
रविवार दिल्ली नेटवर्क
UP की कैराना लोकसभा सीट से अखिलेश यादव ने टिकट दिया और पहली बार में BJP प्रत्याशी को 70812 वोटों से हराया।..
इक़रा हसन को समझना है तो 2 साल पहले की इक़रा को याद कीजिये । यह अकेली पूरे सिस्टम से लड़ रही थी । भाई पर गैंगस्टर लगा दी गई थी ।.
दर्जनों मुक़दमे लाद दिए गए थे । मां फरार घोषित कर दी गई थी ! भयंकर डेमोलेशन चल रहा था,।..
पलायन के मुद्दे की आड़ में हसन परिवार को खलनायक साबित किया जा रहा था। इक़रा अकेली पड़ गई थी ! डरे हुए लोग मदद करने के नाम पर पीछे हट जात थे!.
कोई नही जानता था इक़रा चुनाव लड़ेगी ! पहले सरवाइवल की चुनोती खड़ी थी। इक़रा अपने भाई और अपनी मां को बचाने के लिए लड़ रही थी। परिवार को बचाने के लिए लड़ रही थी ! उसने इलाहाबाद और कैराना को एक कर दिया था। कई -कई दिन सफर में रहती थी ।..
थकान से वकील के चैम्बर में बैठे -बैठे सो जाती थी । मगर लड़ी वो ! याद है सब । आज जो अफसर उसे सांसद होने के कारण सलाम कर रहे हैं, 2 साल पहले ही वो सीधे मुंह बात नही करते थे ।
भाई नाहिद हसन जेल में थे और अम्मी तब्बसुम हसन के गैर जमानती वारंट थे ! बिन बाप की बच्ची थी ! मगर लड़ी वो ! हसन है यह ! अकेले कमरे में अपने अब्बा को याद करके रोती थी ।बाहर निकलती तो चेहरे पर मुस्कान रखकर निकलती थी!
एक कंधा नही था इस बेटी के पास । बाप अल्लाह के पास । मां अज्ञात स्थान पर । भाई जेल में ।वहां से यहां तक पहुंची है।कलेजा चाहिए यह करने के लिए ।सचमुच शेरनी है लड़की,!..