व्यक्तित्व और आत्मा का प्रतिबिंब हैं परिधान : सरथ और जैस्मिन

Clothing is a reflection of personality and soul: Sarath and Jasmine

मुंबई (अनिल बेदाग): फ़ैशन की दुनिया अक्सर बदलते ट्रेंड्स और भीड़ की पसंद से संचालित होती है, लेकिन मुंबई स्थित डिज़ाइनर जोड़ी सरथ और जैस्मिन ने अपने लेबल की बुनियाद एक गहरी सोच पर रखी है। उनका मानना है कि कपड़े केवल शरीर को ढकने का ज़रिया नहीं, बल्कि पहनने वाले के व्यक्तित्व और आत्मा का प्रतिबिंब होते हैं।

इन दोनों का दर्शन “डिज़ाइनिंग फ़ॉर एसेंस उन्हें सबसे अलग करता है। उनके लिए हर परिधान एक संवाद की तरह है, जहाँ कपड़े पहनने वाले की असली पहचान उभर कर सामने आती है। तयशुदा सिल्हूट थोपने के बजाय वे ऐसा आकार गढ़ते हैं, जो इंसान की असल शख्सियत को और निखारे। चाहे धारदार जैकेट हो या नरम-लहराती ड्रेप, उनका उद्देश्य यही है कि कपड़े इंसान को छिपाएँ नहीं, बल्कि उसका आईना बनें।

सरथ कहते हैं,“हम डिज़ाइन बनाते समय सिर्फ़ माप नहीं देखते। हम यह समझने की कोशिश करते हैं कि उनकी ऊर्जा कैसी है, वे कमरे में कैसे प्रवेश करते हैं, उनका आभामंडल कैसा है। इन्हीं बातों से तय होता है कि फ़ैब्रिक, कट और फ़िनिश क्या होंगे। हमारा मक़सद है कि लोग हमारे डिज़ाइन पहनकर अपना सबसे सच्चा रूप महसूस करें।”

उनके इस अनोखे दृष्टिकोण ने वर्षों से कलाकारों को आकर्षित किया है। नील नितिन मुकेश अक्सर रेड कार्पेट पर उनके क्लासिक डिज़ाइन में नज़र आते हैं। कोरियोग्राफ़र बॉस्को ने अपनी गतिशीलता से उनके आउटफ़िट्स में जान डाली है। वहीं, सोनू सूद, नसीरुद्दीन शाह, के के मेनन और जैकी श्रॉफ जैसे दिग्गज कलाकार उनके परिधान पहनकर राष्ट्रीय मंचों और प्रतिष्ठित मौकों पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुके हैं। हर बार उनकी कृतियों ने सिर्फ़ स्टाइल नहीं, बल्कि व्यक्तित्व और आभा को और मज़बूत बनाया है।

सरथ और जैस्मिन का दृष्टिकोण भारतीय शिल्पकला और आधुनिक टेलरिंग का संगम है, जिसमें इंसान हमेशा केंद्र में रहता है। वे डिज़ाइनिंग को केवल रचनात्मकता नहीं, बल्कि मनोविज्ञान की कला मानते हैं—शख्सियत को पढ़ना, भावनाओं को समझना और ऐसा परिधान गढ़ना जो दूसरी त्वचा जैसा सहज लगे।

आज उनकी यात्रा ट्रेंड्स से परे जाकर एक टाइमलेस आइडेंटिटी बनाने की ओर है। वे सिर्फ़ लोगों को कपड़े पहनाते नहीं, बल्कि उनके व्यक्तित्व को कूट्योर के ज़रिए आकार देते हैं। और यही साबित करता है कि असली फ़ैशन यह नहीं है कि आप क्या पहनते हैं, बल्कि यह है कि वह कितनी सच्चाई से बताता है कि आप कौन हैं।