनशैली के कारण मनुष्य के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इस क्रम में हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देहरादून में 38वें राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन के दौरान यह बात कही थी कि देश में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है, जो चिंता का विषय है। पाठकों को बताता चलूं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बात कही थी कि, ‘खेल को भारत के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण माध्यम माना जाता है।’ अपने संबोधन के दौरान उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब कोई देश खेलों में उत्कृष्टता प्राप्त करता है, तो उसकी प्रतिष्ठा और प्रोफ़ाइल भी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि खेलों को भारत के विकास और उसके युवाओं के आत्मविश्वास से जोड़ा जा रहा है। राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि-‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत की बड़ी सुंदर तस्वीर यहां(देवभूमि उत्तराखंड में) दिख रही है। नेशनल गेम्स में इस बार भी कई देसी पारंपरिक खेलों को शामिल किया गया है तथा इस बार के नेशनल गेम्स, एक प्रकार से ग्रीन गेम्स भी हैं। इसमें ‘एनवायरमेंटल फ्रेंडली’ चीजों का काफी इस्तेमाल हो रहा है। नेशनल गेम्स में मिलने वाले सभी मेडल और ट्रॉफियां भी ई-वेस्ट से बनी हैं। मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों के नाम पर यहां एक पौधा भी लगाया जाएगा। ये बहुत ही अच्छी पहल है।’ बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में बढ़ती मोटापे की समस्या (ओबेसिटी) को लेकर अपनी चिंताएं जताई। वास्तव में यह बहुत ही गंभीर और संवेदनशील है कि आज हमारे देश में ओबेसिटी (मोटापे) की समस्या तेजी से बढ़ रही है। देश का हर एज ग्रुप, और य़ुवा भी इससे बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। ये चिंतनीय इसलिए है क्योंकि मोटापा सब बीमारियों का घर कहा जाता है। मोटापे के कारण शुगर(डायबिटीज), हृदय रोग,जैसी अनेक बीमारियों का रिस्क युवाओं में विशेषकर बढ़ रहा है। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज हमारे युवाओं को अपनी डाइट और व्यायाम आदि पर फोकस करते हुए अपनी जीवनशैली को संतुलित करने की आवश्यकता है। आज भी भागम-भाग और व्यस्त जिंदगी में हमें यह चाहिए कि हम अपने लिए थोड़ा-सा समय निकालकर एक्सरसाइज करें। टहलने से लेकर वर्क-आउट करने तक, जो भी संभव हो सके हमें अवश्य करना चाहिए। शहरी जीवनशैली में हम न तो आज अपनी डाइट पर ही फोकस करते हैं और न ही अपने स्वास्थ्य पर। हर कोई आज पदार्थ की ओर भाग रहा है। ज्यादा से ज्यादा पाने की होड़ ने हमें कहीं का भी नहीं छोड़ा है। कहना ग़लत नहीं होगा कि हमारा फोकस आज के समय में ‘बैलेंस्ड इनटेक’ पर नहीं रह गया है और हम फास्ट फूड और जंक फूड की ओर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हमारा खाना/खान-पान न्यूट्रिशियस हो, पौष्टिक हो, संतुलित हो। हाल फिलहाल,सच तो यह है कि प्रधानमंत्री की मोटापे के विरूद्ध अपील को व्यापक जन-समर्थन मिला है। उल्लेखनीय है कि डब्ल्यूएचो, दक्षिण पूर्व एशिया ने नियमित फिजिकल एक्टिविटी और संतुलित, पौष्टिक आहार के प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान का खासतौर पर उल्लेख किया है। कहना ग़लत नहीं होगा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान के बाद लोगों में फिजिकल फिटनेस को बनाए रखने के प्रति जागरूकता का भाव पैदा हुआ है। वास्तव में,विश्व स्वास्थ्य संगठन और आइसीएमआर मोटापे को वैश्विक बीमारी मानते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्ष 1975 के बाद से मोटापा तीन गुना बढ़ चुका है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2016 में 1.9 अरब वयस्क अधिक वजन के थे। विज्ञान जर्नल ‘द लांसेट’ के मुताबिक, वर्ष 2022 में भारत में 5-19 वर्ष की आयु के 1.25 करोड़ बच्चे अधिक वजन के थे। देश में वयस्क महिलाओं में मोटापे की दर वर्ष 1990 की 1.2 फीसदी से बढ़कर वर्ष 2022 में 9.8 हो गई । इतना ही नहीं, आंकड़े बताते हैं कि इसी अवधि में ही पुरुषों में मोटापे की दर 0.5 प्रतिशत से बढ़कर 5.4 फीसदी हो गई। गौरतलब है कि विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में, मोटापा एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है।पाठकों को बताता चलूं कि 30 प्रतिशत से अधिक शरीर में वसा वाली महिलाओं और 25 प्रतिशत से अधिक शरीर में वसा वाले पुरुषों को मोटापे से ग्रस्त माना जाता है। मॉर्बिड मोटापे को 40 से अधिक बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो पुरुषों के लिए लगभग 100 पाउंड अधिक वजन और महिलाओं के लिए 80 पाउंड के बराबर होता है। वास्तव में, मोटापा समस्या नहीं, बीमारी है। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज सभी के लिए स्वस्थ आहार तक सस्ती पहुंच सुनिश्चित करने और सभी के लिए शारीरिक गतिविधि और समग्र स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने वाले वातावरण बनाने के उद्देश्य से नीतियों को लागू करने में अनेक महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं, हमें इन चुनौतियों पर विशेष ध्यान देना होगा। यह काबिले-तारीफ है कि ओबेसिटी (मोटापे)के खिलाफ जन अभियान में देश के 700 मेडिकल कॉलेज शामिल हो रहे हैं। हाल ही में केंद्रीय मंत्री डॉ मनसुख मांडविया के नेतृत्व में 250 से अधिक साइकिल सवार मोटापे से लड़ने की प्रधानमंत्री की अपील के समर्थन में दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में एक मंच पर एकत्रित हुए। दिल्ली के एम्स के 14 डॉक्टरों ने भी मोटापे के शरीर पर पड़ने वाले असर पर व्यापक चर्चा की। यह काबिले-तारीफ है कि जल्द ही देश के सभी सरकारी अस्पतालों में मोटापे को लेकर विशेष ओपीडी संचालित होने वाली है, जहां आहार विशेषज्ञ पौष्टिक और संतुलित भोजन तथा व्यायाम आदि के बारे में जानकारी देंगे। बहरहाल,आज हमारे देश में ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ जारी है। लोगों को मिलेट्स (मोटा अनाज) खाने को लेकर भी जागरूक किया जा रहा है। खेल, फिजिकल एक्टिविटी, बैलेंस्ड डाइट को लेकर भी अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। ज़रूरत बस इस बात की है कि हम बैलेंस्ड लाइफ की ओर ध्यान दें। वास्तव में इसके लिए हमें यह चाहिए कि हम अपने खाने में अन-हेल्दी फैट, तेल को थोड़ा कम करें। हम ताजी चीजें, नैचुरल चीजें, बैलेंस्ड मील(संतुलित भोजन) खाएं। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि’ एक स्वस्थ तन ही, स्वस्थ मन और स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण कर सकता है।’ तो आइए, हम सब मिलकर एक ‘फिट इंडिया’ बनाएं और देश को प्रगति और उन्नयन की ओर ले जाएं।