विनोद तकियावाला
विश्व के सबसे बड़े प्रजातंत्र भारत में प्रेस स्वतंत्रता की स्थिति का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत में पत्रकार व प्रेस आज किस दौर से गुजर रहा है।प्रेस स्वतंत्रता के 18Oदेशों की सुची में भारत150 वे स्थान पर है।इसे आयें दिनों भारत में प्रेस स्वतंत्रता की पर प्रशन उठना स्वाभाविक है।इसका सबसे बडा प्रमाण आये दिनों पत्रकारों पर झुठा मुकदमा व कातिलाना हमला की खबरें आती है।प्रजातंत्र के सच्चे प्रहरी व प्राण कहे जाने वाला पत्रकार अपने कर्तव्य का पालन करते हुए अपनी प्राण की आहुति तक देना पड़ता है।जिसके विरोध में कई स्वयंसेवी संगठनअन्तराष्टीय संगठन व पत्रकार युनियनों की ओर से केन्द्र व राज्य सरकार से पत्रकार सुरक्षा पर कानुन बनाने की माँग लगातार उठती रहती है। 8 अप्रैल 2017 में महाराष्ट्र विधान सभा में पत्रकार सुरक्षा के लिए अधिनियम बनाया था।जिसे के बाद छतीसगढ की भूपेश बघेल की सरकार द्वारा पत्रकार सुरक्षा अधिनियन के तहत कानुन बनाया है। विगत दिनों मीडियाकर्मियों की प्रताड़ना और उनके साथ हो रही हिंसा को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा में विधेयक पारित किया गया। यह कानून छत्तीसगढ़ मीडियाकर्मी सुरक्षा विधेयक 2023 कहलाएगा।महाराष्ट्र के बाद पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने वाला छत्तीसगढ़ दूसरा राज्य बन गया है। राज्य की कांग्रेस प्रार्थी की सरकार ने इस कानून को बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अफताब आलम की अध्यक्षता में एक प्रारूप समिति बनाई गयी थी।जिसमें न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त न्यायाधीशअंजना प्रकाश,उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता राजूरामचन्द्रन,वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय ललितसुरजन,प्रकाश दुबे, मुख्य मंत्री के सलाहकार रूचिर गर्ग,महाधिवक्ता विधि विभाग के प्रमुख सचिव,पुलिस महानिदेशक सभी इसके समिति सदस्य थे।
इस समिति ने राज्य और दिल्ली में अनेको बैठक कर के विभिन्न् संगठनों से चर्चा करके इसका प्रारूप बनाया।इसके अनुसार यदि कोई निजी व्यक्ति मीडियाकर्मी को प्रताड़ना अथवा उसके साथ हिंसा करता है तो इसके लिए छत्तीसगढ़ मीडिया की स्वतंत्रता,संरक्षण एवं संवर्धन समिति होगी जो कि ऐसे प्रकरण की छानबीन करेगी।आरोप साबित होेने पर ऐसे व्यक्तियों पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।यदि कोई लोकसेवक जानबूझकर इस नियमों की अवहेलना करता है तो उसे दंडित किया जाएगा।इसी तरह मीडियाकर्मी के रूप में पंजीयन के लिए पात्र व्यक्ति के पंजीकरण में कोई भी व्यवधान उत्पन्न् करता है तो उसे भी 25 हजार रुपये जुर्माना देना होगा। जुर्माने की राशि भू-राजस्व की तरह वसूली योग्य होगी।इसके लिए प्रदेश के मीडियाकर्मियों का पंजीयन किया जाएगा।आप को बता दे कि सदन में इसे अधिनियम को लेकर हो रहे चर्चाओं के बीच में भाजपा विधायकों ने इस विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने का प्रस्ताव दिया था।जिसे अध्यक्ष ने अस्वीकार कर दिया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में मीडियाकर्मियों के लिए सुरक्षा कानून पारित होने के बाद पत्रकारों का बधाई दी है।उन्होंने ट्वीट किया कि यह ऐतिहासिक दिन है।छत्तीसगढ़ मीडियाकर्मी सुरक्षा विधेयक 2023 विधानसभा में पास होने से यह कानून बन गया।इस विधयेक के अनुसार इन पात्रता वाले को यह लाभ मिलेगा।यह विधेयक उन्हें सुरक्षा देगा।इस कानुन के अनुसार संपादक,लेखक,समाचार संपादक,रूपक लेखक,प्रतिलिपि संपादक,संवाददाता,सम्पर्की,व्यंग्य चित्रकार , फोटोग्राफर, वीडियोपत्रकार, अनुवादक,शिक्षु व प्रशिक्षु पत्रकार समाचार संकलनकर्ता या जो स्वतंत्र पत्रकार के रूप में अधिमान्यता के लिए मान्य हों,ये सभी मीडियाकर्मी कहलाएंगे।इसके लिए निम्न पात्र ही जिसें पत्रकारिता में कम से कम एक वर्ष का अनुभव हो।शासन द्वारा अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार हो।विगत तीन माह में न्यूनतम छह लेख का प्रकाशन।किसी मीडिया संस्थान से तीन महीने का न्यूनतम भुगतान प्राप्त किया हो।घटनाओं केफोटोग्राफ तीन माह में न्यूनतम तीन प्रकाशन।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हमने जो वादा पत्रकार साथियों से किया था,वह आज पूरा हुआ है।अब लोकतंत्र का चौथा स्तंभ निर्भीक होकर जनता की आवाज उठाए और जनभागीदारी निभाता रहे,ऐसी हमारी सोच है।मुख्यमंत्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आज पत्रकार साथियों के विस्मरणीय दिन है।हमारे पत्रकार साथी जो अपनी जान जोखिम में डालकर अंदरूनी क्षेत्रों में जाकर खबर लाते हैं।बहुत सारे ऐसे लेख भी लिखते हैं,जिनसे उनको,उनके परिवार के लोगों को खतरा बढ़ जाता है।धनहानि के साथ जनहानि की आशंका भी बन जाती है।इस कानून बनने से पत्रकार पत्रकारो संगठनो,स्वयंसेवी संस्थाओं ने मुख्य मुंत्री के इस कदम का स्वागत किया है।हमें उम्मीद देश अन्य राज्यों के मुख्य मंत्री महाराष्ट ; छतीसगढ की सरकार से सवक लेते हुए अपने-अपने राज्यों में प्रजातंत्र के सच्चे प्रहरी का सम्मान करते हुए पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने के लिए अतिशीघ्र कदम उठाए गें ।एक बार हम पुन: महाराष्ट व छतीसगढ की . सरकार खास कर एक कलम के सच्चे सिपाई होने के नाते आदर सहित आभार व धन्यवाद देते हुए विदा लेते है-ना ही काहुँ से दोस्ती।ना ही काहूँ से बैर॥खबरीलाल तो मॉगे।सबकीखैर॥
अलविदा।