रविवार दिल्ली नेटवर्क
सहारनपुर : उत्तरप्रदेश के जिलाधिकारी और मशहूर लेखक डॉ दिनेश चंद्र सिंह, आईएएस, ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्रम और स्मृति-चिन्ह प्रदान करके हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया
नई दिल्ली। शिक्षक दिवस के पावन अवसर पर स्थानीय केरल सदन के सभागार में राज्यपाल महामहिम आरिफ मोहम्मद खान ने सहारनपुर उत्तरप्रदेश के जिलाधिकारी एवं सुप्रसिद्ध लेखक डॉ दिनेश चंद्र सिंह, आईएएस द्वारा लिखित और वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार कमलेश पांडेय द्वारा संपादित कालजयी कृति “कर्म-निर्णय” का विमोचन गणमान्य लोगों के साथ मिलकर किया और इसे राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए प्रेरणास्पद व अनुकरणीय बताया।
पुस्तक विमोचन के मौके पर सुप्रसिद्ध संत श्री रविन्द्रपुरी जी महाराज, पद्मश्री भारतभूषण जी महाराज, राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल, अलीगढ़ से लोकसभा सांसद सतीश गौतम, बहराइच से लोकसभा सांसद अक्षयवर लाल गौड़, उत्तरप्रदेश के राज्यमंत्री और देवबंद विधायक ब्रजेश सिंह, पश्चिमी उत्तरप्रदेश भाजपा के क्षेत्रीय सत्येंद्र सिंह सिसोदिया, सहारनपुर के महापौर डॉ अजय सिंह, शाकुम्भरी देवी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एच एस सिंह, सुप्रसिद्ध शायर नवाज देवबंदी, कार्यक्रम प्रबंधक देवप्रिय सिंह, नगीन प्रकाशन, मेरठ के सीईओ और प्रकाशक मोहित जैन, पूर्व विधायक संजय गुप्ता, कुलभूषण अरोड़ा, दीपक अग्रवाल सहित राजनीतिक, प्रशासनिक व सामाजिक जगत के गणमान्य लोग उपस्थित थे। मंच संचालन सन्दीप जी ने किया।
इस मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि आईएएस डॉ दिनेश चंद्र सिंह की रचनाओं में करुणा, सम्वेदनशीलता और एकात्मता मिलती है, जो भारतीय सभ्यता-संस्कृति का सार तत्व है। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज के आदर्श त्याग और सेवा हैं, जिनकी सीख उनकी पुस्तकों से मिलती है। उन्होंने अपने प्रशासनिक कामों का जो लेखा-जोखा प्रस्तुत किया है, वह मर्मस्पर्शी और हृदयस्पर्शी है। इनकी किताबों में भारतीय संस्कृति की आध्यात्मिक गहराई नजर आती है। लेखक के मन में जो सम्वेदना है, सम्वेदनशीलता है, वह उनके त्याग के भाव को प्रकट करता है। समय और काल को ध्यान में रखकर उन्होंने जो कुछ किया, वह तो उनकी ड्यूटी थी ही, लेकिन बाढ़ पीड़ितों के साथ उन्होंने जो सम्वेदना प्रकट की, उनके दुःख-दर्द के प्रति संवेदनशीलता दिखाई, वह दुर्लभ है। इनका करूणा भाव साफ नजर आता है। यही उनकी कार्यशैली की खासियत है, जो इनकी पुस्तक के पृष्ठ दर पृष्ठ में झलकती है। यह संस्थागत स्मृतिकोश की तरह है, जो राजनेताओं व अधिकारियों के लिए अनुकरणीय वृतांत उपलब्ध करवाता है।
