गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने नये साल जनवरी 2025 के तीसरे सप्ताह में प्रस्तावित विधान सभा के बजट सत्र से पहले विधायकों से संभागवार बातचीत शुरू कर एक अच्छी पहल की है। मुख्यमंत्री शर्मा ने विधायकों से उनके क्षेत्रों में बजट घोषणाओं के क्रियान्वयन का फीडबैक लेने के साथ ही विधायकों से आगामी बजट के लिए सुझाव भी मांगे हैं और उनकी शिकायतों को हल करने का आश्वासन दिया हैं। मुख्यमंत्री शर्मा ने मंत्रियों को निर्देश दिया कि वे विधायकों से संवाद बनाए रखें और उनकी राय को प्राथमिकता दें।
यह संवाद कार्यक्रम विधानसभा सत्र से पहले विधायकों की नाराजगी दूर करने की रणनीति माना जा रहा है। विधान सभा के पिछले सत्र में कई भाजपा विधायकों ने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए थे, जिसे देखते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने समय रहते अपने विधायकों की बात सुनने का कदम उठाया है । विधान सभा के पिछले सत्र में सरकार के फ्लोर मैनेजमेंट और मंत्रियों द्वारा विधायकों के प्रश्नों का जवाब देने में तैयारियों में रही कमियों और आपसी तालमेल के अभाव के कारण सरकार को किरकरी से बचाने के लिए स्वयं विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को आगे आना पड़ा था और उन्होंने मज़बूत प्रतिपक्ष के कतिपय नेताओं को सदन से निष्कासित भी किया था।
राजनीतिक जानकारों का दावा है कि इस कवायद को पार्टी में विधायकों और मंत्रियों के बीच सामंजस्य बनाने का प्रयास भी माना जा रहा है। हालांकि, विधायकों की नाराजगी पार्टी के अंदर गहराते असंतोष की ओर इशारा कर रही है।मुख्यमंत्री शर्मा को मिले फीड बेक के अनुसार विधायकों ने मुख्यमंत्री से मंत्रियों की कार्यशैली को लेकर शिकायतें दर्ज कराई। विधायकों ने आरोप लगाया कि मंत्री अपने पसंदीदा अधिकारियों की नियुक्ति करा रहे हैं, जिससे स्थानीय विधायकों और जनता की सुनवाई नहीं हो पा रही है। विशेष कर कोटा संभाग के
विधायकों ने कतिपय मंत्रियों पर गंभीर आरोप लगाए।आरोप है कि ये मंत्री स्थानीय विधायकों की बात नहीं सुनते और सरकार की योजनाओं पर चर्चा नहीं करते।कई विधायकों ने कहा कि मंत्री कांग्रेस नेताओं के कहने पर ज्यादा काम करवा रहे हैं।एक विधायक ने तो यहाँ तक कहा है कि बारां जिले में कांग्रेस के एक पूर्व मंत्री और उनकी पत्नी के खिलाफ भ्रष्टाचार और भूमि विवाद के मामलों में भाजपा के ही मंत्री कार्रवाई नहीं करने दे रहें है।
मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने कहा कि जनता के साथ मजबूत जुड़ाव ही सरकार और जनप्रतिनिधियों के बीच की दूरी को कम करेगा।उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विधायकों की सभी मांगों पर विचार किया जाएगा। अपने शासन काल के पहले साल में मुख्यमंत्री राइजिंग राजस्थान ग्लोबल समिट 2024 के सफल आयोजन और पहली वर्षगाँठ की रैली में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी से मिले आशीर्वाद से उत्साहित है। साथ ही पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना और यमुना जल समझौते को ज़मीन पर लाने की दिशा में काफ़ी आगे बढ़े है लेकिन इन समझौतों को सार्वजनिक करने की माँग को लेकर प्रतिपक्ष हमलावर है। हाल ही गहलोत सरकार द्वारा बनाये गये सत्रह ज़िलों में से नौ जिले और तीन संभाग समाप्त करने के भजन लाल सरकार के फैसले से भी राजनीतिक कड़वाहट बड़ी है जिसका असर आने वाले विधान सभा सत्र भी दिखना स्वाभाविक है।
देखना है भजन लाल सरकार अपने ही विधायकों तथा प्रतिपक्ष के विधायकों की नाराज़गी का आने वाले विधान सभा सत्र में कैसे मुकाबला करेगी?