भारतीय इंजीनियरिंग का अनोखा, नायाब नमूना है चिनाब ब्रिज !

Chenab Bridge is a unique and rare example of Indian engineering!

सुनील कुमार महला

हाल ही में हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर को चिनाब पुल का उद्घाटन करके एक बड़ी सौगात दी है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि यह(चिनाब पुल) दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल है। 6 जून 2025 को चिनाब पुल का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी ट्रैक पर बने अंजी ब्रिज का भी लोकार्पण किया। ये देश का पहला ऐसा रेलवे ब्रिज(पुल) है जो केबल स्टेड तकनीक पर बना है। मीडिया रिपोर्ट्स बतातीं हैं कि यह पुल नदी तल से 331 मीटर की ऊंचाई पर बना है। 1086 फीट ऊंचा एक टावर इसे सहारा देने के लिए बनाया गया है, जो करीब 77 मंजिला बिल्डिंग जितना ऊंचा है।यह ब्रिज अंजी नदी पर बना है, जो रियासी जिले के कटरा को बनिहाल से जोड़ता है। चिनाब ब्रिज से इसकी दूरी महज 7 किमी है। इस पुल की लंबाई 725.5 मीटर है।इसमें से 472.25 मीटर का हिस्सा केबल्स पर टिका हुआ है।
गौरतलब है कि यह ऐतिहासिक पुल न सिर्फ कश्मीर घाटी को पूरे भारत से जोड़ेगा, बल्कि क्षेत्र में व्यापार, पर्यटन और औद्योगिक विकास को भी नई गति देगा। बहरहाल, पुल के उद्घाटन के दौरान् प्रधानमंत्री ने कटरा और श्रीनगर को जोड़ने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। पाठकों को बताता चलूं कि इस ट्रेन के जरिये जम्मू से श्रीनगर का रास्ता केवल 3 घंटे का रह जाएगा। उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह जम्मू-कश्मीर में 46 हजार करोड़ की परियोजना है। कहना ग़लत नहीं होगा कि जम्मू कश्मीर को दो नई वंदे भारत ट्रेनें मिलने तथा जम्मू में नए मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास होने से जम्मू और कश्मीर के विकास को नई गति मिल सकेगी। यह काबिले-तारीफ है कि अब वादिए कश्मीर भारत के रेल नेटवर्क से जुड़ गई है। बहरहाल, यदि हम यहां पर चिनाब पुल की बात करें तो यह ब्रिज, दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज है।चिनाब रेलवे ब्रिज को बनाने में भले ही 22 साल लगे हो, लेकिन अब इसके शुरू होने के बाद कश्मीर घाटी और जम्मू के बीच सीधा रेल रास्ता बन जाएगा। यह पहली बार होगा जब लोग कन्याकुमारी से सीधे ट्रेन के जरिए कश्मीर घाटी तक जा सकेंगे।वास्तव में चिनाब ब्रिज एक स्टील और कंक्रीट से बना आर्च ब्रिज है, जो रियासी जिले के बक्कल और कौरी गांवों को जोड़ता है और ये ब्रिज चिनाब नदी के ऊपर बना है। इसकी खासियत यह है कि ये नदी के तल से 359 मीटर (लगभग 1,178 फीट) ऊंचा है। यानी यह पेरिस के मशहूर एफिल टॉवर से 35 मीटर और दिल्‍ली की कुतुब मीनार से करीब 5 गुना ऊंचा यानी कि 287 मीटर ऊंचा है। मीडिया रिपोर्ट्स बतातीं हैं कि 272 किलोमीटर लंबे इस रेल मार्ग में 1315 मीटर(करीब 4314 फीट) का यह ब्रिज उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक प्रोजेक्ट का हिस्सा है। पाठकों को बताता चलूं कि इस पुल का निर्माण 1486 करोड़ की लागत से किया गया है तथा यह 266 किमी प्रति घंटे तक की हवा की गति का सामना कर सकता है। साथ ही, यह ब्रिज भूकंपीय क्षेत्र पांच में स्थित है और रिक्टर स्केल पर 8 तीव्रता के भूकंप को सहने में सक्षम है। यहां पाठकों को यह भी बताता चलूं कि इस ब्रिज की नींव 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी तथा इसके निर्माण में 22 साल लगे और इसकी अनुमानित उम्र 120-125 साल से अधिक है।