मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना : भविष्य के सपनों को साकार कर सकेंगे प्रतिभावान विद्यार्थी

दयाशंकर शर्मा

आर्थिक स्थिति से कमजोर प्रतिभावान विद्यार्थियों को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं और व्यवसायिक पाठ्यक्रमों की उत्कृष्ट तैयारी के लिये निःशुल्क कोचिंग उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना शुरू की गयी है।

प्रतिभावान विद्यार्थी अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण अपने सुनहरे भविष्य के सपनों को साकार नहीं कर पाते। उनके सपनों को साकार करने के लिये यह योजना मील का पत्थर साबित होगी। निश्चित रूप से विद्यार्थी इस योजना से लाभान्वित होकर अपने भविष्य के सपनों को साकार कर सकेंगे।

इस योजना का लाभ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछडा वर्ग, अति पिछडा वर्ग, अल्पसंख्यक एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के प्रतिभावान विद्यार्थी ले सकते है। जिनके परिवार की वार्षिक आय 8 लाख रूपये से कम हो। ऐसे विद्यार्थी जिनके माता-पिता राज्य सरकार के कर्मचारी रूप में पे-मेट्रिक लेवल-11 तक का वेतन प्राप्त कर रहे है, वे भी इस योजना के लिये पात्र है। विद्यार्थी को इस योजना का लाभ केवल एक वर्ष की अवधि के लिये ही मिल सकेगा। योजना के तहत प्रतिवर्ष 10 हजार विद्यार्थियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है। विद्यार्थियों की मेरिट का निर्धारण कक्षा 10वीं या 12वीं की परीक्षा के प्राप्तांको के आधार पर किया जाता है।

यह योजना जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग तथा अल्पसंख्यक मामलात विभाग के माध्यम से संचालित की जा रही है। विभिन्न परीक्षाओं जिनमें आईएएस के लिये 200, आरएएस के लिये 500, उपनिरीक्षक व समकक्ष के लिये 800, कानिस्टेबल के लिये 800, पटवारी, जूनियर असिस्टेंट व समकक्ष के लिये 1200, क्लेट के लिये 1000, रीट के लिये 1500, नीट व जेईई के लिये 4000 सीटें निर्धारित है। इन सीटों के लिये सबसे अधिक आवेदन आरएएस परीक्षा के लिये प्राप्त हुये है जबकि सबसे कम आवेदन क्लेट की परीक्षा के लिये प्राप्त हुये है।

इस योजना में मेरिट का निर्धारण क्लेट, इंजीनियरिंग व मेडिकल के विद्यार्थियों के लिये दसवीं कक्षा में प्राप्तांकांे के आधार पर होता हैं जबकि अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये 12वीं कक्षा में प्राप्ताकों के आधार पर होता है। वर्ष 2022 की कोचिंग योजना के लिये मेरिट लिस्ट जारी कर दी गयी है। इस योजना से हर वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को आगे बढ़ने के समान अवसर मिल सकेंगे।