भारत के लिए अपना 100 वां टेस्ट मैच खेलने उतरेंगे चेतेश्वर पुजारा

  • मेरा सपना भारत के लिए वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल जीतना: पुजारा
  • जब भारत के लिए खेलना शुरू किया तो सोचा नहीं 100 टेस्ट खेलूंगा
  • मकसद हमेशा भारत के लिए बेहतरीन प्रदर्शन कर उसे जिताना
  • स्टेन, मॉर्नी मॉर्केल, एंडरसन को खेलना खासा चुनौतीपूर्ण रहा
  • ऑस्ट्रेलिया के कप्तान कमिंस बतौर तेज गेंदबाज खासी चुनौती पेश करते हैं
  • उतार-चढ़ावों से पार पाने के लिए जीवट दिखाना होता है

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : अपने जमाने भारत की ‘दीवार’ कहे जाने वाले हेड कोच राहुल द्रविड़ की जगह अब चेतेश्वर पुजारा टीम इंडिया इंडिया की बल्लेबाजी की सबसे मजबूत ‘दीवार’ में से एक हैं। 35 बरस के चेतेश्वर पुजारा ने अपने टेस्ट करियर का आगाज 13 बरस पहले ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किया था। एक भी एक संयोग ही है कि शुक्रवार को यहां अरुण जेटली स्टेडियम में मेहमान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार टेस्ट मैच की क्रिकेट सीरीज के दूसरे टेस्ट में खेलने उतरने के साथ वह भारत के लिए 100 या इससे अधिक टेस्ट मैच खेलने वाले 13 वें क्रिकेटर बन जाएंगे। मौजूदा भारतीय टीम पुजारा (99 टेस्ट) से ज्यादा और सौ से ज्यादा टेस्ट मैच खेलने वाले दूसरे क्रिकेटर पूर्व कप्तान विराट कोहली (105 टेस्ट हैं। अपने सौवें टेस्ट की पूर्व संध्या पर चेतेश्वर पुजारा ने कहा, ‘मेरा सपना भारत के लिए वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल जीतना है। मैं वाकई खुश हूं कि मैं भारत के लिए सौैवां टेस्ट मैच खेलने जा रहा हूं पर साथ ही हम फिलहाल एक अहम टेस्ट सीरीज खेल रहे हैं। हमें यहां सीरीज का यह दूसरा टेस्ट जीतने के एक और टेस्ट जीत कर वल्र्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के लिए क्वॉलिफाई करना है। हम जब एक बार डब्ल्यूटीसी फाइनल के लिए क्वॉलिफाई कर लेंगे तो फिर हम अपना ध्यान इसे जीतने पर लगाएंगे।

वह कहते हैं,’मैंने जब भारत के लिए क्रिकेट शुरू किया तो सोचा नहीं था कि मैं भारत के लिए सौ टेस्ट खेलूंगा। भारत के लिए 100 टेस्ट खेलना मेरे और मेरे परिवार के बहुत अहम है। मेरे पिता अरविंद मेरे बचपन से मेरे क्रिकेट कोच रहे। जब मैं शुक्रवार को यहां भारत के लिए सौवां टेस्ट खेलने उतरुंगा तो मेरे पिता और मेरी पत्नी भी यहां मैदान पर मौजूद होंगी। मैं अपने परिवार का उसके सहयोग के लिए आभारी हूं। अभी बहुत कुछ हासिल करना है। जब मुझे मैच में भारतीय टीम से बाहर कर दिया तो मेरे लिए यह बेहद चुनौतीपूर्ण वक्त है। मैं काउंटी क्रिकेट खेल रहा और राहुल(द्रविड़) भाई और विकी पाजी (विक्रम राठौर) के संपर्क में रहा कि मुझे कहां क्या सुधार करना है।’