वहीं, अपनी बात रखते हुए “कर्म-निर्णय” के लेखक डॉ दिनेश चंद्र सिंह, आईएएस ने कहा कि जहां “काल-प्रेरणा” कोविड काल में माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के द्वारा काम करने के दिये गए अवसरों से अर्जित अनुभूतियों का सार-संग्रह है, वहीं “कर्म-निर्णय” माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की जनकल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा मिले दिशा-निर्देशों (कोई भी गरीब सहायता से वंचित नहीं रहना चाहिए) के बाद अर्जित सफलता की करुण कहानी है, जिसे हम सबको जानना जरूरी है ताकि हमलोग समवेत रूप से पीड़ितों की सेवा करते रहने का सामूहिक संकल्प ले सकें और उसका सोशल ऑडिट करते रहें। उन्होंने कहा कि हम पुस्तक की रचना किसी मौद्रिक लाभ के लिए नहीं करते हैं, बल्कि लोकतंत्र के सशक्तिकरण के लिए मैं यह रचनात्मक कार्य करता रहूंगा, जबतक जीवित रहूंगा।
वहीं, पद्मश्री भारत भूषण जी महाराज ने कहा कि डॉ दिनेश चंद्र सिंह जी प्रशासनिक अधिकारी के रूप में जहां जहां भी रहे, वहां वहां पर उन्होंने अपनी अमिट छाप छोड़ी। कर्तव्य परायणता, सरलता, सहजता, सर्व उपलब्धता इनकी विशेषता है। इससे जनप्रतिनिधियों से लेकर साहित्य मनीषी तक उनके कायल हो गये। ये वो प्रशासनिक अधिकारी हैं जो अपना चिट्ठा खोलकर दिखा देते हैं। वो महामहिम राज्यपाल इनके संरक्षक हैं, जिनमें अब्दुल कलाम, विवेकानंद और श्रीकृष्ण की छवि समादृत है। जो सहअस्तित्व के पुरोधा और भारतीय संस्कृति के जीवंत प्रतिनिधि हैं। वो पीएम, सीएम, मंत्रीगण की तरह अपना रिपोर्ट कार्ड पुस्तक के रूप में जनमानस के समक्ष रख देते हैं, जो बड़ी बात है।
वहीं, श्री रविन्द्रपुरी जी महाराज ने कहा कि गर्भ काल से कर्म शुरू हो जाता है और मृत्यु काल तक किसी न किसी रूप में चलायमान रहता है। इन्होंने कायिक, मानसिक और वाचिक कर्मों को पुस्तक के कलेवर में अभिव्यक्ति प्रदान की है। इन्होंने पंच भौतिक शरीर से प्राप्त अपने जीवन के अनुभवों को किताबों का रुप दिया है, उसमें अपना प्रशासनिक अनुभव उड़ेला है, जो महत्वपूर्ण बात है। यह बन्दनीय प्रयास है। मां सरस्वती की अनुकम्पा उन्हें प्राप्त है।यह सदैव बनी रहे, यही सदकामना है। हरिद्वार से इनकी जो कर्मभूमि शरू हुई, वह आज तक जारी है, यह बड़ी बात है।
वहीं, उत्तरप्रदेश के राज्यमंत्री ब्रजेश सिंह ने कहा कि डॉ दिनेश चंद्र सिंह ने अपने जीवन के स्वर्णिम काल को लेखन में लगाया है और अपने अच्छे कर्मों को लिपिबद्ध करने का जो बीड़ा उठाया है, वह सराहनीय है। ये नगीना के नगीना हैं, जो कर्मों को करने के लिए निर्णय लेने की क्षमता को प्रोत्साहित कर रहे हैं। अवश्य ही इसके पीछे भी ईश्वरीय अनुकम्पा कार्य कर रही होगी। इससे देश व समाज लाभान्वित होगा।
वहीं, इस अवसर पर प्रवीण सडाना, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, मतलूब अहमद, देहरादून, मोहित गुलाटी, हिमांशु अरोड़ा, चिराग सिंह, पंजाब होटल, सहारनपुर, संजय मिड्डा, प्रगतिशील कृषकों में राकेश सिंह राणा, अजय सैनी, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सहारनपुर के सरदार तेजपाल सिंह, डॉ मोहन सिंह, डॉ कलाम, डॉ राहुल सिंह, डॉ कलाम अहमद, रवीश रंजन शुक्ला, अनुराग चड्डा, नरेश तोमर, राकेश पुंडीर, अरुण जी, मनोज सिंह, राकेश सिंह बिट्टा, राजेश सैनी, दिनेश सिंह, अमित तेवतिया, मनोज जी, नवनीत अग्रवाल, अरविंद त्रिवेदी, देवेंद्र सिंह आदि गणमान्य लोग भी सभागार में उपस्थित रहे।