चिनाब रेल ब्रिज की डिजाइन और तकनीकी(इंजीनियरिंग) विशेषताओं ने इसे दुनियाभर में चर्चा का विषय बना दिया है और यह पुल तकनीक के क्षेत्र में भारत के सामर्थ्य को बखूबी दिखाता है। जानकारी के मुताबिक, इस ब्रिज को बनाने में 28,660 से 30,000 मीट्रिक टन स्टील का इस्‍तेमाल किया गया है। इसके साथ ही 46,000 क्यूबिक मीटर कंक्रीट का भी यूज हुआ है। साथ ही 6 लाख से ज्‍यादा बोल्‍ट भी यूज किए गए हैं। यह काबिले-तारीफ है कि इस पुल को बनाने में नदी के प्रवाह को नुकसान नहीं पहुंचाया गया है, नदी में कोई पिलर नहीं है, बल्कि इसे आर्च तकनीक(जैसा कि ऊपर जानकारी दे चुका हूं)से बनाया गया है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार इसे 40 टन टीएनटी के बराबर विस्फोट सहने के लिए डिजाइन किया गया है तथा साथ ही इसमें खास पेंट का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे 20 साल तक जंग से बचाएगा। पाठकों को बताता चलूं कि वास्तव में इस पुल को किसी हमले से बचने के लिए ब्लास्ट प्रूफ स्टील से तैयार किया गया है।इस ब्रिज के निर्माण में डीआरडीओ की अचूक प्लानिंग शामिल रही है।इसे बनाने के लिए उत्तर रेलवे के साथ कोंकण, अफकान और केआरसीएल ने काम किया। इसके साथ ही भारतीय भौगोलिक सर्वेक्षण जैसी संस्थाएं भी जुड़ी रहीं। उपलब्ध जानकारी के अनुसार इसमें आईआईटी रूड़की और आईआईटी दिल्ली ने भी अपना योगदान दिया है। पुल के निर्माण में 28,660 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल हुआ है। इतना ही नहीं,पुल में ऐसी तकनीक स्थापित की गई है कि कोई भी खतरा होने पर वार्निंग अलार्म खुद ही बजने लगेगा। पाठकों को बताता चलूं कि पुल में 112 सेंसर लगाए गए हैं, जो हवा की गति, टेंपरचर और कंपन आदि की जानकारी देंगे। ये न केवल एक रेलवे पुल है, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर को हर मौसम में देश से जोड़ने का एक मजबूत माध्यम भी है। स्वयं प्रधानमंत्री ने इस पर यह बात कही है कि -‘अब लोग चिनाब ब्रिज के जरिए कश्मीर देखने तो जाएंगे ही, साथ ही ये ब्रिज भी अपने आप में एक आकर्षक टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनेगा। चिनाब ब्रिज हो या फिर आंजी ब्रिज ये जम्मू-कश्मीर की समृद्धि का जरिया बनेंगे। इससे टूरिज्म तो बढ़ेगा ही इकोनॉमी के दूसरे सेक्टर्स को भी लाभ होगा। जम्मू कश्मीर की रेल कनेक्टिविटी दोनों क्षेत्रों के कारोबारियों के लिए नए अवसर बनाएगी।’ इससे(चिनाब पुल से) देश की सैन्य ताकत को भी कहीं न कहीं बल मिलेगा, क्यों कि कश्मीर बर्फबारी के दिनों में भारत से कट जाता था। साथ ही कई क्षेत्रों में आपात स्थिति में सेना को अपनी मूवमेंट में इस बर्फबारी के समय काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।अब चिनाब रेलवे ब्रिज के निर्माण से हर मौसम में कश्मीर पहुंचना सेना के लिए आसान हो जाएगा। पाठकों को बताता चलूं कि इस पुल के बारे में पाकिस्तान के सबसे बड़े मीडिया संस्थानों में से एक डॉन ने यह लिखा है कि, ‘यह पुल चीन की सीमा से लगे भारत के बर्फीले क्षेत्र लद्दाख में रसद में भी क्रांति लाएगा।’

कहना ग़लत नहीं होगा कि चिनाब और अंजी ब्रिज के उद्घाटन के साथ जम्मू-कश्मीर ने विकास की नई राह पर कदम बढ़ाया है। ये परियोजनाएं न केवल क्षेत्र की कनेक्टिविटी को बेहतर करेंगी, बल्कि पर्यटन, व्यापार और आम लोगों की जिंदगी को भी आसान बनाएंगी। अब कश्मीर की सुंदरता और संसाधन देश-दुनिया से और भी करीब होंगे।अंत में यही कहूंगा कि चिनाब पुल भारतीय इंजीनियरिंग का एक नायाब व बड़ा तोहफा है, जिससे भारत को पाकिस्तान और चीन के खिलाफ रणनीतिक फायदे तो होंगे ही देशवासियों को इसका भरपूर फायदा मिलेगा।