झूठ के सहारे टिकी चीन की नींव

ओम प्रकाश उनियाल

ड्रैगन अपनी हरकतों से बिल्कुल भी बाज नहीं आना चाह रहा है। जबकि, उसको यह भी पता है कि भारत अब 1962 वाला भारत नहीं है। भारत इतना शक्तिशाली देश बन चुका है कि यदि चाहे तो चीन को नाकों चने चबवा दे। लेकिन भारत कभी अपनी गरिमा नहीं गिरने देता। भारत हर कार्य वैधानिक तरीके से करता है। यही कारण है कि भारत विश्व में एक ऐसा मुकाम स्थापित कर चुका है कि विश्व गुरु कहलाने लगा है। चीन हमेशा से ‘हिन्दी-चीनी भाई-भाई’ का नारा देता आ रहा है मगर दो देशों के बीच की खाई को पाटने के बजाय और अधिक खोद रहा है। भारत की जमीन पर जब भी उसने घुसपैठ करने की हरकत की उतनी बार उसे मुंह की खानी पड़ी। बात चाहे डोकलाम, गलवान या हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके में घुसपैठ की हो, इसे कायरता ही कहा जाएगा। भारतीय सैनिकों ने हर बार पीएलए सैनिकों को ऐसा सबक सिखाया कि उन्हें दुम दबाकर भागना ही पड़ा। चीन की कोशिश यही रही है कि किसी न किसी तरह भारत तक पहुंचा जाए। इसी वजह से वह अपनी सीमाओं को हर तरह से विकसित कर मजबूत बना रहा है। भारत के अन्य पड़ोसी मुल्कों के माध्यम से भी वह अपना जाल बिछाने की साजिश रचता रहता है। यहां तक कि समुद्र के रास्ते भी वह घुसपैठ के प्रयास कर चुका है। भारत की सीमाएं व तीनों सेनाएं इतनी कमजोर नहीं हैं कि आसानी से कोई भी नजर बचाके घुस सके। चीन को संयम खोने के बजाय संयम बरतना होगा। अपनी विदेश-नीति को सुधारना होगा। चीन की कथनी और करनी में फर्क के कारण चीन निर्मित वस्तुओं के उपयोग का विरोध किया हुआ है। अपने देश की आंतरिक स्थिति को संभालने में नाकाम होने के कारण उसकी बौखलाहट बढ़ती जा रही है। कोरोना महामारी का दंश आज भी झेल रहा है। जीरो-कोविड बताने वाला चीन पुन: पूर्ववत हालात बनते जा रहे हैं। झूठ का सहारा लेकर अपनी छवि बनाए रखना अब ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा।