नेहरू संग्रहालय और पुस्तकालय का नाम बदल प्राइम मिनिस्टर म्यूजियम एंड लाइब्रेरी करने से राजधानी में उठा राजनीतिक तूफान

गोपेंद्र नाथ भट्ट

नई दिल्ली : देश में अभी जहां चारों ओर बिपरजाय के कारण आए चक्रवाती तूफान को लेकर चर्चाएं गर्म है, वहीं देश की राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में मोदी सरकार द्वारा तीन मूर्ति मार्ग पर स्थित ऐतिहासिक तीन मूर्तिहाउस में पिछलें छह दशकों से स्थापित नेहरू संग्रहालय पुस्तकालय और तारामंडल का नाम बदल कर प्राइममिनिस्टर म्यूजियम एंड लाइब्रेरी कर देने से राजनीतिक तूफान उठ खड़ा हुआ है और यह नाम बदलने परसियासती हलचल भी शुरू हो गई हैं ।

शुक्रवार को नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी की एक विशेष बैठक में इसका नाम बदलकर प्राइम मिनिस्टर्स म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी करने का बड़ा फैसला किया गया। इस विशेष बैठक कीअध्यक्षता केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। वे इस सोसाइटी के उपाध्यक्ष भी हैं।

नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लायब्रेरी का नाम बदलने के फैसले के बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार पर जबर्दस्त हमला बोल दिया है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए अपने ट्विटर पर कहा है कि संकीर्णता औरप्रतिशोध का दूसरा नाम मोदी है। 59 वर्षों से अधिक समय से नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय एकवैश्विक बौद्धिक ऐतिहासिक स्थल और पुस्तकों एवं अभिलेखों का ख़ज़ाना घर रहा है। अब से इसे प्रधानमंत्रीम्यूजियम और सोसायटी कहा जाएगा। पीएम मोदी भारतीय राष्ट्र-राज्य के शिल्पकार के नाम और विरासत कोविकृत करने, नीचा दिखाने और नष्ट करने के लिए क्या नहीं करेंगे। अपनी असुरक्षाओं के बोझ तले दबा एकछोटे कद का व्यक्ति स्वघोषित विश्वगुरु बना फिर रहा है।

जिनका इतिहास नहीं, वे दूसरे के इतिहास को मिटाने चले हैं- खड़गे

इधर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी अपनी कड़ी प्रतिक्रिया में मोदी सरकार पर हमलाबोलते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि-नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लायब्रेरी का नाम बदलने केकुत्सित प्रयास से,आधुनिक भारत के शिल्पकार व लोकतंत्र के निर्भीक प्रहरी,पंडित जवाहरलाल नेहरू जी कीशख़्सियत को कम नहीं किया जा सकता।इससे केवल बीजेपी-आरएसएस की ओछी मानसिकता औरतानाशाही रवैये का परिचय मिलता है।

उन्होंने लिखा कि मोदी सरकार की बौनी सोच, ‘हिन्द के जवाहर’ का भारत के प्रति विशालकाय योगदान कमनहीं कर सकती !

कांग्रेस के अन्य कई दिग्गज नेताओं और कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों आदि ने भी मोदी सरकार के इसनिर्णय को गलत परम्पराओं की शुरुआत करने तथा सौची समझी साजिश के तहत देश के प्रथम प्रधानमंत्री काअनादर करने और मोदी सरकार द्वारा ओछी मानसिकता से लिया गया गलत निर्णय बताते हुए अपना कड़ाविरोध दर्शाया हैं।

नाम बदलने को 2016 में पहली बार मिली थी मंजूरी

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में तीन मूर्ति परिसर में भारत के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एकसंग्रहालय स्थापित करने का विचार रखा था। नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी की कार्यकारीपरिषद ने 25 नवंबर 2016 को अपनी 162वीं बैठक में इसे मंजूरी दी थी और 21अप्रैल 2022 को प्रधानमंत्रीसंग्रहालय जनता के लिए खोल दिया गया।

दरअसल, कार्यकारी परिषद ने महसूस किया कि संस्थान का नाम वर्तमान गतिविधियों को प्रतिबिंबित करनेवाला होना चाहिए, जिसमें एक नया संग्रहालय भी शामिल है,जो स्वतंत्र भारत में लोकतंत्र की सामूहिक यात्राको दर्शाता है और राष्ट्र निर्माण में प्रत्येक प्रधानमंत्री के योगदान को दिखाता है।

केन्द्र सरकार का दावा हैं कि इस संग्रहालय को अपडेट किया गया है, यह संग्रहालय पुनर्निर्मित और नवीनीकृतनेहरू संग्रहालय भवन से शुरू होता है, जो पंडित जवाहरलाल नेहरू के जीवन और योगदान पर तकनीकी रूप सेउन्नत प्रदर्शन के साथ पूरी तरह से अपडेट किया गया है।

भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस के आरोप तथ्यों से परे और निराधार है।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली में राजघाट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि के निकट राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय, तीस जनवरी मार्ग पर गांधी स्मृति संग्रहालय, सफदरजंग रोड पर पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की स्मृति में इंदिरागांधी स्मारक संग्रहालय,जनपथ पर लाल बहादुर शास्त्री स्मृति संग्रहालय आदि के साथ ही राष्ट्रीय राजधानीदिल्ली में पूर्व प्रधानमंत्रियों मौरार जी भाई देसाई, चौधरी चरण सिंह, चंद्र शेखर, अटल बिहारी वाजपेयी तथापूर्व उप प्रधान मंत्री बाबू जगजीवन राम आदि के नाम से भी कई संस्थान है ।आईएनए स्थित दिल्ली हाट में पूर्वराष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम मेमोरियल और दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया संस्थान में जाकिरहुसैन संग्रहालय आदि बने हुए है। साथ ही राजघाट के पास अधिकांश पूर्व प्रधानमंत्रियों की समाधियां भी बनीहुई हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कई राष्ट्रीय संग्रहालय और अनेक कला दीर्घाएं भी हैं।