
पुजारा बोले,क्रिकेट ने मुझे दुनिया भर में पहचान दिलाई
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : भारत के सर्वश्रेष्ठ टेस्ट बल्लेबाजो में एक अपनी शास्त्रीय बल्लेबाज के लिए ख्यात चेतेश्वर पुजारा ने 37 बरस की उम्र में तुरंत प्रभाव से भारतीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों को अलविदा कह दिया। पुजारा को राहुल द्रविड़ के बाद भारतीय क्रिकेट की दूसरी दीवार कहा गया। चेतेश्वर पुजारा ने भारतीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों को अलविदा को अलविदा कहने की घोषणा अपने सोशल मीडिया हेंडल पर की। पुजारा भारत के लिए आखिरी क्रिकेट टेस्ट 2023 में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के रूप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले। पुजारा ने अपने प्रथम श्रेणी के करियर का आगाज दिसंबर 2025 में सौराष्ट्र के लिए खेल कर दिया। पुजारा ने लिखा, ‘राजकोट जैसे छोटे शहर के एक छोटे बालक के रूप में मैंने अपने मैंने अपने अभिभावकों के साथ मैंने सितारों को पाने का लक्ष्य रखा और भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बनने का सपना देखा। तब मुझे मालूम नहीं था कि क्रिकेट मुझे-बेशकीमती मौके, अनुभव, मकसद, प्यार और इससे भी ज्यादा मेरे प्रदेश और महान देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका देगा। मैं अपने क्रिकेट करियर में बीसीसीआई और सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन का आभार जताता हूं। साथ ही सभी टीमें, जिनकी मैंने नुमाइंदगी की उनका आभारी हूं। क्रिकेट ने मुझे दुनिया भर में पहचान दिलाई । प्रशंसकों का समर्थन और ऊर्जा हमेशा बनी रही । भारतीय जर्सी पहनना, राष्ट्र गान गाना, मैदान पर उतर कर खेलने उतर कर मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की और मेरे लिए इस सबके मायने क्या हैं इसे शब्दों में बयां करा मुमकिन नहीं है। जैसा कि वे कहते हैं, सभी अच्छी चीजों का अंत होना ही चाहिए। मैंने कृतज्ञता के साथ भारतीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों को अलविदा कहने का फैसला किया है। सभी का प्यार और समर्थन के लिए आभार।’
पुजारा एक छोर पर लंगर डाल कर खेल दबाव झेल कर बड़ी पारियां खेलने के लिए ख्यात रहे। पुजारा के क्रिकेट को अलविदा कहने से भारतीय क्रिकेट का एक शानदार अध्याय समाप्त हो गया। पुजारा को उनकी शास्त्रीय बल्लेबाजी, विलक्षण एकाग्रता और मुश्किल हालात में भारत क्रिकेट टीम की पारी को संभालने के लिए हमेशायाद किया। पुजारा के क्रीज पर उतरते ही एक ऐसा योद्धा के उतरने का अहसास होता था जो कि अपनी निरंतरता से अपने प्रतिद्वंद्वी गेंदबाजों के हौसत पस्त कर देता था। पुजारा ने अपने जीवट और धैर्य से दुनिया के खतरनाक गेंदबाजी आक्रमण की धार कुंद की और भारत की कई यादगार टेस्ट जीत के नायक रहे। पुजारा अपने अनुशासित बल्लेबाजी और नए जमाने के मुताबिक अपनी क्रिकेट को ढालने के लिए भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में छाए रहे।
पुजारा ने अपना भारत के लिए टेस्ट करियर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2010 में शुरू किया और 103 टेस्ट मौच खेल कर 43.60 की औसत से 19 शतकों और 35 अर्द्बशतकों की दद से 7195 रन बनाए।पुजारा भारत के लिए ज्यादातर तीसरे नंबर पर खेलते हुए राहुल द्रविड़ के बाद इस नंबर पर टेस्ट में भारत के लिए सबसे कामयाब बल्लेबाजों में से एक रहे । पुजारा को अफगानिस्तान को छोड़ टेस्ट खेलने वाले दुनिया के सभी देशों के खिलाफ भारत के लिए टेस्ट शतक जड़ने का गौरव हासिल है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ पांच पांच टशसट तथा श्रीलंका के खिलाफ चार टेस्ट शतक जड़े।पुजारा भारत को टेस्ट सीरीज में भागीदार रहे और इनमें सबसे यादगार थी 2018 -19 व 2020-21 में ऑस्ट्रेलिया में उसके खिलाफ टेस्ट सीरीज जिताना। पुजारा भारत चार टेस्ट में 521 रन बनाकर मैनऑफ द’ सीरीज रह भारत के 2018-19 में पहली बार ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसकी धरती पर भारत को टेस्ट सीरीज जिताने में अहम भूमिका निभाई। पुजारा की भारत के लिए यादगार पारियों में उनकी 2017 में बेंगलुरू टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 92 रन तथा 2012 मे अहमदाबाद में इंग्लैंड के खिलाफ अविजित 206 और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हैदराबाद में -204और रांची में 202-जड़े टेस्ट शतक हमेशा याद रहेंगे। भारत से बाहर भी टेस्ट में वह दीवार की तरह हमेशा डटे रहे।
पुजारा का करियर जीवट और निस्वार्थता का एक बेहतरीन उदाहरण : साइकिया
बीसीसीआई के मानद सचिव देवजीत साइकिया ने पुजारा के क्रिकेट को अलविदा कहने पर कहा, ‘चेतेश्वर पुजारा का करियर जीवट और निस्वार्थता का एक बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने टेेस्ट क्रिकेट की भावना को साकार किया। पुजारा की प्रतिद्वंद्वी टीम के गेंदबाजी आक्रमण को थकाने की क्षमता और गजब की एकाग्रता उन्हें भारतीय बल्लेबाजी की रीढ़ बनाया। उन्होंने दर्शाया कि परंपरागत क्रिकेट खेल कर कर इसमें कामयाबी हासिल की जा सकती है। उनकी भारतीय क्रिकेट के लिए अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर प्रतिबद्धता उत्कृष्ट रही। उन्होंने क्रिकेट और देश को जो दिया उसके लिए हम उनके आभारी हैं।