दीपक कुमार त्यागी
- भारत सरकार के मसाला बोर्ड’ के वैज्ञानिक बस्तर के “ब्लैक गोल्ड” पर हुए फिदा
- 4-6 किलो है काली मिर्च की का प्रति पेड़ औसत उत्पादन ,जबकि एक पेड़ से 8-10 किलो का औसत उत्पादन ले रहे हैं कोंडागांव के डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी
- क्वालिटी के मामले में भी अव्वल है मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म की पेड़ों पर पकी काली मिर्च
- विदेशी भी दीवाने हैं बस्तर के ‘मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म’ की काली मिर्च के
- बस्तर की काली मिर्च के साथ ही हर्बल चाय,सफेद मूसली, स्टीविया, इंसुलिन पौधा, आस्ट्रेलियन टीक लकड़ी,काला चावल,हल्दी तथा और हर्बल उत्पादों ने भी देश विदेश में बनाई है अपनी अलग पहचान।
“ब्लैक गोल्ड” के नाम से मशहूर उच्च क्वालिटी की काली-मिर्च के उत्पादन में छत्तीसगढ़ के बस्तर ने देश में नया कीर्तिमान स्थापित किया है, यह स्थिति देश में नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्र के रूप में पहचान रखने वाले छत्तीसगढ़ के बस्तर जनपद के साथ-साथ पूरे देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि व गौरव का विषय है। इस उपलब्धि का श्रेय डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी व उनके नेतृत्व में चलने वाले बस्तर के ‘मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म्स एंड रिसर्च सेंटर’ कोंडागांव को जाता है, क्योंकि इनके द्वारा विकसित की गयी काली मिर्च का उत्पादन सबसे ज्यादा है और इसको गुणवत्ता तथा अन्य सभी मापदंडों पर देश की सर्वश्रेष्ठ काली मिर्च के रूप में भारत सरकार के शीर्ष मसाला अनुसंधान संस्थान में दर्ज किया गया है। उल्लेखनीय है कि केरल तथा देश के अन्य भागों में काली मिर्च के एक पेड़ से अधिकतम औसत उत्पादन लगभग 5 किलो रहा है, जबकि कोंडागांव की मां दंतेश्वरी काली मिर्च-16 में यह औसत उत्पादन मात्रा 8-10 किलो पाई गई है। उत्पादन की मात्रा के साथ-साथ गुणवत्ता में भी यह काली मिर्च अन्य काली मिर्च से बेहतर है इस आशय का एक लेख भारत सरकार के केन्द्रीय मसाला संस्थान के नवीनतम आधिकारिक प्रकाशन में प्रकाशित हुआ है।
उल्लेखनीय है कि *स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान ( ICAR- IISR) के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की टीम का यह विशेष लेख टीम द्वारा ‘मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म्स तथा रिसर्च सेंटर कोंडागांव के लगातार दौरे और प्रत्यक्ष निरीक्षण के बाद, भारत सरकार के ‘स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया’ के आधिकारिक प्रकाशन “स्पाइस इंडिया” पत्रिका के नवीनतम अंक में प्रकाशित हुआ है।* यह लेख मुख्य रूप से कोंडागांव के ‘मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म एंड रिसर्च सेंटर’ द्वारा विकसित काली मिर्च की नई किस्म ‘मां दंतेश्वरी काली मिर्च-16’ (एमडीबीपी-16) पर केंद्रित है। यहां यह बताना जरूरी है कि कृषि के क्षेत्र में नवाचारों के लिए जाने वाले जाने वाले तथा 5-5 बार देश के सर्वश्रेष्ठ किसान का अवार्ड प्राप्त करने वाले बस्तर के किसान डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी विगत दो दशकों से गर्म तथा सूखी जलवायु क्षेत्रों के लिए उपयुक्त काली मिर्च की प्रजाति विकसित करने में लगे थे। सन 2016 में उन्हें इसमें सफलता मिली। आज इस किसान के द्वारा विकसित की गई काली-मिर्च की प्रजाति मां दंतेश्वरी काली मिर्च-16 केवल बस्तर के किसानों में ही नहीं बल्कि देश के अन्य सभी भागों में भी सफलता पूर्वक उगाई जा रही है। पेड़ों पर ही पकी इस काली मिर्च के देश के साथ साथ विदेशी भी दीवाने हैं। इस काली मिर्च की क्वालिटी के सामने बाकी सभी देशी-विदेशी वेरायटी उन्नीस साबित हुई हैं। यहां आपको बता दें कि मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म की काली मिर्च के साथ ही हर्बल चाय, सफेद मूसली, स्टीविया, इंसुलिन पौधा, आस्ट्रेलियन टीक लकड़ी, काला चावल, हल्दी तथा और अन्य सभी हर्बल उत्पादों ने भी देश व दुनिया में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।
डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी ने इस सफलता का श्रेय बस्तर की माटी, मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के सभी सदस्यों, परिजनों, मीडिया के सम्मानित साथियों, शासन तथा प्रशासन के सभी विभागों को देते हुए इंकृविवि रायपुर के डॉक्टर दीपक शर्मा के साथ ही स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक डॉक्टर केवी साजी, डॉक्टर शिवकुमार एम.एस. तथा डॉक्टर शैरोन अरविंद को देते हुए कहा कि आप सभी के बहुमूल्य मार्गदर्शन के चलते ही बस्तर की झोली में यह उपलब्धि आयी है, इसके लिए डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए विशेष धन्यवाद दिया है।