श्याम सुंदर श्रीवास्तव ‘कोमल’
सकल सृष्टि के पालनहार ।
आओ स्वागत बारंबार ।।
स्वागत में प्रभु हमने नन्हे –
नन्हे दीप जलाए हैं ।
अश्रु अर्घ्य श्रद्धा नत होकर
हमने नाथ चढ़ाए हैं ।
आस लगाए छवि दर्शन की
आओ राघवेंद्र सरकार ।
आओ स्वागत बारंबार ।।
घर – घर मंगल गान मधुरतम
शंख मधुर ध्वनि बजती है ।
भजन कीर्तन गूंज रहे हैं
दीप आरती सजती है ।
पावन रंगोली की आभा
सजी हुई है आंगन द्वार ।
आओ स्वागत बारंबार ।।
प्रकृति सजी है आज स्वयं ही
कलियों ने श्रृंगार किया है ।
सृष्टि राममय आज हुई है
पुष्पों ने मकरंद दिया है ।
श्रद्धा भक्ति हृदय में सबके
पावन भाव करे संचार ।
आओ स्वागत बारंबार ।।
पूर्ण सृष्टि है हुई अयोध्या
मंगल कलश सजाए हैं ।
पग कंटक न चुभें प्रभू के
कोमल फूल बिछाए हैं ।
श्रीफल केलि पत्र पावनतम
द्वार – द्वार पर बंदनवार ।
आओ स्वागत बारंबार ।।