दिल्ली पुलिस की क़ाबिले तारीफ़ कार्यवाही: सत्य कहानी

अतनु दास

नई दिल्ली: तारीख़ थी 06-09-23 चाण्क्यपुरी में स्थिति तनजानिया दूतावास के निकट सुषमा स्वाराज भवन गया था । मैं वहाँ G-20 का प्रेस एक्ररीडिटेशन बना है कि नहीं की जानकारी जुटाकर लौटा था।

प्रेस क्लब में क़रीब 3.45 से 4.45 का दोपहर का भोजन करके मंदिर मार्ग में माँ के समक्ष नत मस्तक करने नई दिल्ली काली बारी पैदल गया था। मंदिर का मैं आजीवन सदस्य भी हूँ। वहाँ से मैं पैदल राम कृष्ण आश्रम मेट्रो स्टेशन जा रहा था। घर पहुँचने के लिए ट्रेन पकड़ने। वक़्त साढ़े छह बज रहा होगा। वहाँ स्टेशन के गेट पर कोई अनजान व्यक्ति मुझ से अनाप-शनाप बातें करना शुरू कर दिया। याद है मैंने उसे डाँट भी लगाई थी।

वह क्षमायाचना की नाटक करते हुए मेरा कमर पकड़ कर अपना दोनों हाथ पैर तक ले गया और पेंट के पिछले पॉकेट में रखे बटुआ को निकाल ले भागा।

मैं बुरी तरह से परेशान और हतप्रभ हो गया और समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूँ ? इसी बीच उम्रदराज़ किसी एक सज्जन ने सलाह दी कि आप तत्काल 100 या 112 पर कॉल करें। मैं हमेशा उनका शुक्रगुज़ार रहूँगा।

नंबर मिलाते ही दिल्ली पुलिस की चार गाड़ियाँ तत्काल घटना स्थान पर पहुँच गई।

मुझे से संक्षिप्त पूछताछ करने बाद ही उनकी टीम मेरी मदद में जुट गई।

वहाँ से मुझे प्राईवेट कार में बैठाकर वे मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन ले गए। तत्काल उनके साइबर सेल और क्राइम ब्रांच के लोग मेरे मनी बैग में रखे दो राष्ट्रीय बैंकों के डेविड कार्ड को ब्लॉक किया। जब मैंने उनसे कहा मेरे पास एक भी पैसा नहीं है। उन्होंने मुझे उनके स्टॉफ के लिये लाये गये खाना भी खिलाया और घर पहुँचाने की व्यवस्था भी की क्योंकि सारी प्रक्रिया पूरी करने में काफ़ी देर रात हो गई थी।

उन्होंने केवल पाँच घंटे के अंदर सुबह जानकारी दी कि आप का वॉलेट समेत सारे आवश्यक कार्ड बरामद कर लिया गया है।
उन्होंने कहा कि सीसी टीवी के फ़ुटेज की मदद से आपको भेजे गए व्यक्ति की आप द्वारा शिनाख्त की वजह से चोर को हमने गिरफ़्तार कर लिया है। वह पेशेवर अपराधी है उसकी तलाश पिछले 28 मामलों में थी।

दिल्ली पुलिस को अशेष धन्यवाद तब से जब मैंने 1986 में 4 पार्लियामेंट स्ट्रीट पर मौजूद पीटीआई का हेडक्वार्टर एक निर्भीक युवा पत्रकार के रूप में ज्वाइन किया था। लेकिन मेरे एक मित्र के अनुसार यह सत्य है कि The police do great work, given the conditions: political interference, a police-public ratio that in unprecedented, one cop -10,000 people; VIP duties specific to Delhi. It’s easy to forget that cops come from the same milieu as the rest of us.
लेकिन हम जैसे वरिष्ठ पत्रकारों के लिए चुभने वाली बात रही कि पटियाला कोर्ट से सभी चीजों को हासिल करने के लिए वकील को 2500 रुपये अदा करना पड़ा। आप ही सोचिए जिसका जेब कट चुका है उसके उपर कितनी बड़ी यह बोझ है।मुझे पटियाला कोर्ट ले गए एक मित्र ने पेटीएम के ज़रिए यह रक़म चुकाया।

ख़ैर अंत भला तो सब भला।

पुलिस टीम ने यह उल्लेखनीय कार्य मंदिर मार्ग के सब इंस्पेक्टर इंस्पेक्टर चंद्रहास कोबरा , उनके दो सहयोगी परीक्षित और मक्खन एवं मंदिर मार्ग के एसएचओ सतवींदर सिंह तथा कनॉटप्लेस के एसीपी अनिल समोटा की सख़्त निगरानी में सफलतापूर्वक पूरा किया।