पुजारा बताते हैं, ‘ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड जैसी टीमों के खिलाफ बढिय़ा प्रदर्शन करना खासा चुनौतीपूर्ण है क्योंकि सभी दुनिया की शीर्ष टीमें हैं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हमारी भारतीय टीम ने कई संघर्षपूर्ण टेस्ट सीरीज खेली हैं। मैंने अब तक अपने लंबे अंतर्राष्टï्रीय करियर में जिन गेंदबाजों का सामना किया उनमें रफ्तार के सौदागर दक्षिण अफ्रीका के डेल स्टेन, मॉर्नी मॉर्केल, इंग्लैंड के जिमी एंडरसन के खिलाफ खासा चुनौतीपूर्ण रहा। मेहमान ऑस्ट्रेलिया के कप्तान पैट कमिंस भी बतौर तेज गेंदबाज खासी कड़ी चुनौती पेश करते हैं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेशक मुझे कामयाबी मिली है लेकिन बावजूद इसके मैं यह कहूंगा कि यह एक ऐसी टीम है तो आखिर तक हार नहीं मानती है। आपको बराबर संघर्ष करने पर मजबूर करती है। मैं जब भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलने उतरा तो मुझे कभी आसानी से रन नहीं मिले। मुझे उसके खिलाफ रन बनाने के लिए खासी मेहनत करनी पड़ी। ऑस्ट्रेलिया एक इकाई के रूप में बेहतरीन प्रदर्शन करती है और अक्सर यही मुझे और बेहतर प्रदर्शन को प्रेरित करता है। मैं मुंह से अपने बल्ले से रन बनाकर ऑस्ट्रेलिया को जवाब देना पसंद करता हंू। ऑस्ट्रेलिया जैसी चुनौतीपूर्ण प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ खेलने में हमेशा मजा आता है।’

वह कहते हैं, ‘ मेरा मकसद हमेशा भारत के लिए बेहतरीन प्रदर्शन कर उसे जिताने का रहता है। बतौर बल्लेबाज मेरा जीवट और जोश मेरी ताकत है। मैं भगवान में बहुत विश्वास करता हूं कि मानता हूं कि आपको मुश्किल से वही उबारते हैं मैं मैदान पर उतर कर बराबर भारत को जिताने की जुगत में लगा रहता हूं। जहां तक मेरी बल्लेबाजी शैली और कामयाब होने की बात है तो इस बाबत बस यही कहूंगा कि इसके लिए बतौर बल्लेबाज धैर्य धरना जरूरी है। धैर्य स्वत: ही नहीं आता है और इसके लिए आपको जेहनी तौर पर मजबूती की दरकार होती है। आपको बतौर क्रिकेटर इसके लिए अनुशासित रहना होता है। आपके खुद को बराबर अंतर्राष्टï्रीय क्रिकेट के लिए तैयार करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। मैंने जूनियर क्रिकेट से बराबर मेहनत की । मेरा मानना है कि जब आप अपना ध्यान अपने खेल पर लगाते तो तभी आपको कामयाबी नसीब होती है। मैं अपने लिए लंबे लक्ष्य नहीं रखता और बहुत आगे की नहीं सोचता। मैं वर्तमान में ही जीता हूं। आप अपनी इतनी लंबी क्रिकेट यात्रा में बहुत से उतार-चढ़ावों को झेलते हैं और इनसे पार पाने के लिए जीवट दिखाना होता है।’

पुजारा ने कहा, ‘मैं अपने लंबे टेस्ट करियर में अपनी चार पारियों को खास मानता हूं। ये पारियां मेरे करियर के पहले टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 72 रन की पारी क्योंकि मैं बहुत नर्वस था। मैं ये रन नहीं बनाता तो मुमकिन था कि मैं इसके बाद अंतर्राष्टï्रीय क्रिकेट शायद न खेल पाता। फिर मैंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चिन्नास्वामी स्टेडियम में 92 रन की जो टेस्ट पारी खेली वह मेरी प्रिय पारियों में से एक है। इसके अलावा विदेशी धरती पर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरी पारी जोहानिसबर्ग में अपने पहले टेस्ट शतक , एडिलेड टेस्ट में 123 रन की पारी और गाबा के ऐतिहासिक टेस्ट में की पारी , जहां मुझे कई बार शरीर पर गेंदे झेलनी पड़ी खास मानता हैैं।