जयश्री बिरमी
वडनगर में एक गुजराती परिवार में पैदा हुए, मोदी ने अपने बचपन में चाय बेचने में अपने पिता की मदद की, और बाद में अपना खुद का स्टाल चलाया। आठ वर्ष की आयु में वे आरएसएस से जुड़े, जिसके साथ एक लम्बे समय तक सम्बन्धित रहे। आरएसएस में एक निष्ठावान कैडर के रूप में जाने गए हैं। स्नातक होने के बाद उन्होंने अपना घर छोड़ दिया। मोदी ने दो साल तक भारत भर में यात्रा की, और अनेकों धार्मिक केन्द्रों का दौरा किया। 1969 या 1970 वे गुजरात लौटे उसके बाद अहमदाबाद चले गए।1971 में वह आरएसएस के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। 1975 में देश भर में आपातकाल की स्थिति के समय उन्हें कुछ समय के लिए अज्ञातवास करना पड़ा। 1985 में वे बीजेपी से जुड़े और 2001 तक पार्टी पदानुक्रम के भीतर कई पदों पर कार्य किया, जहाँ से वे धीरे धीरे भाजपा में सचिव के पद पर पहुँचे गए।
गुजरात भूकम्प २००१, (भुज में भूकम्प) के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमन्त्री केशुभाई पटेल के खराब स्वास्थ्य और असफल सार्वजनिक छवि के कारण श्री नरेंद्र मोदी को 2001 में गुजरात के मुख्यमन्त्री पद पर नियुक्त किया गया।यहां उनको शेयर सिंह वाघेला की नाराजगी का सामना करना पड़ा। श्री नरेंद्र मोदी शीघ्र ही विधानसभा के लिए चुने गए। 2002 के गुजरात दंगों में उनके प्रशासन को कठोर माना गया है, इस समय उनके संचालन की आलोचना भी हुई।ये उनकी अग्निपरीक्षा थी, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जाँच दल (एसआईटी) को अभियोजन पक्ष की कार्यवाही आरम्भ करने के लिए कोई प्रमाण नहीं मिला।गुजरात के मुख्यमन्त्री के रूप में उनकी नीतियों को आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए श्रेय दिया गया।कांग्रेस ने जब गद्दी छोड़ी तो खजाने खाली थे,वेतन देनें के लिए भी फंड नहीं थे,कर्मचारियों को वेतन मिलने की कोई तय तारीख नहीं थी जो मोदी जी ने आते ही 1 से 5 तारीख में तनख्वाह देनी शुरू कर दी थी।गुजरात का विकास भूकंप के बाद तीव्र गति से हुआ जिसने खास करके नए रास्तों का बनना और उसकी वजह से व्योपार में उन्नति का होना सामान्य बात हैं।छोटे मिटे उद्योगों का विकास भी उनकी नीतियों की वजह से खूब हुआ।देश विदेश में गुजरात के आर्थिक विकास का चर्चा होने लगी।
वे गुजरात राज्य के 14वें मुख्यमन्त्री रहे। उन्हें उनके अच्छे कामों के कारण गुजरात की जनता ने लगातार 4 बार (2001 से 2014 तक) गुजरात का मुख्यमन्त्री चुना। गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त श्री नरेन्द्र मोदी विकास पुरुष के नाम से जाने जाते हैं और वर्तमान समय में देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से हैं॥ टाइम पत्रिका ने मोदी को पर्सन ऑफ़ द ईयर 2013 के 42 उम्मीदवारों की सूची में शामिल किया है।
अटल बिहारी वाजपेयी की तरह नरेन्द्र मोदी एक राजनेता और कवि हैं। वे गुजराती भाषा के अलावा हिन्दी में भी देशप्रेम से ओतप्रोत कविताएँ लिखते हैं।
उनके नेतृत्व में भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा और 282 सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की।एक सांसद के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी एवं अपने गृहराज्य गुजरात के वडोदरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और दोनों जगह से जीत दर्ज की।[16][17] उनके राज में भारत का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एवं बुनियादी सुविधाओं पर खर्च तेजी से बढ़ा। उन्होंने अफसरशाही में कई सुधार किये तथा योजना आयोग को हटाकर नीति आयोग का गठन किया।पुराने ढर्रे की व्यवस्थाओं का पुनर्गठन कर विकास पथ पर देश को लाने का कार्य भी उन्हों ने किया जिसका विपक्षों द्वारा काफी विरोध भी हुआ। वर्ष 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने उनके नेतृत्त्व में दोबारा चुनाव लड़ा और इस बार पहले से भी ज्यादा बड़ी जीत हासिल हुई। पार्टी ने कुल 303 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा के समर्थक दलों यानी राजग को कुल 352 सीटें प्राप्त हुईं। 30 मई 2019 को शपथ ग्रहण कर नरेन्द्र मोदी लगातार दूसरी बार प्रधानमन्त्री बने।
2019 के आम चुनाव में उनकी पार्टी की जीत के बाद, उनके प्रशासन ने जम्मू और कश्मीर की विशेष राज्य का दर्जा को रद्द कर दिया। उनके प्रशासन ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, २०१९ भी पेश किया, जिसके परिणामस्वरूप देश भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। मोदी अपने हिन्दू राष्ट्रवादी विश्वासों और 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उनकी कथित भूमिका पर घरेलू और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद का एक आँकड़ा बना हुआ है, जिसे एक बहिष्कारवादी सामाजिक एजेण्डे के प्रमाण के रूप में उद्धृत किया गया है। मोदी के कार्यकाल में, भारत ने लोकतान्त्रिक बैकस्लेडिंग का अनुभव किया है।बहुत कठिन दो आंदोलनों का सामना कर बिना किसी अतिशयोक्ति के शानबाग और किसान आंदोलन को निष्फल बना देश की शांति को भंग नहीं होने देना ये उनकी कार्यशैली का एक हिस्सा हैं।
विदेशों में भी उनकी कार्यशैली की प्रशंसा होती हैं,अमेरिका और रशिया दोनों के साथ स्वस्थ संबंध रख सकने वालें ये पहले प्रधान मंत्री हैं।विदेशनीति भी बहुत ही संतुलित होने की वजह से बेबाक हो देश हित में कार्य कर लेते हैं।
उन्हे एक कॉरपोरेट या डिजाइनर मुख्यप्रधान भी कहा जाता हैं जिससे सुचारू रूप से कार्यवाहन होता हैं।
उनके प्रधानमंडल भी बहुत ही दक्ष मंत्रियों से सज्ज हैं,चाहे वह विदेश मंत्रालय हो,रोड और परिवहन हो,गृहमंत्रालय हो,डिफेंस हो सभी जगहों पर काबिल लोग आसीन हैं जिससे देश की प्रगति सुरक्षा आदि मामलों का खयाल रखा जाता हैं।
अब देखें 2025 में उनका प्रधानमंत्री बनने में कौनसा फैक्टर आगे आता हैं।विपक्षी पैंतरों से कितने जूझ पाते हैं ये भी प्रश्न है।