विवेक शुक्ला
क्रिमसम का पर्व मनाया जा रहा। चर्च और ईसाइयों के घर सजे हुए हैं। केक के आर्डर तो पहले ही दिए जा चुके थे। यह मौका है जब हम अपने उन ईसाइयों की बात करें जिन पर देश नाज करता है। इस लिहाज से पहला नाम सुप्रीम कोर्ट के वकील हरीश साल्वे का लेंगे। वे जब कोर्ट में हाथ हिला-हिलाकर जिरह करते हैं तो उनकी जुबान पर सरस्वती होती है। वे भारत सरकार से लेकर रिलायंस और टाटा ग्रुप के लिए पैरवी कर चुके हैं। डॉ. टेसी थॉमस भी देश के ईसाई समाज सेहै। उन्हें भारत में मिसाइल वुमन के नाम से जाता है। वह अग्नि मिसाइल प्रोग्राम की अहम जिम्मेदारी संभालने वालीं देश की पहली महिला साइंटिस्ट हैं। अभी वह रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ( डीआरडीओ) में महानिदेशक एयरोनॉटिकल प्रणाली हैं। टेसी मिसाइल के क्षेत्र में महिलाओं के लिए पथप्रदर्शक साबित हुई हैं। टेसी थॉमस 1988 में डीआरडीओ में शामिल हुईं। यहां उन्होंने नई पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल, अग्नि के डिजाइन और विकास पर काम किया। उन्हें पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने अग्नि परियोजना के लिए नियुक्त किया था। टेसी 3,000 किमी रेंज की अग्नि-III मिसाइल परियोजना की सहयोगी परियोजना निदेशक भी रहीं। वह मिशन अग्नि IV की परियोजना निदेशक थीं, जिसका 2011 में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था। इसके बाद उन्हें 2009 में 5,000 किमी रेंज अग्नि-V के परियोजना निदेशक बनाया। इसका 19 अप्रैल 2012 को सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। साल 2018 में वह डीआरडीओ में वैमानिकी प्रणाली की महानिदेशक बनीं। देश को भरोसा है कि टेसी थॉमस के नेतृत्व में देश का मिसाइल कार्यक्रम लगातार नई बुलंदियों को छूता रहेगा।
भारत के हरेक शब्दों के शैदाइयों के लिए रस्किन बॉण्ड का कालजयी काम उन्हें विशेष बना देता है। वे अंग्रेजी भाषा के विश्वप्रसिद्ध भारतीय लेखक हैं। बॉन्ड ने बच्चों के लिए सैकड़ों लघु कथाएँ, निबंध, उपन्यास और किताबें लिखी हैं। बच्चों में उनकी जान बसती है। वे कभी कोई पुरस्कार ग्रहण करने के लिए नहीं लिखते है। वर्ना बहुत से कथित लेखक तो पुरस्कार पाने के लिए ही लिखते हैं। लिखना रस्किन बॉण्ड के जीवन का अभिन्न अंग है। उन्हें 1999 में पद्मश्री और 2014 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। रस्किन बॉण्ड के पिता भारत में तैनात रॉयल एयर फ़ोर्स के अधिकारी थे। वे चाहते तो भारत से बाहर जाकर कहीं भी बस सकते थे। पर भारत की मिट्टी के प्रति अगाध प्रेम के चलते उन्होंने इसे कभी नहीं छोड़ा। उनकी लेखनी अपूर्व और अप्रतिम है।
अगर बात खेल जगत की करें तो लिएंडर पेस को आजाद भारत के सबसे सफल खिलाड़ियों की सूची में रखा जाएगा। लिएंडर पेस के पिता वीस पेस भारत की हॉकी टीम में रहे और मां जेनिफ़र पेस भारत की बास्केटबॉल टीम का हिस्सा रहीं। उन्होंने 1990 जूनियर विंबलडन जीता था। उन्होंने 1996 के अटलांटा ओलंपिक में कांस्य का पदक जीता। इसके बाद पेस ने महेश भूपति के साथ भारतीय टेनिस के इतिहास में कुछ यादगार पल जोड़ दिए। वे एक इस तरह के खिलाड़ी हैं जो कहते हैं कि वे जब भारत का तिरंगा देखते हैं तो उनका प्रदर्शन और बेहतर हो जाता है। तिरंगा उन्हें बेहतर खेल दिखाने को प्रेरित करता है।
मोनोदीप डेनियल बीते तीन दशकों से दिल्ली में हैं। उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज में भी पढ़ाया। दिल्ली ब्रदर्स सोसायटी से जुड़े हुए मोनोदीप डेनियल साहिबाबाद में दीनबंधु स्कूल को भी देखते हैं। यहां दिल्ली और यूपी के हाशिये पर रहने वाले परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं।
मूल रूप से तमिलनाडू से संबंध रखने वाले जॉर्ज सोलोमन राजधानी में होने वाली सर्वधर्म प्रार्थना सभाओं का स्याथी चेहरा हैं। वे राजघाट, गांधी दर्शन, शांति वन, एकता स्थल वगैरह में होने वाली सर्वधर्म प्रार्थना सभाओं में बाइबल का पाठ करते हैं। जॉर्ज सोलोमन राजधानी के कई चर्च के फादर भी रहे हैं। डॉ.स्वपना लिड्डल ने कनॉट प्लेस और शाहजहांबाद पर दो जरूरी किताबें भी लिखी हैं। वह इंटेक की संयोजक भी हैं। इस बहाने वह दिल्ली के महत्वपूर्ण स्मारकों को नष्ट होने से बचाने की लगातार कोशिशें करती हैं। स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग (एसपीए) के छात्र रहे ऱणजीत जॉन आजकल सेंट स्टीफंस कॉलेज के छात्रावास, स्टाफ क्वार्टर और कुछ अन्य भागों को री-डवलप कर रहे हैं। वे इससे पहले जीसेंस एंड मेरी कॉलेज की लाइब्रेयरी तथा प्रशासनिक ब्लॉक को री-डवलप कर चुके हैं। उन्होंने ही केरल स्कूल, विकास पुरी तथा सेंट जॉर्ज स्कूल, अलकनंदा का डिजाइन बनाया है। दिलीप चेरियन मीडिया और पीआर कंसलटेंट के संसार का अहम चेहरा है। उनकी सालाना क्रिसमस पार्टी में दिल्ली की खासमखास शख्सियतें रहती हैं। रेबेका जॉन ने आरुशि तलवार केस में तलवार दंपती और 1984 में मारे गए सिखों के परिजनों के पक्ष में पैरवी की थी। उन्होंने मेरठ के हाशिमपुरा कांड के पीड़ितों के लिए भी पैरवी की थी। रेबेका जॉन पहली महिला वकील थीं जिन्हें दिल्ली हाई कोर्ट ने सीनियर काउंसिल नामित किया था। लेखक और समाज सेवी जोसेफ गाथिया लगातार बाल श्रमिकों के पक्ष में लिखते रहे हैं। उनकी हाल में प्रकाशित किताब आधुनिक भारत में ईसाइयत का योगदान की खासी चर्चा है। गाथिया गर्व के साथ बताते हैं कि उनका संबंध माखनलाल चतुर्वेदी और किशोर कुमार के शहर खंडवा से है।